रुद्राक्ष-Rudraksha In Hindi
रुद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है रूद्र+अक्ष जिसमें रूद्र का अर्थ है भगवान शिव का नाम और अक्ष का अर्थ भगवान शिव के आंसुओं से है क्योंकि रूद्र भगवान शिव का दूसरा नाम है। रुद्राक्ष शब्द भगवान शिव जी का प्रतिक माना जाता है।
रुद्राक्ष एक फल के अंदर निकलने वाला बीज होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जब शिव जी ने बहुत अधिक कठोर तपस्या की थी जिसके बाद जब उन्होंने अपनी आँखें खोली तो उनकी आँखों से आंसू निकलकर पृथ्वी पर जा गिरे और जिस-जिस जगह पर आंसू गिरे थे वहां पर कुछ पेड़ उग गए थे जिनके फलों में से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई थी।
पुराने समय में रुद्राक्ष को एक आभूषण, संरक्षण, ग्रहों की शांति और आध्यात्मिक लाभ के रूप में प्रयोग किया जाता था। हिन्दू धर्म के अनुसार रुद्राक्ष को बहुत अधिक पवित्र माना जाता है।
रुद्राक्ष का अर्थMeaning of Rudraksh In Hindi
संस्कृत में मुखी का अर्थ चेहरा होता है इसलिए मुखी का अर्थ रुद्राक्ष का मुख है। रुद्राक्ष का अर्थ होता है भगवान शिव का एक अंश क्योंकि यह भगवान शिव के आंसुओं से बना है इसलिए इसे भगवान शिव का ही अंश माना जाता है।
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रुद्राक्ष के नाम और उनका स्वरूप-Name And Nature of Rudraksha In Hindi
- एकमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव का :
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जिसमें एक ही आँख अथवा बिंदी हो। एकमुखी रुद्राक्ष स्वयं शिव का स्वरूप है जो सभी प्रकार के सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करता है।
- द्विमुखी रुद्राक्ष गौरी शंकर का :
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जो सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला तथा दांपत्य जीवन में सुख, शांति व तेज प्रदान करता है।
- त्रिमुखी रुद्राक्ष तेजोमय अग्नि :
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जो समस्त भोग-ऐश्वर्य प्रदान करने वाला होता है।
- चतुर्थमुखी रुद्राक्ष पंचदेव का :
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जो धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है।
- पंचमुखी रुद्राक्ष सर्वदेवमयी
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जो सुख प्रदान करता है।
- षष्ठीमुखी रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का :
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जो पापों से मुक्ति एवं संतान देने वाला होता है।
- सप्तमुखी रुद्राक्ष भगवान अनंत का :
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जो दरिद्रता को दूर करने वाला होता है।
- अष्टमुखी रुद्राक्ष भगवान श्री गणेश का :
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जो आयु एवं सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है।
- नवमुखी रुद्राक्ष देवी दुर्गा का :
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जो मृत्यु के डर से मुक्त करने वाला होता है।
- दसमुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का :
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जो शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है।
- ग्यारहमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के ग्यारह रूद्र रूपों का :
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जो विजय दिलाने वाला, ज्ञान एवं भक्ति प्रदान करने वाला होता है।
- बारहमुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का :
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जो धन प्राप्ति कराता है।
- तेरहमुखी रुद्राक्ष भगवान इंद्र का :
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जो शुभ व लाभ प्रदान कराने वाला होता है।
- चौदहमुखी रुद्राक्ष हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है :
- अर्थ : ऐसा रुद्राक्ष जो संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला होता है।
रुद्राक्ष का आकार-Size of Rudraksh In Hindi
बहुत से लोग रुद्राक्ष के आकर को लेकर भ्रमित हो जाते हैं। लोगों को यह देख लेना चाहिए कि उसके मुख या केंद्र के पास दरार न हो। रुद्राक्ष के आकार को हमेशा मिलीमीटर में ही मापा जाता है। रुद्राक्ष भी मटर की तरह ही छोटे से बड़े आकार के होते हैं। कुछ रुद्राक्ष तो अखरोट के आकार तक बड़े हो जाते हैं।
रुद्राक्ष का महत्व-Importance of Rudraksh In Hindi
रुद्राक्ष के महत्व को दो भागों में बांटा गया है – धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक महत्व।
1. धार्मिक महत्व : धार्मिक महत्व के आधार पर यह माना जाता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत अच्छे लगते हैं जिसकी वजह से जो भी व्यक्ति इन्हें धारण करता है वह व्यक्ति भी भगवान शिव को बहुत अच्छा लगता है और उस पर भगवान शिव की हमेशा कृपा बनी रहती है।
जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है उसके मन से सभी तरह की नकारात्मकता दूर हो जाती है और उसे किसी भी तरह के डर या भय से भी छुटकारा मिल जाता है। रुद्राक्ष के मुख के आधार पर उनके धार्मिक महत्व को समझा जा सकता है और यह भी पता लगाया जा सकता है कि वह कितने मुख का रुद्राक्ष है।
2. वैज्ञानिक महत्व : रुद्राक्ष के धार्मिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी है। रुद्राक्ष के रोम छिंद्रों में एक अलग तरह का स्पंदन होता है जो सभी के ह्रदय पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। जो व्यक्ति रुद्राक्ष को धारण करता है उस व्यक्ति का रक्तचाप सामान्य रहता है।
वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि रुद्राक्ष से जो विशेष तरंगे निकलती हैं वे मनुष्य के दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है वह तनाव, चिंता और अवसाद से दूर रहता है।
रुद्राक्ष के लाभ-Rudraksh Benefits in Hindi
बहुत से लोगों का मानना है कि रुद्राक्ष एक मुखी से चौदह मुखी तक होते हैं या पाए जाते हैं लेकिन ये कितने तरह के होते हैं ये बता पाना बहुत मुश्किल है। बहुत से विशेषज्ञों का तो यह भी मानना है कि रुद्राक्ष 21 मुखी या शिव महापुराण के अनुसार रुद्राक्ष 38 मुखी होते हैं लेकिन आज तक सिर्फ 21 मुखी रुद्राक्ष ही देखे गए हैं।
एक मुखी से लेकर 14 मुखी तक के रुद्राक्ष बहुत ही कम मात्रा में पाए जाते हैं और दुर्लभ भी होते हैं लेकिन पंचमुखी रुद्राक्ष बहुत ज्यादा होते हैं और आसानी से भी उपलब्ध हो जाते हैं।
रुद्राक्ष को धारण करने से बहुत से लाभों की प्राप्ति होती है। जो लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं भगवान शिव उन लोगों को बहुत पसंद करते हैं। जो व्यक्ति जिस प्रकार का रुद्राक्ष धारण करता है उसे उसी से जुड़े लाभ होते हैं।
एकमुखी रुद्राक्ष के फायदे-1 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- एकमुखी रुद्राक्ष को स्वंय शिव ही माना जाता है क्योंकि यह रुद्राक्ष बहुत ही कम मात्रा में देखने को मिलता है।
- एकमुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति बहुत ही कम होती है जिससे इसे प्राप्त करना थोडा मुश्किल होता है।
- जो व्यक्ति एकमुखी रुद्राक्ष को धारण करता है उसे पापों का नाश, आँखों से जुड़े रोगों, दिल के रोगों, पेट के रोगों, हड्डियों के रोगों, भय, चिंता से मुक्ति मिलती है और लक्ष्मी प्राप्ति भी होती है।
- एकमुखी का ग्रह सूर्य होता है।
- रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को शिवाजी के साथ-साथ सूर्य देव का भी आशीर्वाद मिल जाता है और सूर्य जनित दोषों की भी समाप्ति हो जाती है।
- इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, सांसारिक और दैविक कष्टों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति का आत्म मनोबल भी बढ़ जाता है।
- जिन लोगों की राशि कर्क, सिंह और मेष होती है अगर वे लोग इस रुद्राक्ष को धारण करते हैं तो यह उनके लिए बहुत अधिक लाभदायक होता है।
दोमुखी रुद्राक्ष के फायदे-2 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- दोमुखी रुद्राक्ष को गौरी अथार्त अर्धनारीश्वर या शक्ति का रूप माना जाता है।
- दोमुखी रुद्राक्ष का ग्रह चंद्रमा है।
- जो व्यक्ति इस दोमुखी रुद्राक्ष को धारण कर लेता हैं उस व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
- इसे धारण करने से एकाग्रता और शांति की प्राप्ति होती है और वशीकरण की शक्ति प्राप्त होती है।
- इसके धारण से स्त्री रोग, आँख की खराबी, किडनी की बीमारी, दिमाग, दिल, फेफड़ों के रोगों आदि से छुटकारा मिलता है।
- जो व्यक्ति इसे धारण कर लेता है उससे भगवान अर्धनारीश्वर खुश होते हैं और उस पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
- रुद्राक्ष को धारण करने से पति-पत्नि के बीच के संबंध घनिष्ट होते हैं और प्रेम भाव भी बढ़ता है।
- जिन लोगों पर गौ हत्या का दोष होता है उनके द्वारा इस रुद्राक्ष को धारण करने से और इसकी प्रतिदिन पूजा करने से दोष समाप्त हो जाता है।
- जिन लोगों की शादी में बहुत अधिक देरी हो रही हो उन लोगों द्वारा इस रुद्राक्ष को धारण करने से बहुत ही जल्दी लाभ होता है।
- जिन लोगों की राशी कर्क होती है उनके द्वारा इसे धारण करने से विशेष लाभ होता है।
तीनमुखी रुद्राक्ष के फायदे-3 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- तीनमुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव का स्वरूप माना जाता है लेकिन इसके देवता मंगल हैं क्योंकि इस रुद्राक्ष को धारण करने से स्त्री हत्या जैसे दोषों से मुक्ति मिलती है।
- जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है उसके नीरस बने हुए जीवन में नई उमंग जाग जाती है और उसे संक्रामक रोगों, स्त्री रोगों और पेट से संबंधित सभी रोगों से भी छुटकारा मिलता है।
- इस रुद्राक्ष के धारण से वास्तुदोष, आत्मविश्वास और ज्ञान में लाभ मिलता है।
चारमुखी रुद्राक्ष के फायदे-4 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- चारमुखी रुद्राक्ष के देव ब्रह्मा और ग्रह बुध देवता हैं।
- चारमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से वशीकरण और वाणी में मिठास की शक्ति प्राप्त होती है और नाक के रोगों, कान के रोगों, गले के रोगों, कोढ़, लकवा, दमा जैसे रोगों से छुटकारा मिलता है।
- जिन लोगों को संतान नहीं है ऐसे लोगों द्वारा इसे धारण करने से उन लोगों को संतान की प्राप्ति होती है।
- ये रुद्राक्ष दिमाग को तेज बनाता है और शरीर को भी रोगों से दूर रखने में मदद करता है।
- व्यक्ति को वेदों और धार्मिक ग्रंथों के अध्धयन में सफलता प्राप्त होती है।
- शिव महापुराण में लिखा है कि अगर इस रुद्राक्ष को बहुत अधिक समय तक धारण किया जाए और भगवान शिव जी के बीज मंत्रों का पाठ करते है तो उन्हें जीव हत्या के दोष से मुक्ति मिल जाती है।
पंचमुखी रुद्राक्ष के फायदे-5 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- पंचमुखी रुद्राक्ष में पंचदेवों का वास माना जाता है।
- पंचमुखी रुद्राक्ष को सर्वगुण संपन्न माना जाता है।
- यह रुद्राक्ष भगवान शिव का सबसे प्रिय रुद्राक्ष माना जाता है क्योंकि इस रुद्राक्ष को सभी रुद्राक्षों से अधिक शुभ और पूण्य देने वाला रुद्राक्ष माना जाता है इसलिए इसे कालाग्नि के नाम से भी जाना जाता है।
- पंचमुखी रुद्राक्ष के देवता रूद्र और अधिपति ग्रह बृहस्पति है।
- बृहस्पति ग्रह के प्रतिकूल होने की वजह से भविष्य में आने वाली समस्याएं इस रुद्राक्ष को धारण करने से अपने आप दूर हो जाती हैं।
- इस रुद्राक्ष के धारण करने से जीवन में सुख-शांति, कीर्ति, वैभव, संपन्नता और प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है।
- इस रुद्राक्ष के धारण से व्यक्ति को रक्तचाप, मधुमेह, किडनी के रोग, मोटापा, पीलिया, पेट के रोगों को दूर करता है।
- यह रुद्राक्ष मन में आने वाले गलत विचारों को नियंत्रित करके हमें मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है।
- जिन लोगों की राशि मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन होती है उनके लिए यह रुद्राक्ष बहुत अधिक लाभदायक होता है।
छहमुखी रुद्राक्ष के फायदे-6 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- छहमुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव के पुत्र कार्तिके और गणेश का स्वरूप माना जाता है लेकिन इनके ग्रह देवता शुक्र हैं।
- ऐसा माना जाता है कि शिव महापुराण में लिखा है कि अगर इस रुद्राक्ष को विधिवत धारण करने और प्रतिदिन पूजा करने से ब्रह्म हत्या के हर दोष से मुक्ति पाई जा सकती है जिसके साथ-साथ भगवान कार्तिकेय की विशेष कृपा भी होती है।
- व्यक्ति की बुद्धि या दिमाग का विकास होता है और नेतृत्व करने की क्षमता भी बढती है।
- इस रुद्राक्ष को धारण करने से कोढ़, नपुंसकता, पथरी, किडनी और मूत्र रोग आदि से छुटकारा मिलता है।
- यह रुद्राक्ष शरीर में होने वाले रोगों को दूर करके शरीर को स्वस्थ बनाता है।
सातमुखी रुद्राक्ष के फायदे-7 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- सप्तमुखी या सातमुखी रुद्राक्ष में सप्त नाग निवास करते हैं।
- सातमुखी रुद्राक्ष सप्त ऋषियों का प्रतिनिधित्व करता है।
- जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है उस पर लक्ष्मी माँ की कृपा हमेशा बनी रहती है और घर में धन की वृद्धि होने लगती है।
- सातमुखी रुद्राक्ष पर शनिदेव जी का प्रभाव माना जाता है इसलिए इसे धारण करने पर शनिदेव खुश होकर अपनी कृपा रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति पर रखते हैं।
- सातमुखी होने की वजह से यह रुद्राक्ष हमारे शरीर में सप्धातुओं की सुरक्षा करता है और शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है।
- जिस व्यक्ति को मानसिक बीमारी, शारीरिक दुर्बलता, उदर रोग, लकवा, चिंता, हड्डी रोग, कैंसर, अस्थमा, कमजोरी और जोड़ों के दर्द की परेशानी होती है उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य ही धारण करना चाहिए।
आठमुखी रुद्राक्ष के फायदे-8 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- आठमुखी रुद्राक्ष को भैरो देव का स्वरूप माना जाता है लेकिन इसके प्रधान देव श्री गणेश को माना गया है।
- जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है उसे अष्ठदेवियों का आशीर्वाद मिलने के साथ-साथ इन्द्रियों को नियंत्रित करने की शक्ति भी मिलती है।
- इस रुद्राक्ष के देवता ग्रह राहू हैं।
- इस रुद्राक्ष को धारण करने से अशांति, सर्पभय, चर्म रोग, गुप्त रोग आदि से छुटकारा मिलता है।
- इस रुद्राक्ष को धारण करने से बुद्धि, ज्ञान, धन और यश की विशेष प्राप्ति होती है।
- जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को विधिवत धारण करता है और पूजन करता है उस व्यक्ति को स्त्री भोग के दोष से मुक्ति मिल जाती है।
- इस रुद्राक्ष के धारण से जीवन की सभी कठिनाईयाँ दूर हो जाती हैं और रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है।
- अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहू दोष होने की वजह से उसके जीवन में मुश्किलें आ रही हैं तो वह इस रुद्राक्ष को ग्रहण कर सकता है।
नौमुखी रुद्राक्ष के फायदे-9 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- नौमुखी रुद्राक्ष को माँ भगवती की नौ शक्तियों का प्रतिक माना जाता है।
- नौमुखी रुद्राक्ष के देवता कपिलमुनि, भैरो देव, नौ दुर्गा और ग्रह केतु हैं।
- जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को ग्रहण करता है उसे आशीर्वाद स्वरूप शक्ति प्राप्त होती है।
- इस रुद्राक्ष को धारण करने से फेफड़े, ज्वर, आँखों के रोग, कान के रोग, उदर कष्ट, संक्रामक रोग दूर होते हैं।
- जिन लोगों को संतान नहीं होती उनके द्वारा इस रुद्राक्ष को धारण करने से उन्हें संतान की प्राप्ति होती है।
- जिस व्यक्ति के जीवन में केतु ग्रह की वजह से समस्याओं का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है वह इस रुद्राक्ष के धारण से कम हो जाते हैं।
- नौदुर्गा का स्वरूप होने की वजह से यह रक्षा कवच की तरह भी काम करता है और जीवन में कीर्ति, मान-सम्मान में भी वृद्धि होती है जिससे मन को शांति मिलती है।
दसमुखी रुद्राक्ष के फायदे-10 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- इस रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना जाता है।
- इस रुद्राक्ष के देवता भगवान विष्णु, दस दिक्पाल और दस महाविद्याएँ हैं।
- इसके ग्रह सभी देवता हैं।
- जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण कर लेता है उसके शरीर से ऊपरी बाधाएं, भूत-प्रेत जैसी नकारात्मक शक्तियाँ दूर रहती हैं और नवग्रह शांति में भी बहुत लाभ होता है।
- जो जातक तंत्र-मंत्र और साधनाएं बहुत अधिक करता है उसे इस रुद्राक्ष को जरुर धारण करना चाहिए।
- इस रुद्राक्ष को धारण करने से पेट के रोग, कफ के रोग, फेफड़ों के रोग, दिल के रोग, गठिया, दमा और आँखों के रोगों में बहुत फायदा होता है।
ग्यारहमुखी रुद्राक्ष के फायदे-11 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- इस रुद्राक्ष को भगवान शिव जी के ग्यारह रुद्रों का प्रतिक माना जाता है क्योंकि भगवान शिव जी के ग्यारहवें रूप हनुमान जी की इस पर बहुत कृपा रहती है।
- जिस व्यक्ति को व्यापर में उन्नति करनी होती है उनके लिए यह रुद्राक्ष बहुत अधिक लाभ प्रदान करता है।
- जिस व्यक्ति को अकाल मृत्यु का डर रहता है उनके द्वारा इसे धारण करने से अकाल मृत्यु का डर समाप्त हो जाता है।
- इस रुद्राक्ष को धारण करने से धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ, हवन आदि सभी धार्मिक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- इसे धारण करने से स्त्री रोग, जोड़ों के रोग, स्नायु रोग और वीर्य से संबंधित सभी रोग दूर रहते हैं।
बारहमुखी रुद्राक्ष के फायदे-12 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- बारह मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु जी का स्वरूप माना जाता है क्योंकि इसे धारण करने से असाध्य-से-असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है।
- इस रुद्राक्ष के देवता और ग्रह देवता दोनों ही सूर्य हैं।
- जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण कर लेता हैं उसे तेजस्वी और एश्वर्य की प्राप्ति होती है और सिर दर्द, गंज, दिमाग के रोगों, उदर रोगों, बुखार, आँखों के रोग, दिल के रोग, मूत्राशय के रोगों से छुटकारा मिलता है।
- रुद्राक्ष को धारण करने वाले को गोवध और रत्नों की चोरी जैसे दोषों से भी मुक्ति मिलती है।
- यह सभी तरह की दुर्घटनाओं से बचाता है।
तेरहमुखी रुद्राक्ष के फायदे-13 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- तेरहमुखी रुद्राक्ष को इंद्रदेव का स्वरूप माना जाता है।
- इसके देवता कामदेव को माना जाता है और सभी इसके ग्रह देवता हैं।
- जो व्यक्ति इसे धारण करता है उसे आकर्षण-वशीकरण, सुंदरता, समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- इसे धारण करने से मूत्राशय, नपुंसकता, गर्भ संबंधी रोग, किडनी, लीवर आदि के रोग दूर हो जाते हैं।
- जिन लोगों की जिन्दगी में प्रेम और सुख की कमी होती है उनके द्वारा इस रुद्राक्ष को ग्रहण करने से बहुत फायदा होता है।
- इस रुद्राक्ष को सभी ग्रहों के प्रभाव को अपने अनुकूल बनाने के लिए भी धारण किया जा सकता है।
चौदहमुखी रुद्राक्ष के फायदे-14 Mukhi Rudraksha Benefits In Hindi
- चौदहमुखी रुद्राक्ष को हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है।
- इस रुद्राक्ष के देवता श्री कंठ और हनुमान जी हैं।
- जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है वह तंत्र-मंत्र, टोने-टोटके, भूत-प्रेत, पिशाच आदि से सुरक्षित रहता है।
- इस रुद्राक्ष को धारण करने से निराशा, बैचेनी, डर, लकवा, कैंसर आदि में बहुत फायदा होता है।
- जो व्यक्ति हनुमान जी की बहुत अधिक उपासना करता है ऐसे जातक को इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए।
अलसी रुद्राक्ष की पहचान-Original Rudraksha In Hindi
जब आप बाजार जाते हैं तो आप बहुत सी जगहों पर रुद्राक्षों की माला बने हुए देखते हैं। लेकिन इनमें से कितने रुद्राक्ष असली होते हैं और कितने नकली होते हैं ये आप पता नहीं लगा पाते हैं। हम आपको ऐसी कुछ बातें बतायेंगे जिससे आप असली और नकली रुद्राक्ष को आसानी से पहचान सकेंगे।
- असली रुद्राक्ष की पहचान करने के लिए आप रुद्राक्ष को पानी में डालकर कुछ घंटे के लिए उबालें अगर उसका रंग नहीं निकलता है या रुद्राक्ष पर किसी भी तरह का कोई असर नहीं पड़ता है तो वह असली रुद्राक्ष है और आप उसे धारण कर सकते हैं।
- आप रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डालें अगर उसका रंग गहरा दिखने लगे तो वह बिलकुल असली है अगर नहीं तो वह नकली है।
- आप रुद्राक्ष की पहचान करने के लिए एक सुईं ले और उसे कुरेदें अगर उसमें से रेशा निकलता है तो वह असली है।
- अगर रुद्राक्ष के ऊपर उभरे हुए पठार एकरूप न हों तो आप समझ सकते हैं कि आपका रुद्राक्ष बिलकुल असली है।
- जब रुद्राक्ष को बीच में से काटने पर उसमें उतने ही घेर निकलें जितने घेर उसमें अंदर हो तो वह रुद्राक्ष असली है।
- असली रुद्राक्ष की पहचान करने के लिए आप तांबे के दो टुकड़ों के ऊपर रुद्राक्ष रखकर एक ऊँगली से हल्के से दबाएँ अगर रुद्राक्ष असली होगा तो वह नाचने लगेगा।
- आप रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डालकर गर्म करें अगर वो असली रुद्राक्ष होगा तो और अधिक चमकदार हो जाएगा।
नकली रुद्राक्ष की पहचान-Fake Rudraksha In Hindi
बाजार के नकली रुद्राक्ष भी असली जैसे ही लगते हैं जिसकी वजह से लोग असली और नकली में अंतर नहीं कर पाते हैं। आप इन कथनों से नकली रुद्राक्ष की पहचान कर सकते हैं-
- अगर आपके द्वारा खरीदे गए रुद्राक्ष के ऊपर उभरे हुए पठार एकरूप के हों तो वह नकली रुद्राक्ष है। नकली रुद्राक्षों के ऊपरी पठार अक्सर समान होते हैं।
- आजकल लोग रुद्राक्ष में जोड़ लगाकर उसे गौरीशंकर रुद्राक्ष बताते हैं अगर ऐसा होता है तो वह फट जाएगा जिसका अर्थ यह होगा कि वह नकली रुद्राक्ष है।
- आप रुद्राक्ष को पानी में कुछ देर तक उबालें अगर उसका रंग निकलता है या हल्का हो जाता है तो भी रुद्राक्ष नकली होता है।
- आप नमक के पानी से रुद्राक्ष को साफ करें अगर उसका रंग सफाई करने के कपड़े पर रहता है तो इसका मतलब यह है कि उस पर रंग चढाया गया है क्योंकि वह नकली है।
- आप रुद्राक्ष को सरसों के तेल में दल दें और देखें कि उसका रंग गहरा है या नहीं अगर उसका रंग गहरा नहीं है तो वह नकली रुद्राक्ष है।
- आप रुद्राक्ष को सुई लेकर कुरेदें अगर उसमें से रेशा निकले तो वह रुद्राक्ष नकली होता है।
- आप रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डालकर उबालें। अगर उसका रंग धुमिला हो जाता है तो वह नकली रुद्राक्ष है।
- लोग पैसा अधिक कमाने के लिए रुद्राक्ष के मुखों में मसाला भरकर उन्हें एकमुखी बना देते हैं। जब रुद्राक्ष को ध्यान से देखा जाता है तो उसमें भरा हुआ मसाला दिखाई दे जाता है।
रुद्राक्ष का पेड़-Rudraksha Tree In Hindi
रुद्राक्ष का पेड़ पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। रुद्राक्ष का पेड़ अक्सर भारत में हिमालय, असम, उत्तरांचल, नेपाल, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे क्षेत्रों के जंगलों में भी पाए जाते हैं। नेपाल और इंडोनेशिया से रुद्राक्ष का सबसे अधिक निर्यात भारत में होता है।
रुद्राक्ष धारण करने की विधि-Rudraksh Method In Hindi
बहुत से लोग रुद्राक्ष को बिना किसी पूजा या पूजन के धारण कर लेते हैं जिससे उन्हें सिर्फ वैज्ञानिक लाभ होते हैं क्योंकि रुद्राक्ष को धारण करने की एक विधि होती है जिसके अनुसार अगर रुद्राक्ष को धारण किया जाये तो उसे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों प्रकार के लाभ होते हैं।
- आप रुद्राक्ष को गले में या हाथ में पहन सकते हैं।
- आप किसी शिव मन्दिर से ब्राह्मण के हाथ से रुद्राक्ष लें।
- जब आप रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं तो आप पहले इसे सात दिनों तक सरसों के तेल में डुबो कर रखें। सरसों के तेल से रुद्राक्ष को निकालने के बाद उसका पंचामृत से अभिषेक करें। पंचामृत से अभिषेक करने के बाद रुद्राक्ष का गंगाजल से अभिषेक करें फिर अभिषेक करने के बाद रुद्राक्ष पर भभूती से तिलक लगाएं अगर भभूती नहीं है तो आप कुमकुम का प्रयोग कर सकते हैं।
- भभूती से तिलक करने के बाद ” ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात ” मंत्र का जाप करते हुए रुद्राक्ष को गले में धारण करें।
- आप रुद्राक्ष को श्रावण मांस के दिनों में सोमवार के दिन, श्रावण मांस के किसी भी दिन, शिवरात्रि, पूर्णिमा के दिनों में आसानी से धारण कर सकते हैं।
- जब भी आप मंदिर जाएँ तब रुद्राक्ष को शिवलिंग से स्पर्श कराएँ और हर महीने में दो सोमवार पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएँ और हर रोज पूजा करते समय दूप-दीप जरुर दिखाएँ।
रुद्राक्ष धारण करने के बाद साबधानी-Careful After Wearing Rudraksha In Hindi
1. माना जाता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव का ही रूद्र रूप है इसलिए जो भी व्यक्ति इसे धारण करता है उसे हमेशा पवित्र रहना चाहिए।
2. जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण किए हुए है उसे मांस-मछली या किसी भी तरह की मांसाहारी चीज से दूर रहना चाहिए।
3. रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को रुद्राक्ष पहनकर किसी भी शवयात्रा या श्मशान में नहीं जाना चाहिए।
4. जब आपको यह लगे कि घर पर सुटक या श्यावड के दिन हैं तो आप रुद्राक्ष को निकालकर पूजा की जगह पर रख दें और दिनों के टल जाने के बाद गंगाजल से पवित्र करने के बाद फिर से इसे धारण कर लें।
5. रुद्राक्ष को धारण करने के बाद आप कभी भी अशुद्ध या मिट्टी के हाथों से रुद्राक्ष को न छुएं।
6. अगर आप प्रतिदिन इसे धारण करके नहीं रख सकते तो अपने पूजा के कमरे में किसी छोटे डब्बे में में रखकर इसकी पूजा कर सकते हैं।
7. रुद्राक्ष को सिर्फ अपने परिश्रम के पैसे से ही खरीदें उधार पैसे लेकर खरीदें क्योंकि ऐसे रुद्राक्ष धारण करने से कोई लाभ नहीं होता है।
8. रुद्राक्ष को धारण करने के बाद आप यह देख लें कि जिस धागे या कड़ी से रुद्राक्ष जुड़ा हुआ है वह मजबूत और स्वच्छ हो लेकिन इसके कमजोर न हो। अगर धागा कमजोर हो जाए तो कुछ समय के बाद इसे बदल दें।
9. प्रतिदिन रुद्राक्ष की माला को साफ करें और इसके छिंद्रों में धूल या गंदगी जमा न होने दें। इसकी सफाई करने के बाद इसके पवित्र पानी या गंगाजल से धो लें। रुद्राक्ष की हल्के हाथों से तेल लगाकर सफाई करें और सफाई के बाद थोड़ी देर धूप के सामने रखकर प्रार्थना करें।
10. कभी भी किसी भी दुसरे व्यक्ति से अपने रुद्राक्ष को बदलना नहीं चाहिए।
11. रुद्राक्ष को सदैव चांदी, सोने या तांबे में पहनना चाहिए लेकिन बहुत से लोग इसे धागे में पहनना पसंद करते हैं।
12. जिस कमरे में बच्चे का जन्म हुआ होता है वहां पर रुद्राक्ष पहनकर नहीं जाना चाहिए।
13. स्त्री और पुरुष के बीच शारीरिक संबंध बनते समय रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए।