स्वस्थ रहने के नियम :-
अच्छे स्वास्थ्य और लंबी जिंदगी के लिए योगाभ्यास तो जरूरी है ही पर इसके अतिरिक्त कुछ सामान्य नियमों और सावधानियों का पालन भी आवश्यक है। इन नियमों-सावधानियों व जानकारियों के पालन से दिनचर्या व्यवस्थित होने लगती है और हम लंबे समय तक युवा बने रह सकते हैं शोध से पता चला है कि अच्छी और सक्रिय जीवनशैली का फायदा उम्र के किसी भी पड़ाव में मिल सकता है। दिनचर्या में थोड़ा-सा व आसान परिवर्तन आपको स्वस्थ व दीर्घायु बना सकता है। बशर्ते आप कुछ चीजों को जीवनभर के लिए अपना लें और कुछ त्याज्य चीजों को हमेशा के लिए दूर कर दें।
पहला नियम :-
सबसे पहले हमारी दिनचर्या होती जागने से तो हमको सुबह 4 बिस्तर छोड़ देना चाहिय | आपको जागने के तुरंत बाद ही कम कम से 1 लोटा ताजा पानी पीना चाहिये वो भी तोएलेट करने से पहले गर्मियों मैं आप ताजा पानी पी सकते हैं और श्रद्द रितु मैं आप गुनगुना पानी पी सकते हैं |
दूसरा नियम :-
दूसरा नियम ये है की जो आपको पानी पीना है वो पानी आपको घूँट – घूँट करके पीना है यानी की शिप शिप करके पीना है |
घूँट – घूँट करके पीने का कारण :- जब सुबह हम जागते हैं तो जो हमारे मुहं मैं लार बनती है वो छारिय होती है और हमारे पेट मैं अम्ल बनता है जब हम पानी पीते हैं घूँट घूँट करके तो थोडा थोडा छार पानी के जरिये पेट मैं जाता है जब अम्ल और छार आपस मैं मिलते है पेट सुन्य हो जाता है | तो जो भी हमारे पेट मैं गंदगी होती है वो सब बहार निकल आती है फ्रेश होने के माध्यम से और तोएलेट के माध्यम से क्यूंकि पेट साफ़ तो सभी रोग साफ़ |
तीसरा नियम :-
फिर सुबह -सुबह 2-3 मील तक रोज टहलें | अगर आप बच्चे हैं तो दौड़ भी कर सकते हैं | अगर बुजुर्ग हैं तो टहलें या फिर जोगिंग करें | टहलने के अलावा, दौड़ना, साइकिल चलाना, घुड़सवारी, तैरना या कोई भी खेलकूद, व्यायाम के अच्छे उपाय हैं। स्त्रियां चक्की पीसना, बिलौना बिलोना, रस्सीकूदना, पानी भरना, झाड़ू- पोछा लगाना आदि घर के कामों में भी अच्छा व्यायाम कर सकती हैं। और प्राणायाम जैसे आलोम विलोम , कपालभाती इत्यादि करें |
कारण :- क्यूंकि सुबह जब इसे हम व्यायाम करते हैं तो हमारे सरीर से पसीना निकलता है जो की गंदा होता है तो उस पसीने के जरिये हमारी बहुत सी बिमारी निकल जाती है | जिससे की सरीर स्वस्थ रहता है |
चौथा नियम :-
भूक लगने पर ही भोजन करना चाहिए बिना भूक के हमें कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए |
कारण :- क्यूंकि जब हम बिना भूक के भोजन करते हैं तो जो हमारी पाचन क्रिया यानी डायिजेस्तिव सिस्टम मंद पद जाता है | जिससे की हमको भूक नहीं लगती |
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पांचवा नियम :-
भोजन करने के बाद पानी कभी भी नहीं पीना चाहिए | भोजन करने के कम से कम 45 मिनट तक पानी नहीं पीना चाहिए और 45 मिनट बाद पानी जरूर पीना चाहिए | हमारे ऋषि मुनियों ने भी कहा है भोजन के अंत मैं जल पीना विष के समान है |
कारण :- क्यूंकि जब हम भोजन करते हैं तो हमारे पेट मैं एक अग्नि जलती है जिसे बोलते हैं जठराग्नि | इसका काम भोजन को पचाना होता है | जब हम भोजन के तुरंत बाद पानी पी लेते हैं तो मंद पद जाती है अथवा बुझ जाती है जिससे फिर हमारा किया हुआ भोजन पचता नहीं है बल्कि सड़ता है | इसलिए हमको 45 मिनट बाद पानी पीना चाहिए क्यूंकि जब 45 मिनट के अंदर ये हमारे भोजन को पचा देती है तो उसे रश मैं बदलने के लिए पानी की आव्स्यक्यता होती है इसलिए हमको 45 मिनट बाद पानी जरूर पीना चाहिए |
छठा नियम :-
कभी भी हमको ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए जैसे फ्रिज मैं रखा हुआ पानी क्यूंकि ठंडा पानी हमारे सरीर पर बहुत प्रभाव डालता है|
कारण :- हमारा पेट गर्म होता है जब ये ठंडा या फ्रिज का पानी पेट मैं जाता है तो पेट को वह पानी गर्म करना पड़ता है ठंडे पानी को गर्म करने के लिए शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है और रक्त संचार भी अधिक करना पड़ता है तथा ठंडा पानी हमारे शरीर में बनने वाले पाचक रस का तापमान भी कम कर देता है जिससे भोजन के पाचन में कठिनाई होती है| अगर ये पानी ठंडा नही होता तो हमारी किडनी , लीवर इत्यादि ख़राब भी हो सकतें है | इसलिए हमको ठंडे पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए |
सातवाँ नियम :-
साम के भोजन करने के पश्चात हमको 1km तक टहलना चाहिए |
कारण :- साम को जब हम भोजन करते हैं तो वो पचना चाहिए तो इसलिए हमको हमको साम को टहलना चाहिए |
आठवा नियम :
भोजन हमेसा चबा चबा कर खाना चाहिए अधचबा भोजन नहीं सटकना चाहिये |
कारण :- क्यूंकि जब हम भोजन चबा चबा कर नहीं करते तो उस भोजन को पचने मैं बहुत समय लगता है |
नवां नियम :-
एक दुसरे के विरुद्ध खानों का सेवन नहीं करना चाहिए | जैसे दूध-दही , खीर – मठ्ठा इत्यादि |
कारण :- क्यूंकि एसा करने से पाचन क्रिया पर प्रभाव पड़ता है जिससे की कभी कभी पेट मैं दर्द होने लगता है और उल्टियाँ भी आ जाती है |
दसवां नियम :-
पानी कभी भी खड़े होकर पीना नहीं पीना चाहिए | हमेसा बैठ कर पानी पीना चाहिए |
कारण :- क्यूंकि खड़े होकर पानी पीने से घुटना ख़राब हो जाते हैं अथार्त घुटनों की बिमारी हो जाती है | इसलिए हमें बैठ कर पानी पीना चाहिए |
अन्य नियम :-
1. भूख से कम खाओ अथवा आधा पेट खाओ, चौथाई पानी के लिए एवं चौथाई पेट हवा के लिए खाली छोड़ो।
2. भोजन में रोज अंकुरित अन्न अवश्य शामिल करो। अंकुरित अन्न में पौष्टिकता एवं खनिज लवण गुणात्मक मात्रा में बढ़ जाते हैं।
3. मौसम की ताजा हरी सब्जी और ताजे फल खूब खाओ। जितना हो सके कच्चे खाओ अन्यथा आधी उबली/ उबली तथा कम मिर्च- मसाले, खटाई की सब्जियां खाओ।
4. दोपहर भोजन के थोड़ी देर बाद छाछ और रात को सोने के पहले उष्ण दूध अमृत समान है।
5. जल्दी सोंये ताकि सुबह भोर में उठ सकें ।
6. शरीर को हमेशा सीधा रखें यानी बैठें तो तनकर, चलें तो तनकर, खड़े रहें तो तनकर अर्थात शरीर हमेशा चुस्त रखें।
7. पैदल यात्रा करनी चाहिये इससे मांसपेशियों का व्यायाम होगा, जिससे आप निरोगी भी रहेंगे |
8. खड़े होकर मूत्र त्याग से रीढ़ की हड्डी के रोग होने की सम्भावना रहती है. इसी प्रकार खड़े होकर पानी पीने से जोड़ों के रोग ऑर्थरिटिस आदि हो जाते हैं.
9. नहाने के कुछ पहले एक गिलास सादा पानी पियें. यह हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से बहुत हद तक दूर रखेगा.
10. सिगरेट तम्बाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने से प्रत्येक बार मस्तिष्क की हजारों कोशिकाएं नष्ट हो जाती है इनका पुनर्निर्माण कभी नहीं होता.
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