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उज्जायी प्राणायाम : विधि और लाभ How to do Ujjayi Pranayama in hindi

उज्जायी प्राणायाम क्या है :

‘उज्जायी’ शब्द का अर्थ होता है- विजयी या जीतने वाला। इस प्राणायाम के अभ्यास से वायु को जीता जाता है। अथार्त उज्जयी प्राणायाम से हम अपनी सांसो पर विजय पा सकते हैं और इसलिए इस प्राणायाम को अंग्रेजी में Victorious breath कहा जाता हैं। जब इस प्राणायाम को किया जाता है तो शरीर में गर्म वायु प्रवेश करती है और दूषित वायु निकलती है। उज्जायी प्राणायाम को करते समय समुद्र के समान ध्वनि आती है इसलिए इसे ओसियन ब्रीथ के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रणायाम का अभ्यास शर्दी को दूर करने के लिए किया जाता है। इसका अभ्यास तीन प्रकार से किया जा सकता है- खड़े होकर, लेटकर तथा बैठकर।

खड़े होकर करने की विधि :-

1- सबसे पहले सावधान कि अवस्था में खड़े हो जाएँ। ध्यान रहे की एड़ी मिली हो और दोनों पंजे फैले हुए हों।

2- अब अपनी जीभ को नाली की तरह बनाकर होटों के बीच से हल्का सा बाहर निकालें।

3- अब बाहर नीकली हुई जीभ से अन्दर की वायु को बहार निकालें।

4- अब अपनी दोनों नासिकायों से धीरे- धीरे व् गहरी स्वास लें।

5- अब स्वांस को जितना हो सके इतनी देर तक अंदर रखें।

6- फिर अपने शरीर को थोडा ढीला छोड़कर श्वास को धीरे -धीरे बहार निकाल दें।

7- ऐसे ही इस क्रिया को 7-8 बार तक दोहरायें।

8- ध्यान रहे की इसका अभ्यास 24 घंटे में एक ही बार करें।

बैठकर करने की विधि :-

1- सबसे पहले किसी समतल और स्वच्छ  जमीन पर चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन, सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं।

2- अब अपनी दोनों नासिका छिद्रों से साँस को अंदर की ओर खीचें इतना खींचे की हवा फेफड़ों में भर जाये।

3- फिर वायु को जितना हो सके अंदर रोके।

4- फिर नाक के दायें छिद्र को बंद करके, बायें छिद्र से साँस को बहार निकाले।

5- वायु को अंदर खींचते और बाहर छोड़ते समय कंठ को संकुचित करते हुए ध्वनि करेंगे, जैसे हलके घर्राटों की तरह या समुद्र के पास जो एक ध्वनि आती है।

6- इसका अभ्यास कम से कम 10 मिनट तक करें।

लेटकर करने की विधि :-

1- सबसे पहले किसी समतल जमीन पर दरी बिछाकर उस पर सीधे लेट जाए। अपने दोनों पैरों को सटाकर रखें।

2- अब अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें।

3- अब धीरे – धीरे लम्बी व् गहरी श्वास लें।

4- अब श्वास को जितना हो सके इतनी देर तक अंदर रखें।

5- फिर अपने शरीर को थोडा ढीला छोड़कर श्वास को धीरे -धीरे बहार निकाल दें।

6- इसी क्रिया को कम से कम 7-8 बार दोहोरायें।

यह भी पढ़ें :-  Bahya Pranayama in hindi , Kapalbhati Pranayama in hindi

उज्जायी प्राणायाम करने की समय व् अविधि :-

इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। सांस अंदर लेने का समय करीब 5-7 सेकंड तक का होना चाहिए और बाहर छोड़ने का समय 15-20 सेकंड तक का होना चाहिए।

उज्जायी प्राणायाम के लाभ :-

1-इन रोगों में फायदेमंद :- इस प्रणायाम के नियमित अभ्यास से कफ रोग, अजीर्ण, गैस की समस्या दूर होती है। ये सभी रोग पेट से ही होते हैं अगर हम इस प्राणायाम को नियमित रूप से करते हैं तो आपका पेट साफ़ रहता है और आप इन रोगों से बच जाते हैं।

2-ह्रदय रोगों में फायदेमंद :-  इस प्राणायाम के अभ्यास से हम ह्रदय के ज्यादातर सभी रोगों को नष्ट कर सकते हैं क्यूंकि ह्रदय से भी हमारे बहुत से रोग उत्पन्न होते हैं जैसे हर्ट अटैक, ब्लोकैज इत्यादि। अगर हमारा ह्रदय सही है तो हम इन रोगों से छुटकारा पा सकते हैं।

3-स्वास व् साइनस रोग में फायदेमंद :- यह प्राणायाम श्वास रोग और साइनस में लाभदायक होता है। साइनस नाक का एक रोग है। आयुर्वेद में इसे प्रतिश्याय नाम से जाना जाता है। सर्दी के मौसम में नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना, नाक से पानी गिरना इस रोग के लक्षण हैं। इसमें रोगी को हल्का बुखार, आंखों में पलकों के ऊपर या दोनों किनारों पर दर्द रहता है।

4-कुण्डलिनी शक्ति जागरण हेतु :- यह कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने में सहयोग करता है। कुंडलिनी जाग्रत होने से ऊर्जा का एक पूरी तरह से नया स्तर जीवंत होने लगता है, और आपका शरीर और बाकी सब कुछ भी बिल्कुल अलग तरीके से काम करने लगता है।

5-Hypothyroidism में फायदेमंद :- Hypothyroidism से पीड़ित व्यक्तिओ के लिए यह प्राणायाम बहुत ही लाभदायक है। हाइपोथायरायडिज्म या अवटु अल्पक्रियता मनुष्य और जानवरों में एक रोग की स्थिति है जो थायरॉयड ग्रंथि से थायरॉयड हॉर्मोन के अपर्याप्त उत्पादन के कारण होती है। अवटुवामनता (Cretinism) हाइपोथायरायडिज्म का ही एक रूप है जो छोटे बच्चों में पाया जाता है।

6-खर्राटे में फायदेमंद :- खर्राटों की समस्या में लाभ मिलता है। जब सोते हुए व्यक्ति के नाक से अपेक्षाकृत तेज आवाज निकलती है तो इसे खर्राटे लेना (snoring) कहते हैं। इसे ‘ओब्स्टृक्टिव स्लीप अप्निया’ कहा जाता है; अर्थात नींद में आपकी साँस में अवरोध उत्पन्न होता है।

7-दमा और TB में फायदेमंद :-  इसको करने से दमा और TB से पीड़ित व्यक्तिओ को लाभ मिलता है। अस्थमा (दमा) श्वसन मार्ग का एक आम जीर्ण सूजन disease वाला रोग है जिसे चर व आवर्ती लक्षणों, प्रतिवर्ती श्वसन बाधा और श्वसनी-आकर्षसे पहचाना जाता है।

8-दूषित पधार्तों को बहार करने के लिए :-  उज्जयी प्राणायाम से शरीर के दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं और इस लिए यह मुंहासो से पीड़ित व्यक्तिओ में लाभकर हैं।

9-पेट की चर्बी को करता है कम :- यह प्राणायाम पेट की चर्बी को कम करने में हमारी मदद करता है। पेट की चर्बी या शरीर के अन्य भागों की चर्बी, वसा की एक विशेष रूप से हानिकारक प्रकार है जो आपके अंगों के आसपास जमा होती है।

10-पीठदर्द में फायदेमंद :- पीठदर्द से परेशान व्यक्तियों के लिए ये प्राणयाम बहुत ही मददगार हैं। पीठ दर्द (“डोर्सलाजिया ” के नाम से भी जाना जाता है) पीठ में होनेवाला वह दर्द है, जो आम तौर पर मांसपेशियों, तंत्रिका, हड्डियों, जोड़ों या रीढ़ की अन्य संरचनाओं में महसूस किया जाता है।

11-मन व् दिमाग को करे शांत :- इसके नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव दूर होकर मन शांत होता है। चिकित्सा शास्त्र डिप्रेशन का कारण मस्तिष्क में सिरोटोनीन, नार-एड्रीनलीन तथा डोपामिन आदि न्यूरो ट्रांसमीटर की कमी मानता है। तो आप इन सब से छुटकारा पाने के लिए भ्रामरी प्राणायाम को करें।

12-फेफड़ों को मजबूत बनता है :- इसका सबसे अच्छा फायदा ये है की ये हमारे फेफड़ों को मजबूत बनता है। फेफड़े हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं। इंसान हर रोज करीब 20 हजार बार सांस लेता है और हर सांस के साथ जितनी ज्यादा ऑक्सीजन शरीर के अंदर पहुंचती है, शरीर उतना ही सेहतमंद बना रहता है। इसके लिए जरूरी है कि फेफड़ेे स्वस्थ रहें। इस प्राणायाम से आपके फेफड़े मजबूत होते हैं और उनकी प्राणवायु लेने की क्षमता में वृद्धि होती हैं।

13-खून का संचार ठीक से होता है :- उज्जयी प्राणायाम को करने से खून का संचार ठीक से होता है। अगर हमारा रक्‍त संचार सामान्‍य रहे तो दिल की बीमारियां न हों और न ही दूसरी बीमारियां, लेकिन कई कारक ऐसे भी हैं जिनसे ब्‍लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

14-पाचन क्रिया को ठीक रखता है :- इस प्राणायाम से पाचन क्रिया अच्छी बनी रहती है और यह श्वसन प्रणाली को भी सेहतमंद बनाये रखता है पाचन वह क्रिया है जिसमें भोजन को यांत्रि‍कीय और रासायनिक रूप से छोटे छोटे घटकों में विभाजित कर दिया जाता है ताकि उन्हें, उदाहरण के लिए, रक्तधारा में अवशोषित किया जा सके. पाचन एक प्रकार की अपचय क्रिया है: जिसमें आहार के बड़े अणुओं को छोटे-छोटे अणुओं में बदल दिया जाता है।

15-थायरॉईड ग्रंथि में फायदेमंद :-  यह प्राणायाम थायराइड ग्रंथि के रोग को भी यह दूर करता है और उसको स्वस्थ बनाए रखता है।थायराइड शरीर मे पाए जाने वाले एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। इसका आकार तितली जैसा होता है। थायराइड ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है। इस लेख को पढ़ें और थायराइड ग्रंथि के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें।

16-नाड़ी सम्बंधित विकार दूर होते हैं :-  यह नाड़ी से सम्बंधित विकार को दूर करता है और ऊर्जा के प्रवाह में मदद करता है। और साथ ही गर्दन में मौजूद पैराथाइरॉइड को भी स्वस्थ रखता है।

17-मस्तिष्क से गर्मी को दूर करता है :- उज्जयी प्राणायाम मस्तिष्क से गर्मी दूर कर इसे ठंड पहुँचता है।मस्तिष्क (दिमाग), मेरुदण्ड और तंत्रिकाएँ (नसें) मिलकर तंत्रिका तंत्र बनाते हैं। यह एक जटिल तंत्र है। इसमें पर्यावरण में होने वाले परिर्वतन जैसे गरमी, ठंड, और सारे शरीर के भीतर के सामान्य जैसे भूख, प्यास आदी और असामान्य संवेदन दर्द,उल्टी आदी के बारे में जानकारी इकट्ठी होती है।

उज्जयी प्राणायाम करते समय सावधानियां :-

यह प्राणायाम हमेशा खाली पेट करना चाहिए । इस प्राणयाम की अविधि एक साथ नहीं बढानी चाहिए। इस प्राणायाम में साँसे गले की नली को छुकर जानी चाहिए। सिर दर्द व् चक्कर आने पर यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए। ज्यादा जोर लगाकर आवाज़ न करें, अन्यथा गले में खराश हो जाएगी। इस प्राणायाम का अभ्यास साफ-स्वच्छ हवा बहाव वाले स्थान पर करें।

English में यहाँ से जाने –  Ujjayi Pranayama – The Psychic Breath Technique

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