• Home
  • IPO GMP
  • K.G. Classes
  • Hindi Vyakaran
  • हिंदी निबंध
  • Yoga
    • Yoga In Hindi
    • Yoga In English
    • Mantra
    • Chalisa
  • Vocabulary
    • Daily Use Vocabulary
    • Daily Use English Words
    • Vocabulary Words
  • More
    • Blogging
    • Technical Knowledge In Hindi
    • Tongue Twisters
    • Tenses in Hindi and English
    • Hindu Baby Names
      • Hindu Baby Boy Names
      • Hindu Baby Girl Names
    • ADVERTISE HERE
    • Contact Us
    • Learn Spanish

hindimeaning.com

वायु प्रदूषण पर निबंध-Essay On Air Pollution In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)

वायु प्रदूषण पर निबंध-Essay On Air Pollution In Hindi

वायु प्रदूषण पर निबंध 1 (100 शब्द)

वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है। वायु प्रदूषण के कारण ओज़ोन परत भी बहुत अधिक प्रभावित हो रही है जो पर्यावरण में गंभीर व्यवधान का कारण बन रही है। मनुष्य की हमेशा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उनकी आवश्यकता में भी वृद्धि हो रही है जो प्रदूषण का मुख्य कारण है।

मनुष्य की दैनिक गतिविधियाँ बहुत से खतरनाक रसायनों, वातावरण को गंदा करने का कारण होती है, जो जलवायु में नकारात्मक परिवर्तन के लिये मजबूर करती है। औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया में कई हानिकारक गैसों, कणों, पेंट और बैट्रियों का आक्रामक संचालन, सिगरेट, आदि कार्बन मोनो ऑक्साइड, परिवहन के साधन कार्बन डाई ऑक्साइड और अन्य ज़हरीली पदार्थों को वातावरण में छोड़ते हैं।

वायु प्रदूषण पर निबंध 2 (200 शब्द)

वायु प्राणियों के जीवन का आधार होता है। वायुमंडल पर्यावरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। मानव जीवन के लिए वायु का होना बहुत ही आवश्यक होता है। बिना वायु के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदूषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है।

वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन भयानक रूप लेती जा रही है। पिछले कई सालों से हर नगर में कारखानों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है जिसकी वजह से वायुमंडल बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। प्रदूषण की वजह से 2015 में 11 लाख लोगों की मौत हो गयी थी। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पर्यावर्णीय हवा का होना बहुत जरूरी होता है।

जब हवा की संरचना में परिवर्तन होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है। हमें कोई ऐसा कार्य नहीं करना है जिससे किसी भी प्रकार का प्रदूषण फैले, और वायु प्रदूषण ही नहीं और भी प्रदूषण जैसे कि जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को कम करें क्योंकि सभी प्रदूषण से पृथ्वी के जीवन को खतरा ही है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 3 (300 शब्द)

भूमिका : वायु प्राणियों के जीवन का आधार होता है। वायुमंडल पर्यावरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। मानव जीवन के लिए वायु का होना बहुत ही आवश्यक होता है। बिना वायु के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदूषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है।

वायु प्रदूषण का अर्थ : वायु प्रदूषण का अर्थ होता है वायु में अनावश्यक रूप से कुछ तत्वों के मिल जाने से वायु का प्रदूषित हो जाना। जब किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ जैसे – रसायन, सूक्ष्म पदार्थ या फिर जैविक पदार्थ वातावरण में मिलते हैं तो वायु प्रदूषण होता है।

जब वायु में धूल, धुआं, विषाक्त, गैस, रासायनिक वाष्पों, वैज्ञानिक प्रयोगों की वजह से आंतरिक संरचना प्रभावित हो जाती है अथार्त विजातीय पदार्थों की अधिकता होने पर जब वायु, मनुष्य और उसके पर्यावरण के लिए हानिकारक हो जाते हैं तो इस स्थिति को वायु प्रदूषण कहते हैं।

उपसंहार: वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावर्णीय समस्याओं में से एक है जिस पर ध्यान देने के साथ ही सभी के सामूहिक प्रयासों से सुलझाने की जरूरत है। उपयोगितावाद के हाथों से प्राकृतिक साधनों का अँधा-धुंध दोहन हुआ है जिसकी वजह से वातावरण में लगातार प्रदूषण बढ़ता गया है।

कहने को तो सभी प्रदूषण का प्रभाव हानिकारक होता है लेकिन वायु प्रदूषण का प्रभाव बहुत अधिक व्यापक होता है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हमें अधिक-से-अधिक पेड़ लगाने होंगे।

वायु प्रदूषण पर निबंध 4 (400 शब्द)

भूमिका : बिना वायु के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदूषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है।वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन भयानक रूप लेती जा रही है। पिछले कई सालों से हर नगर में कारखानों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है जिसकी वजह से वायुमंडल बहुत अधिक प्रभावित हुआ है।

प्रदूषण की वजह से 2015 में 11 लाख लोगों की मौत हो गयी थी। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पर्यावर्णीय हवा का होना बहुत जरूरी होता है। जब हवा की संरचना में परिवर्तन होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है।

जन जागरण की आवश्यकता : किसी भी प्रकार के प्रदूषण पर हमें अगर नियंत्रण पाना है, तो लोगों को प्रदूषण के बारे में पता होना चाहिए। हमें रेलिया निकालकर प्रदूषण के बारे में लोगों को सचेत तथा जागरूक करना चाहिए। स्कूलों में प्रदूषण के बारे में पाठ्यक्रम शामिल होना चाहिए जिससे बचपन से ही बच्चों को पता हो की किस काम को करने से प्रदूषण फैलता है।

हमें गांवों में जाकर नुक्कड़-नाटकों की सहायता से लोगों को समझाना चाहिए कि प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। तब जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकते हैं।

वायु प्रदूषण के नुकसान : वायु प्रदूषण के बहुत ही ज्यादा नुकसान है अगर वायु प्रदूषण बढ़ जाता है तो सभी जीव जंतुओं का सांस लेना मुश्किल हो जाएगा और पेड़ पौधे भी खत्म होने लगेंगे वायु प्रदूषण के कारण कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होंगी जिनका इलाज हो पाना मुश्किल होगा और जब जीव जंतुओं का इलाज नहीं हो पाएगा तो उनकी मृत्यु हो जाएगी।

वर्तमान समय में भी कई शहरों में इतना ज्यादा प्रदूषण हो गया है की खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है जैसे कि हमारे भारत देश के दिल्ली में बहुत ही ज्यादा  प्रदूषण हो गया है।

उपसंहार: प्रदूषण की समस्या पर अच्छे-अच्छे निबंध, लेख, भाषण, स्लोगन आदि लिखने से या बच्चों के सामने बड़ी-बड़ी बाते करने से प्रदूषण की समस्या का इलाज नहीं किया जा सकता है।

प्रदूषण का इलाज तभी संभव है जब हम खुद जागरूक होंगे और अपने से ही इसे खत्म करने की शुरुआत करेंगे। जमीनी स्तर पर कार्य करके ही हम अपनी प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा कर पाएंगे और आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर भविष्य दे पाएंगे।

वायु प्रदूषण पर निबंध 5 (500 शब्द)

भूमिका : वायु प्राणियों के जीवन का आधार होता है। वायुमंडल पर्यावरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। मानव जीवन के लिए वायु का होना बहुत ही आवश्यक होता है। बिना वायु के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदूषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है।

वायु प्रदूषण का कारण : वायु प्रदूषण के इतना अधिक बढने का कारण उद्योगों का व्यापक प्रसार, धुआं छोड़ने वाले वाहनों की संख्या में वृद्धि और घरेलू उपयोगों के लिए ऊर्जा के स्त्रोतों का अधिक मात्रा में दोहन होना है। पर्यावरण की ताजी हवा दिन-प्रतिदिन विभिक्त, जैविक अणुओं, और कई प्रकार के हानिकारक सामग्री के मिलने की वजह से दूषित हो रही है।

संसार की बढती हुयी जनसंख्या ने प्राकृतिक संसाधनों का अधिक प्रयोग किया है। औद्योगीकरण की वजह से बड़े-बड़े शहर बंजर बनते जा रहे हैं। वाहनों और कारखानों से जो धुआं निकलता है उसमें सल्फर-डाई-आक्साइड की मात्रा होती है जो पहले सल्फाइड और बाद में सल्फ्यूरिक अम्ल में बदलकर बूंदों के रूप में वायु में रह जाती है।

वायु प्रदूषण की रोकथाम : वायु से दूषित करने वाले तत्वों को हटाकर वायु को दूषित होने से बचाया जा सकता है। हम वन संरक्षण और वृक्षारोपण से भी वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं। जलाऊ लकड़ी की जगह पर ऊर्जा के अन्य विकल्पों को ढूँढना चाहिए। कचरे का उपयुक्त विधि से निवारण करना चाहिए।

सरकारी वनरोपण को प्रोत्साहन देना चाहिए। औद्योगिक संस्थानों को आवासी जगहों से दूर बसाना चाहिए। वाहन को चलाते समय मास्क या चश्मे का प्रयोग करना चाहिए। सरकार को घर पर बैठकर काम करने वाली नीतियों का प्रयोग करना चाहिए। जितना हो सके उतना साइकिल का प्रयोग करना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण न हो।

वायु प्रदूषण की संकेतात्मक प्रक्रिया : हमारी वायु में नाइट्रोजन, आक्सीजन, कार्बन-डाई-आक्साइड, कार्बन-मोनों आक्साइड आदि बहुत सी गैसे विद्यमान होती हैं। वायुमंडल में इनकी मात्रा निश्चित होती है। धूम्र सूचकांक की सहायता से वायु को एक कागज के टेप पर गुजारते हैं और विद्युत् प्रकाशीय मापी से हम घनत्व का पता लगा सकते हैं।

निलंबित और वायु में तैरते हुए पदार्थों की विधि से वातावरण में धूल और कालिख की मात्रा को नापा जा सकता है। वायु में पदार्थों की सहायता से वायु संरचना की स्थिति को ज्ञान किया जा सकता है। गैसों की मात्रा में अगर इनके अनुपात के संतुलन में कोई परिवर्तन होता है तो वायुमंडल अशुद्ध हो जाता है जिसकी वजह से वायु प्रदूषित हो जाती है।

उपसंहार: हमें कोई ऐसा कार्य नहीं करना है जिससे किसी भी प्रकार का प्रदूषण फैले, और वायु प्रदूषण ही नहीं और भी प्रदूषण जैसे कि जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को कम करें क्योंकि सभी प्रदूषण से पृथ्वी के जीवन को खतरा ही है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 6 (700 शब्द)

भूमिका : वायु से हमारा तात्पर्य हवा या पवन से है। वायु से ही हमें ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जो पृथ्वी पर जीवन यापन के लिए सबसे ज़रूरी है। फिर चाहे वह कोई मनुष्य हो, पेड़-पौधे हों या जीव-जन्तु हों। सभी को जीवित रहने के लिए शुद्ध और स्वस्च्छ वायु की ज़रूरत है। लेकिन क्या आज हम साफ हवा में सांस ले पा रहे हैं? हमें क्यों पेड़-पौधों से मिलने वाली प्राकृतिक ऑक्सीजन के बावजूद भी सिलेंडर वाले ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ती है।

वायु प्रदूषण का अर्थ : वायु पृथ्वी पर जीवन का एक आवश्यक तत्व है। इसी से प्राणियों एवं जीव-जंतुओं को ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जो जीवन का आधार है और इसी से वनस्पति को कार्बन-डाई-ऑक्साइड मिलती है जिससे उसका पोषण होता है। वायु मण्डल एक कम्बल के समान है, जिसके न होने से तापमान अधिक या अति न्यून हो जाएगा। वायु मण्डल ही हमारी अल्ट्रावायलेट किरणों से रक्षा करता है और उल्काओं को जला कर नष्ट कर देता है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव : हवा दूषित होने की वजह से कई दुष्परिणाम भी है जिनमें सबसे प्रमुख सांस लेने में होने वाली समस्याएं हैं। यह पूरी तरह से जीवन को प्रभावित करती है। जीव जंतु और मनुष्य के जीने और मरने की वजह होती है।

दूषित हवा सांस के रूप में लेने से इंसान गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। इसके अलावा कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, बहुत ही जहरीली गैस हैं जो हवा में मिल जाने से सभी जीव जंतुओं के लिए बहुत हानिकारक है।

स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव : वायु प्रदूषण के कारण होने वाले स्वास्थ्य समस्याओं में सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, खाँसी, अस्थमा और श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों का बिगड़ना शामिल हो सकता है। वायु प्रदूषण के कारण खराब हुई वायु गुणवत्ता के मानव स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं, लेकिन मुख्य रूप से शरीर की श्वसन प्रणाली और हृदय प्रणाली पर अधिक प्रभाव पड़ता है।

वायु प्रदूषकों के प्रति व्यक्ति विशेष पर पड़ने वाला असर संपर्क में आने वाले प्रदूषक के प्रकार, उस वातावरण में बिताए गए समय, व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आनुवंशिकी पर निर्भर करता है।

वायु प्रदूषण के सबसे आम स्रोतों में निलंबित कण, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड आदि आते हैं। घर के अंदर और बाहर वायु प्रदूषण की स्थिति के कारण होने वाली कुल मौतों को देखते हुए विकासशील देशों में रहने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।

वायु प्रदूषण की प्रकृति : जीव मण्डल का आधार वायु है। वायु में उपस्थित ऑक्सीजन पर ही जीवन निर्भर है। प्राणी वायुमण्डल से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन-डाई-ऑक्साइड निष्कासित करते हैं, जिसे हरे पौधे ग्रहण कर लेते हैं और एक संतुलित चक्र चलता रहता है।

किंतु इस संतुलन में उस समय रुकावट आ जाती है जब उद्योगों, वाहनों एवं अन्य घरेलू उपयोगों से निकलता धुआँ एवं अन्य सूक्ष्म कण, विभिन्न प्रकार के रसायनों से उत्पन्न विषैली गैस, धूल के कण, रेडियोधर्मी पदार्थ आदि वायु में प्रवेश करके, स्वास्थ्य के लिये ही नहीं अपितु समस्त जीव-जगत् के लिए हानिकारक बना देते हैं। यही वायु प्रदूषण या वायु मण्डलीय प्रदूषण कहलाता है।

प्रदूषण रोकने के उपाय : वायु प्रदूषण को अगर समय रहते अनियंत्रित ना किया गया तो यह पूरी मानव सभ्यता के लिए घातक साबित हो जाएगी हम जो इंधन इस्तेमाल करते हैं अगर उससे प्रदूषित गैस निकलती है तो इसे कम से कम जलाने की कोशिश करनी चाहिए।

कचरे को जलाने से अच्छा है कि उसे जमीन में किसी जगह में दफना दिया जाए। निजी वाहनों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिससे नियंत्रण करना जरूरी है। इसकी जगह अगर लोग पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन का इस्तेमाल करें वह ज्यादा बेहतर होगा।

उपसंहार : प्रदूषण की समस्या पर अच्छे-अच्छे निबंध, लेख, भाषण, स्लोगन आदि लिखने से या बच्चों के सामने बड़ी-बड़ी बाते करने से प्रदूषण की समस्या का इलाज नहीं किया जा सकता है। प्रदूषण का इलाज तभी संभव है जब हम खुद जागरूक होंगे और अपने से ही इसे खत्म करने की शुरुआत करेंगे। जमीनी स्तर पर कार्य करके ही हम अपनी प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा कर पाएंगे और आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर भविष्य दे पाएंगे।

वायु प्रदूषण पर निबंध 7 (1000+ शब्द)

भूमिका : वायु प्राणियों के जीवन का आधार होता है। वायुमंडल पर्यावरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। मानव जीवन के लिए वायु का होना बहुत ही आवश्यक होता है। बिना वायु के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदूषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है।

वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन भयानक रूप लेती जा रही है। पिछले कई सालों से हर नगर में कारखानों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है जिसकी वजह से वायुमंडल बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। प्रदूषण की वजह से 2015 में 11 लाख लोगों की मौत हो गयी थी। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पर्यावर्णीय हवा का होना बहुत जरूरी होता है। जब हवा की संरचना में परिवर्तन होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है।

वायु प्रदूषण का अर्थ : वायु प्रदूषण का अर्थ होता है वायु में अनावश्यक रूप से कुछ तत्वों के मिल जाने से वायु का प्रदूषित हो जाना। जब किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ जैसे – रसायन, सूक्ष्म पदार्थ या फिर जैविक पदार्थ वातावरण में मिलते हैं तो वायु प्रदूषण होता है।

जब वायु में धूल, धुआं, विषाक्त, गैस, रासायनिक वाष्पों, वैज्ञानिक प्रयोगों की वजह से आंतरिक संरचना प्रभावित हो जाती है अथार्त विजातीय पदार्थों की अधिकता होने पर जब वायु, मनुष्य और उसके पर्यावरण के लिए हानिकारक हो जाते हैं तो इस स्थिति को वायु प्रदूषण कहते हैं।

वायु प्रदूषण का कारण : वायु प्रदूषण के इतना अधिक बढने का कारण उद्योगों का व्यापक प्रसार, धुआं छोड़ने वाले वाहनों की संख्या में वृद्धि और घरेलू उपयोगों के लिए ऊर्जा के स्त्रोतों का अधिक मात्रा में दोहन होना है। पर्यावरण की ताजी हवा दिन-प्रतिदिन विभिक्त, जैविक अणुओं, और कई प्रकार के हानिकारक सामग्री के मिलने की वजह से दूषित हो रही है।

संसार की बढती हुयी जनसंख्या ने प्राकृतिक संसाधनों का अधिक प्रयोग किया है। औद्योगीकरण की वजह से बड़े-बड़े शहर बंजर बनते जा रहे हैं। वाहनों और कारखानों से जो धुआं निकलता है उसमें सल्फर-डाई-आक्साइड की मात्रा होती है जो पहले सल्फाइड और बाद में सल्फ्यूरिक अम्ल में बदलकर बूंदों के रूप में वायु में रह जाती है।

कुछ रासायनिक गैसे वायुमण्डल में पहुंचकर वहाँ के ओजोन मंडल से क्रिया करके उनकी मात्रा को कम कर देते हैं जिसकी वजह से भी वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। अगर वायुमंडल में लगातार कार्बन-डाई-आक्साइड, कार्बन-मोनो-आक्साइड, नाईट्रोजन, आक्साइड, हाईड्रोकार्बन इसी तरह से मिलते रहंगे तो वायु प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर पहुंच जायेगा।

वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण कपड़ा बनाने के कारखाने, रासायनिक कारखाने, तेल शोधक कारखाने, चीनी बनाने के कारखाने, धातुकर्म और गत्ता बनाने वाले कारखाने, खाद और कीटनाशक कारखाने होते हैं। इन कारखानों से निकलने वाले कार्बन-डाई-आक्साइड, नाईट्रोजन, कार्बन-मोनो-आक्साइड, सल्फर, सीसा, बेरेलियम, जिंक, कैडमियम, पारा और धूल सीधे वायुमंडल में पहुंचते हैं जिसकी वजह से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है।

वायु प्रदूषण का एक कारण बढती हुयी जनसंख्या और लोगों का शहरों की तरफ आना भी है। लोगों के रहने के स्थान की व्यवस्था और आवास की व्यवस्था के लिए वृक्षों और वनों को लगातार काटा जाता है जिसकी वजह से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है। जब सार्वजनिक और व्यक्तिगत शौचालयों की समुचित सफाई नहीं होती है जिससे क्षेत्र विशेष में वायु प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ जाता है।

जब जानवरों की खाल को निकालकर उनके मृत शरीर को खुली जगह पर डाल दिया जाता है और उसके शरीर के सड़ने की वजह से बदबू वायु में फैलती है जिससे वायु प्रदूषण होता है। आणविक ऊर्जा, अंतरिक्ष यात्रा, परमाणु तकनीक के विकास की वजह से अथवा शोधकार्य के लिए किये जाने वाले विस्फोट या क्रिया से वातावरण को दूषित करती है।

वायु प्रदूषण की संकेतात्मक प्रक्रिया : हमारी वायु में नाइट्रोजन, आक्सीजन, कार्बन-डाई-आक्साइड, कार्बन-मोनों आक्साइड आदि बहुत सी गैसे विद्यमान होती हैं। वायुमंडल में इनकी मात्रा निश्चित होती है। धूम्र सूचकांक की सहायता से वायु को एक कागज के टेप पर गुजारते हैं और विद्युत् प्रकाशीय मापी से हम घनत्व का पता लगा सकते हैं।

निलंबित और वायु में तैरते हुए पदार्थों की विधि से वातावरण में धूल और कालिख की मात्रा को नापा जा सकता है। वायु में पदार्थों की सहायता से वायु संरचना की स्थिति को ज्ञान किया जा सकता है। गैसों की मात्रा में अगर इनके अनुपात के संतुलन में कोई परिवर्तन होता है तो वायुमंडल अशुद्ध हो जाता है जिसकी वजह से वायु प्रदूषित हो जाती है।

वायु प्रदूषण की समस्या या प्रभाव : वायु प्रदूषण के परिणाम बहुत ही घातक होते हैं क्योंकि वायु का सीधा संबंध पृथ्वी की जीवन प्रणाली से होता है। लोग अशुद्ध वायु को साँस के द्वारा अंदर लेकर अनेक तरह की बिमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। शहरों की स्थिति गांवों की अपेक्षा बहुत ही भयानक रूप ले चुकी है। इस प्रकार की दूषित वायु से स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं, बीमारी और मृत्यु का कारण हो सकती हैं।

प्रदूषण पूरे पारिस्थितिक तंत्र को लगातार नष्ट करके पेड़-पौधों और पशुओं के जीवन को बहुत ही प्रभावित किया है और अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका है। वायु में उपस्थित सल्फर-डाई-आक्साइड की वजह से दमा रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। जब सल्फर-डाई-आक्साइड बूंदों के रूप में वर्षा के समय भूमि पर गिरती है तो उससे भूमि की अम्लता बढ़ जाती है और उत्पादन क्षमता घट जाती है।

ओजोन मंडल सूर्य की हानिकारक किरणों से हमारी रक्षा करता है लेकिन जब ओजोन मंडल की कमी हो जाएगी तो त्वचा कैंसर की संभावना बढ़ जाएगी। वायु प्रदूषण के कारण लोगों की मृत्यु की संख्या में चीन पहले और भारत दूसरे नंबर पर है। वायु प्रदूषणों की वजह से भवनों, धातुओं, और स्मारकों का क्षय होता है।

जब वायु में आक्सीजन की कमी हो जाएगी तो प्राणियों को साँस लेने में तकलीफ होगी। जब कारखानों से निकलने वाले पदार्थों का अवशोषण वृक्षों के द्वारा किया जायेगा तो प्राणियों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव महानगरों पर पड़ता है।

वायु प्रदूषण की वजह से मनुष्य को श्वसन, दमा, ब्रोंकाइटिस, सिरदर्द, फेफड़े का कैंसर, खांसी, आँखों में जलन, गले में दर्द, निमोनिया, ह्रदय रोग, उल्टी, जुकाम जैसे रोगों का सामना करना पड़ता है। सल्फर-डाई-आक्साइड की वजह से एम्फायसीमा नामक रोग होने की संभावना होती है। वायु प्रदूषण का सबसे गहरा प्रभाव जीव-जंतुओं पर गंभीर रूप से पड़ता है। इसकी वजह से जीव-जंतुओं का श्वसन तंत्र और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है।

वायु प्रदूषण का समाधान : वायु प्रदूषण को कम करने के लिए बहुत जल्द ही कुछ कदम उठाने होंगे। हमें घरों, कारखानों, फैक्ट्रियों और वाहनों के धुएं को उनकी सीमा में रखना होगा और पटाखों के प्रयोग को कम करने के लिए कोशिश करनी होगी। कूड़े-कचरे को जलाने की जगह पर नियमित स्थान पर डालना होगा।

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सभी कानूनों का सख्ती से पालन करना होगा। निजी वाहनों की संख्या को कम करना होगा। सार्वजनिक वाहनों की प्रणाली की समुचित सुविधाओं पर नियंत्रण करना होगा। प्रदूषण नियंत्रण संबंधी प्रमाण पत्र की अनिवार्यता और वायु कानून का पालन करना होगा।

पर्यावरण के संरक्षण के लिए निजी संस्थानों को बाध्य करने पर नियंत्रित करना होगा। पैट्रोल, डीजल की जगह पर सौर, जल, गैस और विद्युत ऊर्जा से चलने वाले वाहनों का आविष्कार और उत्पादन करना होगा। सीसा रहित पेट्रोल के प्रयोग पर नियंत्रण करना होगा। वाहनों के दुरूपयोग पर नियंत्रण करना होगा। जंगलों की कटाई को हितोत्साहित करना होगा।

वायु प्रदूषण की रोकथाम : वायु से दूषित करने वाले तत्वों को हटाकर वायु को दूषित होने से बचाया जा सकता है। हम वन संरक्षण और वृक्षारोपण से भी वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं। जलाऊ लकड़ी की जगह पर ऊर्जा के अन्य विकल्पों को ढूँढना चाहिए। कचरे का उपयुक्त विधि से निवारण करना चाहिए।

सरकारी वनरोपण को प्रोत्साहन देना चाहिए। औद्योगिक संस्थानों को आवासी जगहों से दूर बसाना चाहिए। वाहन को चलाते समय मास्क या चश्मे का प्रयोग करना चाहिए। सरकार को घर पर बैठकर काम करने वाली नीतियों का प्रयोग करना चाहिए। जितना हो सके उतना साइकिल का प्रयोग करना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण न हो।

अपने घरों के आस-पास के पेड़ों की देखभाल और रक्षा करनी चाहिए। जब ज्यादा जरूरत न हो बिजली का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जहाँ पर आपको जरूरत है वहीं पर कूलर या पंखा चलाना चाहिए बाकि स्थानों का पंखा या कूलर बंद कर देना चाहिए। सूखे पत्तों को जलाने की जगह पर उनका खाद के रूप में प्रयोग करना चाहिए।

अपनी गाड़ी का प्रदूषण हर तीन महीने में जाँच जरुर करवानी चाहिए। हमेशा सीसायुक्त पेट्रोल का प्रयोग करना चाहिए। बाहर की जगह पर घर में प्रदूषण का प्रभाव बहुत कम होता है इसी वजह से जब बाहर प्रदूषण अधिक हो जाये तो घरों के अंदर चले जाना चाहिए।

उपसंहार: वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावर्णीय समस्याओं में से एक है जिस पर ध्यान देने के साथ ही सभी के सामूहिक प्रयासों से सुलझाने की जरूरत है। उपयोगितावाद के हाथों से प्राकृतिक साधनों का अँधा-धुंध दोहन हुआ है जिसकी वजह से वातावरण में लगातार प्रदूषण बढ़ता गया है। कहने को तो सभी प्रदूषण का प्रभाव हानिकारक होता है लेकिन वायु प्रदूषण का प्रभाव बहुत अधिक व्यापक होता है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हमें अधिक-से-अधिक पेड़ लगाने होंगे। <!– hmcommentpost([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(‘

Post Views: 3,659

Related posts:

  1. जहाँ सुमति तहँ संपति नाना पर निबंध
  2. मेरी प्रिय पुस्तक रामचरित्रमानस पर निबंध
  3. मुंशी प्रेमचंद पर निबंध-Munshi Premchand Par Nibandh
  4. चिड़ियाघर की सैर पर निबंध-Essay for Kids on Zoo in Hindi
  5. प्रातःकाल का भ्रमण पर निबंध-Paragraph On Morning Walk In Hindi
  6. विद्यार्थी और फैशन पर निबंध-Vidyarthi Aur Fashion Essay In Hindi
  7. नर हो न निराश करो मन को पर निबंध
  8. हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध-Mera Pyara Bharat Varsh Essay In Hindi
  9. नदी की आत्मकथा पर निबंध-Essay On River Biography In Hindi
  10. लोकमान्य गंगाधर तिलक पर निबंध-Bal Gangadhar Tilak In Hindi
  11. जल प्रदूषण पर निबंध-Essay On Water Pollution In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)
  12. क्रिसमस पर निबंध-Essay on Christmas In Hindi
  13. शिक्षक पर निबंध-Essay On Teacher In Hindi
  14. जल बचाओ पर निबंध-Essay On Save Water In Iindi
  15. भारतीय संस्कृति पर निबंध-Indian Culture In Hindi
  16. इंटरनेट पर निबंध-Essay On Internet In Hindi
  17. मित्रता पर निबंध-Essay On Friendship In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)
  18. दीपावली पर निबंध – Diwali Essay In Hindi
  19. समाचार पत्र पर निबंध-Essay On Newspaper In Hindi
  20. Essay On Beti Bachao Beti Padhao In Hindi For Class 5,6,7 And 8

Popular Posts

  • List of 3 forms of Verbs in English and Hindi – English Verb Forms
  • Hindi numbers 1 To 100 – Counting In Hindi – Hindi Ginti
  • ज़िन्दगी के मायने समझाते 300+ अनमोल विचार-Life Quotes In Hindi
  • Essay On Diwali In Hindi (100, 200, 300, 500, 700, 1000 Words)
  • Flower Names in Hindi and English फूलों के नाम List of Flowers
  • परिश्रम का महत्व पर निबंध-Importance Of Hard Work Essay In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)
  • Hindi Numbers 1 to 50
  • Human Body Parts Names in English and Hindi – List of Body Parts मानव शरीर के अंगों के नाम
  • Vegetables Name In Hindi and English सब्जियों के नाम List of Vegetables a-z with details

More Related Content

  • चिड़ियाघर की सैर पर निबंध-Essay for Kids on Zoo in Hindi
  • वृक्षारोपण पर निबंध-Essay on Afforestation in hindi
  • भारत के गाँव पर निबंध-Essay On Indian Village In Hindi
  • नैतिक शिक्षा पर निबंध-Essay on The Inevitability of Moral Education in Hindi
  • बसंत ऋतु पर निबंध-Essay On Basant Ritu In Hindi
  • कल्पना चावला पर निबंध-Kalpana Chawla Essay In Hindi
  • डॉ मनमोहन सिंह पर निबंध-Dr. Manmohan Singh in Hindi
  • मानव और विज्ञान पर निबंध-Science and Human Entertainment Essay In Hindi
  • विद्यार्थी और फैशन पर निबंध-Vidyarthi Aur Fashion Essay In Hindi
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली-Essay on Modern Education System in Hindi
  • नशा मुक्ति पर निबंध-Essay on Nasha Mukti In Hindi
  • बेरोजगारी की समस्या पर निबंध-Berojgari Ki Samasya Essay In Hindi
  • छुआछूत एक अभिशाप पर निबंध-Untouchability in India in Hindi
  • महंगाई पर निबंध-Mehangai Par Nibandh
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध-Hindi Essay on Paradhi Supnehu Sukh Nahi
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध
  • है अँधेरी रात पर दीपक जलाना कब मना है हिंदी निबंध
  • कुसंगति के दुष्परिणाम पर निबंध
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध-Essay On Importance Of Practice In Hindi
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध-Mera Pyara Bharat Varsh Essay In Hindi
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध-My Aim In Life Essay In Hindi
  • भारत की राजधानी–दिल्ली पर निबंध-Essay On Delhi In Hindi
  • बिजली के उपयोग पर निबंध-Essay on Importance of Electricity in Hindi
  • दूरदर्शन के लाभ, हानि और महत्व पर निबंध-Television Essay in Hindi
  • नदी की आत्मकथा पर निबंध-Essay On River Biography In Hindi
  • नरेंद्र मोदी पर निबंध-Essay On Narendra Modi In Hindi
  • झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध-Rani Laxmi Bai In Hindi
  • लोकमान्य गंगाधर तिलक पर निबंध-Bal Gangadhar Tilak In Hindi
  • सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध-Essay On Sardar Vallabhbhaipatel In Hindi
  • विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध-Essay On Science Boon Or Curse In Hindi
  • <<
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
  • >>

Copyright © 2025 · Hindimeaning.com · Contact · Privacy · Disclaimer