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दूरदर्शन के लाभ, हानि और महत्व पर निबंध-Television Essay in Hindi

दूरदर्शन के लाभ, हानि और महत्व पर निबंध-Television Essay in Hindi :

भूमिका : विज्ञान ने आज के युग में बहुत उन्नति कर ली है। विज्ञान ने अनेकों अदभुत आविष्कार किये हैं। आज का युग काम करने का युग है। आज का मनुष्य दिन भर की भाग-दौड़ की वजह से शारीरिक और मानसिक रूप से थकावट महसूस करता है। इस थकावट को दूर करने के लिए वह नवीनता की इच्छा रखता है।

शारीरिक थकावट को तो आराम करके दूर किया जा सकता है लेकिन मानसिक थकावट को दूर करने के लिए मनोरंजन की जरूरत होती है। समय के कम होने की वजह से व्यक्ति को ऐसे साधन की जरूरत होती है जो उसका घर बैठे ही मनोरंजन कर सके। दूरदर्शन आज के युग का सबसे महत्वपूर्ण आविष्कार है जो एक मनोरंजन का साधन है।

मनुष्य की उद्देश्य पूर्ति के लिए विज्ञान ने एक चमत्कार उत्पन्न किया है। दूरदर्शन से शिक्षा भी प्राप्त की जा सकती है। मनुष्य के मन में दूर की वस्तुओं को देखने की बहुत इच्छा होती है। विज्ञान की वजह से ही दूर की वस्तुओं, स्थानों और व्यक्तियों को आसानी से देखा जा सकता है। दूरदर्शन से दूर की घटनाएं हमारी आँखों के सामने प्रस्तुत की जा सकती है।

दूरदर्शन का अर्थ और विस्तार : टेलीविजन को हिंदी में दूरदर्शन कहते हैं। टेलीविजन दो शब्दों से मिलकर बना है- टेली और विजन। जिसका अर्थ होता है दूर के दृश्यों का आँखों के सामने उपस्थित होना। दूरदर्शन रेडियो की तकनीक का ही विकसित रूप है।

टेलीविजन का सबसे पहला प्रयोग 1925 में ब्रिटेन के जॉन एल० बेयर्ड ने किया था। दूरदर्शन का अविष्कार 1926 में जॉन एल० बेयर्ड के द्वारा किया गया था। भारत में दूरदर्शन का प्रसारण 1959 ई० में किया गया था। टेलीविजन मनोरंजन का सबसे महत्वपूर्ण साधन होता है। इसने समाज के सभी लोगों और वर्गों को प्रभावित किया है।

दूरदर्शन हर परिवार का एक अंग बन चुका है। दूरदर्शन मनोरंजन का सस्ता और आसानी से मिलने वाला साधन है। पूरे संसार के समाचार और दूरदर्शन से नई जानकारियां घर बैठे प्राप्त की जा सकती हैं। आज के समय में केबल या डिश से देशों के घर-घर में दूरदर्शन के अनेकों चैनल चल जाते हैं।

दूरदर्शन ने आज की युवा पीढ़ी को बहुत अधिक प्रभावित किया है। पहले समय में सिर्फ श्वेत श्याम दूरदर्शन हुआ करते थे। पहले लोग शाम से लेकर देर रात तक दूरदर्शन पर कार्यक्रम देखे जाते थे। लेकिन आज के समय में रंगीन और केबल दूरदर्शन का युग है। देखने वाले दर्शकों के लिए सौ से भी अधिक चैनल हैं।

सिधांत : दूरदर्शन का सिद्धांत रेडियों के सिद्धांत से बहुत अधिक मिलता है। रेडियो के प्रसारण में तो वार्ता या गायक स्टूडियो में ही अपना गायन या वार्ता को पेश करता है। इसकी आवाज से हवा में तरंगे उठती हैं जो माइक्रोफोन बिजली की तरंगों में बदल जाती है इन्हीं तरंगों को भूमिगत तारों से ट्रांसमीटर तक पहुंचाया जाता है जो उन तरंगों को रेडियो की तरंगों में बदल देता है। इन्ही तरंगों को टेलीविजन एरियल पकड़ लेता है।

दूरदर्शन पर हम सिर्फ वही देख सकते हैं जो दूरदर्शन का कैमरा चित्रित करता है और उन चित्रों को रेडियो तरंगों से दूर की जगह पर भेजा जा रहा हो। इसके लिए दूरदर्शन के विशेष स्टूडियों का निर्माण किया जाता है जहाँ पर गायक या नृतक अपना कार्यक्रम पेश करते हैं।

युवाओं के जीवन का महत्वपूर्ण अंग : दूरदर्शन आज के युवाओं का एक महत्वपूर्ण और जरुरतमंद अंग बन गया है। अगर युवक दूरदर्शन का नियंत्रित और संयमित प्रयोग करे तो उनके लिए दूरदर्शन बहुत उपयोगी सिद्ध होगा नहीं तो उसके दुष्परिणामों से मनुष्य को कभी नहीं बचाया जा सकता है।

जिस तरह किसी कुएँ से पानी प्राप्त करके मनुष्य अपनी प्यास बुझा सकता है लेकिन अगर वो उस कुएँ में कूदकर आत्महत्या कर लेता है तो इसमें उसका कोई दोष नहीं होता है उसी तरह से दूरदर्शन युवा पीढ़ी की आधुनिक शिक्षा और संसार की हर जानकारी देने का साधन होता है लेकिन जब युवा छात्र अपना अमूल्य समय बेकार के कार्यक्रमों को देखने में गंवा देगा तो इसके लिए हम दूरदर्शन को दोष नहीं दे सकते हैं।

शिक्षा का सशक्त माध्यम : दूरदर्शन को शिक्षा का सशक्त माध्यम माना जाता है। दूरदर्शन पर सिर्फ औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ अनौपचारिक शिक्षा का भी प्रसारण होता है। सिर्फ ध्वनि और शब्दों का सहारा लेकर पाठ्यक्रम नीरस हो जाता है। दूरदर्शन पर विद्यार्थियों के लिए नियमित पाठ का प्रसारण किया जाता है।

दूरदर्शन पर पाठ्यक्रम की जीती-जागती तस्वीर को देखकर विद्यार्थी की रूचि बढ़ जाती है और उन्हें भली-भांति समझ आ जाती है। दूरदर्शन पर अनपढ़ों के लिए साक्षरता के कार्यक्रम पेश किये जाते हैं। दूरदर्शन पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् के द्वारा बच्चों, युवाओं, और प्रौढ़ों के लिए भी पाठों का प्रसारण किया जाता है।

शिक्षा के अलावा दूरदर्शन से कृषि के आधुनिक यंत्रों और दवाईयों के बारे में भी जानकारी मिलती है। दूरदर्शन पर ऐसे अनेक प्रकार के कार्यक्रम दिखाए जाते हैं जिनसे आज की युवा पीढ़ी अपनी बुरी आदतों से छुटकारा पा सकते हैं। दूरदर्शन से विद्यार्थी संसार की छोटी से छोटी जानकारी और समाचार पत्र प्राप्त कर सकता है।

भारतीय इतिहास, भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर आधारित कार्यक्रमों से आज के समय का युवा वर्ग अपने प्राचीन समय की जानकारी प्राप्त कर सकता है। इस तरह से दूरदर्शन ने युवा पीढ़ी के जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव डाला है। भारत में कई करोड़ लोग निरक्षर होते हैं जिन्हें साक्षर बनाने के लिए दूरदर्शन का प्रयोग बनाया जाता है।

दूरदर्शन के लाभ : दूरदर्शन के बहुत अधिक लाभ हैं। इसकी मदद से हम घर बैठे देश-विदेश के अनेक समाचार सुन सकते हैं और समाचार को बोलने वाले को देख भी सकते हैं। संसार में कहीं भी होने वाले मैच या खेल को आसानी से देख सकते हैं। हमारे समाज में शराब पीना और बाल विवाह जैसी अनेक तरह की कुरुतियाँ फैली हुई हैं।

दूरदर्शन पर ऐसे कार्यक्रमों को पेश करना चाहिए जिससे इन कुरीतियों के दुष्परिणामों का पता चल सके। ऐसे कार्यक्रम देखने वालों के दिल पर बहुत प्रभाव डालते हैं। इसी तरह से धीरे-धीरे सामाजिक कुरीतियाँ भी दूर हो जाती हैं | इससे कोई भी लाभ उठा सकता है चाहे वो छात्र हो, शिक्षक हो, डॉक्टर हो, वैज्ञानिक हो,कृषक हो, मजदूर हो, व्यापारी हो, उद्योगपति हो या गृहिणी हो।

इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाया जा सकता है। इसे देखने के लिए भी किसी प्रकार के चश्मे, मनोभाव या फिर अध्ययन की जरूरत नहीं होती है। इससे सिर्फ किसी भी क्षेत्र की जानकारी ही नहीं मिलती है इससे कार्य व्यापार, नीति ढंग, और उपाय को आसानी से दिखाया जाता है।

दूरदर्शन से हमें जीवन की समस्याओं और घटनाओं के बारे में बहुत ही आसानी से जरूरत के रूप में प्रस्तुत करते हैं। दूरदर्शन से हम अपने त्यौहारों, मौसमों, खेलों, तमाशे, नाच-गाने, कला, संगीत, पर्यटन, व्यापार, धर्म, साहित्य, दर्शन आदि के बारे में हर एक रहस्य खुलता जा रहा है। दूरदर्शन इन सभी जानकारियों को प्राप्त करने में आने वाली कठिनाईयों को भी बताता है और उनके हल के बारे में भी बताता है।

दूरदर्शन एक मनोरंजन का साधन : दूरदर्शन पर अनेक प्रकार के कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। दुरदर्शन पर नाटक दिखाए जाते हैं, पिक्चर दिखाई जाती हैं और कई तरह के सीरियल भी दिखाए जाते हैं। दूरदर्शन से लोगों का भी बहुत मनोरंजन होता है। जब दफ्तर से आकर घर पर दूरदर्शन पर अपने मनपसंद कार्यक्रम को चलाते हैं तो सारे दिन की थकान उतर जाती है।

अब हमें फिल्मों को देखने के लिए सिनेमाघर जाने की जरूरत ही नहीं होती है। हर रोज किसी न किसी तरह के विषय पर कार्यक्रम से अपना मनोरंजन करके एक विशेष तरह के उत्साह और प्रेरणा को प्राप्त कर सकते हैं। दूरदर्शन पर दिखाई जाने वाली फिल्मों से हमारा मनोरंजन होता है और धारावाहिकों से भी हमारा मनोरंजन होता है।

इसी तरह से बाल-बच्चों, वृद्धों, युवकों के साथ विशेष प्रकार के शिक्षित और अशिक्षित वर्गों के लिए दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों से हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं। इससे बहुत ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। दूरदर्शन पर इतने कार्यक्रम दिखाए जाते हैं कि मनुष्य चक्कर में पड़ जाता है कि किसे देखूं और किसे नहीं।

यह दुविधा इसलिए उत्पन्न हुई है क्योंकि पहले समय में सिर्फ एक ही सरकारी चैनल चलते थे लेकिन आज के समय में दो सौ से भी अधिक चैनल हैं। हर चैनल पर रात दिन कुछ न कुछ आता ही रहता है।

उपयोग : दूरदर्शन के मानव जीवन में उतने ही प्रयोग होते हैं जितने कि मानव जीवन में आँखों के प्रयोग होते हैं। दूरदर्शन पर हम नाटक, खेल-कूद, गाने आदि के कार्यक्रमों को देखकर अपना मनोरंजन कर सकते हैं। नेता भी अपना संदेश दूरदर्शन से लोगों तक प्रभावशाली ढंग से पहुँचा सकते हैं।

शिक्षा में भी दूरदर्शन का प्रयोग सफलता के साथ किया जाता है। आज के समय में लाखों और करोड़ों विद्यार्थी अपनी-अपनी कक्षा में बैठे किसी भी अच्छे अध्यापक को पढ़ाते हुए देख और सुन सकते हैं। समुंद्र के अंदर जब खोज की जाती है तब दूरदर्शन का प्रयोग किया जाता है।

अगर किसी डूबे हुए जहाज का पता लगाना होता है तब टेलीविजन कैमरे को पानी में उतारा जाता है। उसके द्वारा समुंद्र के अंदर की जानकारी ऊपर बैठे लोगों के पास पहुंच जाती है। अंतरिक्ष की जानकारी भी टेलीविजन से प्राप्त की जा सकती है।दूरदर्शन का प्रयोग हर वर्ग, हर उम्र, हर स्तर का व्यक्ति रूचि के साथ चौबीसों घंटे देख सकता है।

कुप्रभाव : दूरदर्शन विज्ञान की एक महान देन है लेकिन किसी भी वस्तु का दुरूपयोग करना संभव होता है। अगर व्यवहारिक रूप से देखें तो आज के युवाओं के लिए दूरदर्शन प्रयोगी और सहायक की जगह पर बाधक ज्यादा सिद्ध हुआ है। बच्चों और बड़ों की गतिविधियाँ कमरे तक ही सिमित हो गई हैं।

ज्यादातर विद्यार्थी ऐसे कार्यक्रमों में रूचि लेते हैं जो शिक्षा से संबंध न रखकर कार्यक्रमों से संबंधित होते हैं। वे ऐसे कार्यक्रमों को चुनते हैं जो रसीले और रोचक होते हैं जैसे- फिल्में, गाने, खेल, सीरियल आदि। ऐसे कार्यक्रमों में हिंसा को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है, अशलील दृश्य को दिखाने पर अधिक बल दिया जाता है और झूठ, फरेब, कपट और धोके के नए-नए तरीके बताये जाते हैं।

अगर लोग अपने धर्मों को भूलकर कार्यक्रमों को ही देखने में लगे रहेंगे तो घर के सारे काम रुक जायेंगे। घटिया कार्यक्रमों से बच्चों की मानसिकता खराब होती है। बच्चे कमजोर और सुस्त बन जाते हैं। इन सब का बहुत बड़ा असर हमारे युवा वर्ग पर पड़ रहा है। समाज में चोरी, डकैती, लूट-मार सब कुछ इसी का परिणाम है।

किसी भी घर में तनाव का वातावरण बन जायेगा और दूरदर्शन का सबसे बुरा प्रभाव सबसे पहले आँखों पर पड़ता है। शहर के छोटे-छोटे घरों में टी० वी० को नजदीक से देखना पड़ता है जिसका बहुत बुरा प्रभाव आँखों पर पड़ता है। केवल पर चलने वाले अशलील और हिंसा को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों पर सरकार की कोई भी रोक नहीं होती है और इन्हें देखकर युवा वर्ग भ्रमित हो जाते है। इस पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है।

दूरदर्शन पर सभी प्रोग्राम विद्यार्थियों के देखने योग्य नहीं होते हैं। ऐसे कार्यक्रमों को देखने से बच्चों के कोमल मन और मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर बच्चे हर समय दूरदर्शन और पर लगे रहेंगे तो उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। अगर दूरदर्शन खराब हो जाये तो इसकी मरम्मत करवाने में बहुत खर्चा होता है।

उपसंहार : जो तर्क हमने दिए हैं वो दूरदर्शन पर नहीं बल्कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों पर हैं जो युवाओं को भ्रमित करते हैं। अगर हम दूरदर्शन को नकारेंगे तो उससे मिलने लाभों को भी समाप्त कर देंगे। हम दूरदर्शन के लाभों से यह बता सकते हैं कि दूरदर्शन विज्ञान का एक बहुत ही अमूल्य अविष्कार है।

इसका प्रयोग देश की प्रगति के लिए भी किया जाना चाहिए। हमारी युवा पीढ़ी को संयम में रहकर ज्ञान के कार्यक्रमों को देखने की जरूरत है। दूरदर्शन तो एक ऐसा साधन है जिससे मनुष्य अपने जीवन को आनंद और उज्ज्वल कर सकता है। वास्तविक बात तो यह है कि किसी भी वस्तु में गुण ही गुण नहीं बल्कि दोष भी होते हैं। अमृत का प्रयोग अगर सीमा से ज्यादा किया जाये तो वह भी हानिकारक होता है।

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