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कुसंगति के दुष्परिणाम पर निबंध

कुसंगति के दुष्परिणाम :

कुसंगति का अर्थ होता है – बुरी संगत। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी होता है। जब तक वो समाज में संबंध प्राप्त नहीं कर पाते हैं तब तक वो अपने जीवन को आगे नहीं बढ़ा पाते हैं। समाज में कई तरह के लोग होते हैं। कुछ अच्छे लोग होते हैं तो कुछ बुरे लोग होते हैं।

जब व्यक्ति की संगत अच्छी होती है तो उससे उसकी जड़ता को दूर किया जाता है। सत्संगति से मनुष्य की वाणी, आचरण में सच्चाई आती है। मनुष्य के अंदर से पापों का नाश होता है। इससे मनुष्य के अंदर की बुराईयाँ खत्म हो जाती है।

लेकिन कुसंगति सत्संगति की बिलकूल उल्टी होती है यह मनुष्य के अंदर बुराईयाँ पैदा करती है। कुसंगति मनुष्य को बुरे रास्ते पर ले जाती है। जो व्यक्ति सत्संगति के विरुद्ध होता है वह कुसंगति के अधीन होता है।

यह कभी भी नहीं हो सकता है कि मनुष्य कुसंगति के प्रभाव से बच सकता है। जो व्यक्ति दुष्ट और दुराचारी व्यक्तियों के साथ रहते हैं वे व्यक्ति भी दुष्ट और दुराचारी बन जाते हैं। इस संसार में व्यक्ति या तो भगवान की संगत पाता है या फिर बुरे व्यक्ति की संगत में पड़ जाता है क्योंकि मानव का समाज के अभाव में अस्तित्व नहीं है।

आचरण की पहचान :

किसी भी व्यक्ति के आचरण को जानने के लिए उसके दोस्तों के आचरण को जानने की जरूरत होती है। यह इसलिए करना चाहिए क्योंकि जिस व्यक्ति के दोस्त दुष्ट और दुराचारी होते हैं वह भी दुष्ट और दुराचारी ही होगा। व्यक्ति पर संगती का असर जाने-अनजाने में पड़ ही जाता है।

बचपन से व्यक्ति अपने आस-पडोस और परिवार से जो कुछ भी सीखता है वह उन सब को ही दोहराता है। जब व्यक्ति गाली को सुनता है तभी तो उसे गाली देने की आदत पडती है। सत्संगति का किसी भी मनुष्य के चरित्र में बहुत बड़ा हाथ होता है। अगर व्यक्ति अच्छी पुस्तकें पढ़ता है तो वह भी सत्संगति होती है।

जो लेखक विद्वान होता है वह अपनी पुस्तकों से ही हमारे साथ रहता है। अच्छी पुस्तक और महान लोग हमारे मित्र होते हैं और हमें रास्ता दिखाते हैं इनके बताये हुए रास्ते पर चलने से व्यक्ति का जीवन कंचन के समान हो जाता है। दुष्टों और दुराचारियों का संग देने से मनुष्य का जीवन भी उसी की तरह का बन जाता है। ऐसे लोग व्यक्ति को पतन की तरफ ले जाते हैं। मनुष्य को विवेक प्राप्त करने के लिए सत्संगति को अपनाना चाहिए।

कुसंगति के दुष्परिणाम :

कुसंगति का मनुष्य पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। किसी भी व्यक्ति को अच्छी बातें सीखने में थोडा समय लग जाता है लेकिन वही व्यक्ति बुरी बातों को सीखने में बिलकुल भी समय नहीं लगाता है। जो व्यक्ति जिस तरह के व्यक्तियों के साथ बैठता है वो उन्ही की तरह का बन जाता है।

जब अच्छे व्यक्ति बुरे व्यक्तियों के साथ रहने लगता है तो अच्छा व्यक्ति भी बुरा बन जाता है। अगर हमें किसी भी व्यक्ति के बारे में यह पता लगाना है कि उसका चरित्र कैसा है तो सबसे पहले उसके दोस्तों से बात चीत करनी चाहिए। एक व्यक्ति के व्यवहार से ही उसके चरित्र का पता लग जाता है।

जो व्यक्ति कुसंगति के शिकार होते हैं वे किसी की बात नहीं सुनते हैं और सभी को गलत समझते हैं। वे जिन लोगों को अपना दोस्त समझते हैं उनसे बढकर उन्हें कोई भी अपना नहीं लगता है लेकिन वे लोग ही उसको दोखा देते हैं।

वह अपने घर वालों की नजरों में भी बुरा बन जाता है और समाज भी उसे बुरा मानता है। मनुष्य अपने जीवन में कहीं का भी नहीं रहता है। ऐसा व्यक्ति न ही तो अपने परिवार का कल्याण कर पाता है और न ही अपने देश और समाज के लिए अपने कर्तव्य को निभा पाता है।

अच्छी संगती की आवश्यकता :

किसी व्यक्ति के लिए उन्नति का मार्ग सिर्फ सत्संगति से ही खुलता है। सत्संगति से सत्य और भगवान के प्रति हमारी जिज्ञासा बढ़ जाती है। आगे आने वाले समय में लोगों को बुरी संगत से बचाने के लिए अच्छी संगत की बहुत जरूरत होती है। बच्चों को अच्छी संगत पर चलाने से उसका चरित्र पूरे समाज में प्रसिद्ध होता है लेकिन जो बच्चे बुरी संगत को अपनाते हैं समाज में उनका कोई भी सम्मान नहीं करता है।

जो लोग सत्संगति को अपनाते हैं वे अपने बल पर कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं लेकिन जो कुसंगति को अपनाते हैं उन्हें कुछ भी प्राप्त नहीं होता है। जो लोग कुसंगति को अपनाते हैं वो लोग बुरे रास्ते पर चल देते हैं लेकिन जो लोग अच्छी संगत को अपनाते हैं वो कभी भी अपने रास्ते से नहीं भटकते हैं।

जो बुरी संगत को अपनाते हैं उन्हें अपने परिवार पर भरोसा नहीं होता है इसी वजह से अच्छी संगत की बहुत जरूरत होती है। जिनमें अच्छी संगत होती है वे अपने परिवार पर हमेशा भरोसा करते हैं। जिस प्रकार अगर एक पुत्र अच्छी संगत का हो तो वह अपने जीवन में हमेशा उन्नति के शिखर पर रहेगा।

सज्जन और दुर्जन का संग :

कुसंगति की अनेक हानियाँ होती है। संसार में गुण और दोष दोनों ही होते हैं। जो मनुष्य दुराचार, पापाचार, दुश्चरित्रता गुण से ग्रस्त होता है वह कुसंगति के वश में होता है। आज के समय में विद्यार्थियों को कुसंगति के प्रभाव से बिगड़ते हुए सभी ने देखा होगा।

जो विद्यार्थी कभी प्रथम श्रेणी पर आते थे वे फेल होने लग जाते हैं यह सब कुसंगति का प्रभाव होता है। इसी कुसंगति से बहुत से घर नष्ट हो जाते हैं। जो व्यक्ति बुद्धिमान से भी बुद्धिमान होता है उस पर कुसंगति का बहुत प्रभाव पड़ता है।

एक महान कवि ने कहा था कि सज्जन और दुर्जन दोनों ही व्यक्तियों का साथ ही हमेशा अनुचित होता है | यह कुछ नहीं बस विषमता को ही जन्म देता है। हम अक्सर देखते हैं कि बुरा व्यक्ति तो बुराई छोड़ नहीं पाता हैं लेकिन उसकी संगत से अच्छा व्यक्ति भी बुरा बन जाता है। कभी भी बुरा व्यक्ति अपनी बुराई को छोड़ नहीं पाता है, वह कुछ भी कर ले लेकिन उसका साथ नहीं छोड़ पाता है।

कुसंगति से बचने के उपाय :

सत्संगति मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती है। अगर मनुष्य को जीवन में उन्नत और सफल होना है तो उसे सत्संगति के मार्ग को अपनाना ही होगा। सत्संगति के मार्ग पर चलकर ही वो अपने लक्ष्य तक पहुंच सकता है। सत्संगति का अर्थ होता है अच्छे व्यक्तियों की संगत।

जो व्यक्ति अच्छे व्यक्तियों की संगत में रहते हैं उनके उन्नति के रास्ते में कभी भी कोई बाधा नहीं आती है। वे हमेशा उन्नति की तरफ चलते रहते हैं। जब मनुष्य बुद्धिमान, विद्वान्, और गुणवान लोगों की संगत को अपनाते हैं तो उस व्यक्ति में अच्छे गुणों का बहुत ही तेजी से विकास होता है और वह सत्संगति से परिचित हो जाता है।

सत्संगति से व्यक्ति के अंदर जो दुर्गुण होते हैं वो नष्ट हो जाते हैं। सत्संगति से मनुष्य की बुराईयाँ दूर हो जाती हैं और उसका मन बहुत ही पवित्र या पावन हो जाता है। वह सभी प्रकर की बुराईयों से मुक्त हो जता है।

सत्संगति के प्रकार :

सत्संगति का अर्थ होता है – अच्छी संगत। सत्संगति दो तरह की होती है। एक तो जब कोई व्यक्ति किसी बुद्धिमान, विद्वान् व्यक्ति के साथ रहकर उसकी संगति को प्राप्त करता है और दूसरी तरफ कोई व्यक्ति किताबों और सत्संगों से संगत प्राप्त करता है।एक में कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से सीखता है और दूसरे में कोई व्यक्ति किताबों और सत्संगों से सीखता है।

सत्संगति को अपनाने से मनुष्य के अंदर के ज्ञान में वृद्धि होती है। जो व्यक्ति सत्संगति को अपनाते हैं उन पर कुसंगति का कोई असर नहीं पड़ता है। जिस तरह से मधुमक्खियाँ शहद को बनाती है लेकिन खुद उस शहद को कभी नहीं खाती हैं। उसी तरह चंदन के पेड़ से साँप लिपटे रहते हैं लेकिन चंदन में कभी भी विष व्याप्त नहीं होता है।

उपसंहार :

किसी भी व्यक्ति के जीवन में संगति का बहुत महत्व होता है। किसी भी जीवन की विजय और पराजय उसकी संगति पर निर्भर करती है। जो व्यक्ति बुरा होकर भी विद्वान् होता है उसका जीवन व्यर्थ होता है। अगर हमें जीवन में सफलता और उन्नति प्राप्त करनी है तो अपने जीवन की संगति पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

जो व्यक्ति बुरे व्यक्तियों के साथ रहता है वह भी बुरा बन जाता है। सब लोगों को पता होता है कि सच सच को जन्म देता है, अच्छाई अच्छाई को जन्म देती है, और बुराई बुराई को जन्म देती है। अगर मनुष्य कुसंगति से बचा रहे तो उसी में उसकी भलाई होती है।

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