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ताजमहल का इतिहास और रहस्मयी बातें-Taj Mahal History In Hindi

ताजमहल (Taj Mahal In Hindi) :

इश्क एक इबादत है तो ताजमहल उसकी जानदार तस्वीर। मोहब्बत की इस निशानी को देखकर लोग आज भी प्यार पर भरोसा करते हैं क्योंकि इस प्यार में समर्पण , त्याग , खुशी और वह सब कुछ है जो इश्क को एक मुकम्मल जहा देता है। ताजमहल प्यार की मिसाल माना जाने वाला दुनिया के सात अजूबों में से एक और भारत देश का गर्व है।

ताजमहल सफेद संगमरमर से शाहजहाँ द्वारा अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाई गई एक अद्भुत ईमारत है। दुनिया का हर इंसान आज ताजमहल देखने की इच्छा रखता है क्योंकि ताजमहल को प्यार का मंदिर माना जाता है। ताजमहल भारत के आगरा शहर में यमुना किनारे स्थित एक विश्व धरोहर मकबरा है।

ताजमहल मुगल वास्तुकला का एक बहुत ही उत्कृष्ट नमूना है। ताजमहल सन् 1983 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना था। ताजमहल को विश्व धरोहर के साथ सर्वत्र प्रशंसा पाने वाली अत्युत्तम मानवी कृतियों में से एक बताया गया है। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का भारत रत्न भी घोषित किया गया है।

ताजमहल दूसरी संगमरमर की सिल्लियों की बड़ी-बड़ी परतों से ढंक कर बनाई गई इमारतों की तरह न बनकर इसका सफेद गुंबद टाइल आकार में संगमरमर से ढंका हुआ है। ताजमहल इमारत समूह की संरचना की खास बात है कि यह पूरी तरह सममितीय है। ताजमहल का निर्माण कार्य सन् 1648 के लगभग पूरा हुआ था। ताजमहल का प्रधान रूपांकनकर्ता उस्ताद अहमद लाहौरी को माना जाता है। ताजमहल भारत की ही नहीं बल्कि पुरे संसार की पहचान बन चुका है।

ताजमहल कहाँ स्थित है : ताजमहल यमुना नदी के किनारे आगरा शहर में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि ताजमहल के निर्माण के लिए शाहजहाँ को अपना एक महल जमीन के बदले में देना पड़ा था। आगरा शहर को सन् 1504 में इब्राहिम लोदी ने बसाया था। ताजमहल का निर्माण शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था।

मुमताज महल कौन थीं : मुमताज महल का जन्म 1 सितम्बर , 1593 को हुआ था। मुमताज महल परसिया देश की राजकुमारी थीं। मुमताज महल का विवाह उस व्यक्ति से हुआ था जो शाहजहाँ की सेना में भर्ती था। शाहजहाँ ने उसे मरवा दिया और मुमताज से निकाह कर लिया। मुमताज महल शाहजहाँ की तीसरी बेगम थीं। ऐसा माना जाता है कि मुमताज महल शाहजहाँ की सबसे चहेती बेगम थीं। शाहजहाँ मुमताज से बहुत प्यार करते थे। 17 जून , 1631 में 37 वर्ष की आयु में अपनी चौदहवीं संतान गौहर बेगम को जन्म देते हुए मुमताज महल की मृत्यु हो गई थी।

ताजमहल का इतिहास (Taj Mahal History In Hindi) :

सन् 1631 में शाहजहाँ के साम्राज्य ने हर जगह अपनी जीत का परचम लहराया था। उस समय पर शाहजहाँ की सभी बेगमों में से सबसे प्रिय बेगम मुमताज महल थीं। लेकिन मुमताज महल जी की मृत्यु अपनी चौदहवीं संतान गौहर बेगम को जन्म देते समय हो गई थी। मुमताज महल की मृत्यु का शाहजहाँ पर बहुत असर हुआ था उनकी मृत्यु के बाद शाहजहाँ की हालत भी बहुत खराब हो गई थी।

ताजमहल का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था। ताजमहल का निर्माण कार्य सन् 1632 में शुरू हो गया था। शाहजहाँ चाहते थे की मुमताज और उनकी प्रेम कहानी को दुनिया हमेशा याद रखे इसलिए उनकी याद में वे कुछ ऐतिहासिक धरोहर बनाना चाहते थे जिसकी वजह से ताजमहल का निर्माण हुआ था।

ताजमहल का निर्माण सन् 1643 के लगभग हो गया था लेकिन फिर भी इसकी सुंदरता को बढ़ाने के लिए इस पर 10 साल और काम किया गया था। ताजमहल का निर्माण लगभग सन् 1653 में पूरा हो गया था। कहा जाता है कि शाहजहाँ मरते दम तक मुमताज को भूल नहीं पाए थे।

सन् 1983 में ताजमहल को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना दिया गया। ताजमहल को विश्व धरोहर के साथ-साथ अत्युत्तम मानवी कृतियों में से एक भी बताया गया। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया। 2007 में ताजमहल को दुनिया के सात अजूबों में से एक घोषित किया गया है।

वास्तुकला और बनावट :

ताजमहल की वास्तुशैली फारसी , तुर्क , भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा सम्मेलन है। ताजमहल का निर्माण पर्शियन और प्राचीन मुगल परम्पराओं को ध्यान में रखते हुए किया गया। ताजमहल का निर्माण दूसरी इमारतों जैसे – गुर-इ-अमीर , हुमायूँ का मकबरा , इत्माद-उद-दूलह मकबरा और जामा मस्जिद से प्रेरणा लेकर किया गया।

प्राचीनकाल में इमारतों का निर्माण प्राय: लाल पत्थर से किया जाता था लेकिन शाहजहाँ ने ताजमहल के निर्माण के लिए सफेद संगमरमर को चुना। इस पत्थर से ताजमहल की सुन्दरता को चार चाँद लग गए। सफेद संगमरमर पर कई प्रकार की नक्काशी तथा हीरे जड़कर ताजमहल की दीवारों को सजाया था।

ताजमहल में गुंबद पर जो कलश स्थापित है वह 1800 ईस्वी तक सोने का था लेकिन अब वह कांसे का बना है। इस कलश पर चंद्रमा बना है। अपने नियोजन के कारण चन्द्र एवं कलश की नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनती है जो हिन्दू भगवान शिव का चिन्ह है। ताजमहल का शिखर एक उलटे रखे कमल से अलंकृत है।

बेगम मुमताज महल कब्र :

मुमताज महल को मरने के बाद बुरहानपुर में दफनाया गया लेकिन बाद में शाहजहाँ ने उनके शव को कब्र से निकलवा कर ले गए थे। ताजमहल के मध्य में मुमताज महल की कब्र को रखा गया है। बेगम मुमताज महल जी की कब्र काफी बड़ी और सफेद संगमरमर से बनी हुई है। मुमताज महल की कब्र को बहुत अलंकृत किया गया है।

मुस्लिम परंपरा के अनुसार कब्र की विस्तृत सज्जा मन है। इसलिए शाहजहाँ और मुमताज के पार्थिव शरीर को इन कब्रों के नीचे तुलनात्मक रूप से साधारण कब्रों में दफन किया गया हैं जिनके मुख दाये एवं मक्का की तरफ हैं। बेगम मुमताज महल की कब्र आंतरिक कक्ष में स्थित है।

मुमताज महल की कब्र का आधार लगभग 55 मीटर का बना हुआ है। मुमताज महल की कब्र का आधार और ऊपर का श्रुंगारदान रूप में बहुत ही बहुमूल्य पत्थरों और रत्नों से जड़ा है। इस पर किया गया सुलेखन मुमताज की पहचान और प्रशंसा है। शाहजहाँ की कब्र मुमताज महल की कब्र के दक्षिण की तरफ है। ताजमहल के पीछे बहुचर्चित कथा भी है जिसके अनुसार मानसून की पहली वर्षा की बूंदें इनकी कब्र पर गिरती हैं।

मुमताज मकबरे का सच :

पुरुषोत्तम ओक ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि वास्तव में शाहजहाँ ने वहां पर अपनी दौलत छुपा कर रखी है इसलिए उसे कब्र के रूप में प्रचारित किया गया। अगर वास्तव में शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण किया होता तो इतिहास में ताजमहल में मुमताज को किस दिन दफन किया गया था इसका उल्लेख जरुर किया गया होता।

ओक के अनुसार ताजमहल जयपुर के राजा का महल था। शाहजहाँ ने जयपुर के राजा से ताजमहल को हडप लिया था। एक हडपे हुए पुराने महल में दफनाए जाने के कारण उस दिन का कोई महत्व नहीं ? शाहजहाँ के लिए मुमताज के कोई मायने नहीं थे। जिस महल में हजारों सुंदर स्त्रियाँ हों उसमें भला सभी की मृत्यु का लेखा-जोखा कैसे रखा जा सकता है।

जिस शाहजहाँ ने मुमताज के जीवित रहने पर कोई निवास नहीं बनवाया था वह मुमताज के मरने पर भला इतना भव्य महल कैसे बनवा सकता है। आगरा शहर से 600 किलोमीटर की दुरी पर बुरहानपुर में मुमताज महल की कब्र है जो आज तक वैसी-की-वैसी बनी हुई है। बाद में मुमताज महल के नाम से आगरे के ताजमहल में एक कब्र बनी जो नकली हैं। बुरहानपुर से मुमताज महल के शव को लाने का नाटक किया गया था।

माना जाता है कि मुमताज महल को दफनाने के बहाने से शाहजहाँ ने राजा जयसिंह से उनका महल हडप लिया था और वहाँ पर अपनी सारी लूटी हुई संपत्ति को छुपा कर रखा था जो आज भी छुपी हुई है। मुमताज महल की मृत्यु सन् 1631 को बुरहानपुर के बुलारा महल में हुई थी। वहीं पर मुमताज महल को दफनाया गया था। लेकिन ऐसा माना जाता है कि 6 महीने बाद मुमताज महल के शरीर को राजकुमार शाह शूजा की निगरानी में आगरा लाया गया था।

आगरा के दक्षिण में उन्हें अस्थाई तौर पर फिर से दफनाया गया था और उन्हें अपने मुकाम यानी ताजमहल में दफन कर दिया गया था। पुरुषोत्तम के अनुसार शाहजहाँ ने मुमताज महल के दफन स्थान को इतना सुंदर बनाया था तो इतिहासकारों ने यह सोचा कि शाहजहाँ मुमताज से बहुत प्यार करता होगा। तब इतिहासकारों ने ताजमहल को प्रेम का प्रतीक लिखना शुरू कर दिया।

इतिहासकारों ने शाहजहाँ और मुमताज की गाथा को लैला-मजनू , रोमियो-जूलियट जैसा लिखा जिसकी वजह से फिल्में भी बनी और दुनिया भर में ताजमहल प्रेम का प्रतीक बन गया। मुमताज से विवाह करने के बाद शाहजहाँ ने अनेक विवाह किए थे अत: मुमताज की मृत्यु पर उनकी कब्र के लिए इतना खर्चीला ताजमहल बनवाने का कोई विशेष कारण नजर नहीं आता है।

मुमताज का कोई खास योगदान भी नहीं था जो उसे ताजमहल जैसे भव्य नगर में दफनाया जाए। मुमताज महल का नाम चर्चा में इसलिए आया था क्योंकि उन्होंने युद्ध के रास्ते के दौरान एक बेटी को जन्म दिया था और वह मर गई थी। शाहजहाँ के बादशाह बनने के दो-तीन साल बाद ही मुमताज की मृत्यु हो गई थी।

इतिहास में कहीं भी मुमताज और शाहजहाँ के प्यार का उल्लेख नहीं है। यह सब बाते अंग्रेज शासनकाल के इतिहासकारों की मनगढंत कल्पना है जिसे भारतीय इतिहासकारों ने विस्तार दिया है। शाहजहाँ युद्ध कार्य में ही व्यस्त रहता था। शाहजहाँ अपने सभी विरोधियों को मारकर गद्दी पर बैठा था। ब्रिटिश ज्ञानकोष के अनुसार ताजमहल में अतिथिगृह , पहरेदारों के लिए कक्ष , अश्वशाला आदि भी हैं किसी मृतक के लिए इन सबकी क्या आवश्यकता है।

ताजमहल के निर्माण का इतिहास :

ताजमहल की नींव को एक विशेष प्रकार की लकड़ी से बनाया गया है। ताजमहल को 28 प्रकार के बेशकीमती पत्थरों से सजाया गया था लेकिन बाद में अंग्रेज उन पत्थरों को निकालकर ले गए थे। ताजमहल को बनाने में लगभग 32 मिलियन रूपए का खर्चा हुआ था। ताजमहल का निर्माण करवाने के 25000 से भी अधिक कारीगरों को लगाया गया था जिनमें मजदूर , पेंटर , आर्टिस्ट और कई कलाकार भी शामिल थे।

ताजमहल के निर्माण में लगने वाले सामान को स्थनांतरित करने के लिए 1500 हाथियों का उपयोग किया गया था। ताजमहल के प्रधान रूपांकनकर्ता उस्ताद अहमद लाहौरी को माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिन कारीगरों ने ताजमहल का निर्माण किया था शाहजहाँ ने उनके हाथ कटवा दिए थे। ताजमहल की कुल ऊँचाई तकरीबन 73 मीटर रखी गई थी।

ताजमहल को बनाने के लिए आठ देशों से सामान मंगवाया गया और तुर्की , फारसी व भारतीय कई जगह के कारीगरों ने काम किया। ताजमहल की मीनारों को बाहर की ओर झुका हुआ बनाया गया था क्योंकि अगर कोई भी समस्या जैसे – भूकंप , आक्रमण हो तो मीनारें बाहर की ओर गिरें और गुंबद को कोई नुकसान न पहुंचे।

ताजमहल से जुडी रोचक बातें :

ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया लेकिन इस बात का आज तक कोई सबूत नहीं मिला है। ऐसा माना जाता है कि शाहजहाँ ने नदी के किनारे पर काले पत्थर से एक और ताजमहल बनाने की योजना बनाई थी लेकिन अपने बेटे औरंगजेब से ही युद्ध होने की वजह से उनकी यह योजना सफल न हो सकी थी। ताजमहल को शाहजहाँ की तीसरी पत्नी की याद में बनवाया गया था जिसे बनाने के लिए लगभग 18 साल लग गए थे।

ताजमहल के निर्माण में तीन करोड़ रूपए खर्च हुए थे जिसकी कीमत आज के समय में लगभग 64 अरब रुपयों के बराबर है। हर साल ताजमहल को देखने के लिए लगभग 40 से 50 लाख लोग आते हैं जिनमें से 30% लोग विदेशी होते हैं। ताजमहल ने धर्म , संस्कृति और भूगोल की सीमाओं को पार करके लोगों के दिलों से व्यक्तिगत एवं भावनात्मक प्रतिक्रिया कराई है। आगरा के ताजमहल को भारत की शान और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

ताजमहल के चारों तरफ की मीनारों की छाया एक अलग ही आईने जैसा प्रतिबिम्ब निर्मित करती है। इसे बहुत से लोग चमत्कार कहते हैं बल्कि कई आर्किटेक्चर भी इस पहेली को सुलझ नहीं पाए हैं। ताजमहल दिन में अलग-अलग समय में अलग-अलग रंगों में दिखाई देता है। सुबह के समय हल्का सा गुलाबी और शाम में दुधेरी सफेद जैसा और रात में हल्का सुनहरा दिखाई देता है। लोगों का रंगों के बदलने से तात्पर्य महिलाओं के स्वभाव के बदलने से है।

ताजमहल की दीवारों में पहले बहुत बहुमूल्य रत्न लगे हुए थे लेकिन सन् 1857 की क्रांति में ब्रिटिशों ने उसे काफी हानि पहुंचाई थी। सन् 1971 के भारत और पाकिस्तान युद्ध के समय ताजमहल के चारों ओर बांस का घेरा बनाकर हरे रंग के कपड़े से ढंक दिया गया था जिससे दुश्मनों की नजर ताजमहल पर न पड़े। ताजमहल कुतुबमीनार से भी 4.5 फुट ज्यादा ऊँचा है।

ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ तो काटे गए थे लेकिन उन्हें इन सब के बदले उन्हें बहुत सारा इनाम दिया गया था। ताजमहल बनाने वाले मजदूरों को चाशनी में डूबा पेठा खिलाया जाता था जिससे उन्हें काम करने के लिए ताकत मिल सके। ताजमहल में स्थित मुमताज महल की कब्र पर हमेशा बुँदे टपकती हैं जबकि इमारत में कोई छेद नहीं है।

शाहजहाँ की अन्य पत्नियों और उनके सबसे प्रिय नौकर को ताजमहल के परिसर में ही दफनाया गया था। ताजमहल जयपुर के राजा जयसिंह की भूमि पर बना था जिसके बदले में शाहजहाँ ने जयसिंह को आगरा में एक महल दिया था।

ताजमहल का सच (Truth of Taj Mahal In Hindi) :

भारतीय इतिहास के पन्नों में यह लिखा है कि ताजमहल को शाहजहाँ ने मुमताज के लिए बनवाया था। शाहजहाँ मुमताज से बहुत प्यार करता था। पूरी दुनिया में ताजमहल को प्रेम का प्रतिक माना जाता है लेकिन इतिहासकारों का मानना है की ताजमहल को शाहजहाँ ने नहीं बनवाया था ताजमहल पहले से ही बना हुआ था।

शाहजहाँ ने ताजमहल में कुछ हेर-फेर करके इसे इस्लामिक की तरह करवा दिया था। भारतीय इतिहास में लिखा है कि मुमताज महल की मृत्यु 1631 में हुई थी और उन्हें 6 महीने बाद ही मुमताज को ताजमहल में फिर से दफनाया गया था लेकिन ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ था और 1653 में इसका निर्माण पूरा हुआ था। मुमताज को कभी ताजमहल में दफनाया ही नहीं गया था यह सबकुछ मनगढंत बातें हैं जो अंग्रेज और मुस्लिम इतिहासकारों ने लिखी थीं।

असल में सन् 1632 में ताजमहल को इस्लामिक लुक देने का काम शुरू हुआ था। सन् 1649 में ताजमहल का का मुख्य द्वार बना था जिस पर कुरान की आयतें तराशी गईं थीं। ताजमहल क मुख्य द्वार के ऊपर हिन्दू शैली का छोटे गुम्बद के आकार का मंडप है और दिखने में बहुत ही भव्य लगता है।

ताजमहल के नदी की तरफ दरवाजे के लकड़ी के एक टुकड़े की एक अमेरिकन प्रयोगशाला में की गई कार्बन जाँच से यह पता चला था कि वह लक्सी का टुकड़ा शाहजहाँ के काल से लगभग 300 साल पहले का है क्योंकि ताजमहल के दरवाजों को 11 विन सदी से ही मुस्लिम आक्रमकों द्वारा कई बार तोडकर खोला गया था जिसकी वजह से फिर से बंद करने के लिए दुसरे दरवाजे भी लगाए गए हैं। ताजमहल और भी अधिक पुराना हो सकता है। असल में ताजमहल को सन् 1115 में अथार्त शाहजहाँ के समय से लगभग 500 वर्ष पूर्व बनवाया गया था।

ताजमहल के लिए हिन्दू पक्ष के दावे :

हिन्दू पक्ष के अनुसार ताजमहल का असली नाम तेजो महालय है। ताजमहल वास्तव में एक शिव मंदिर है। आम तौर पर कहा जाता है कि ताजमहल का नाम मुमताज महल जो वहाँ पर दफन की गईं थीं उनकी वजह से पड़ा था। यह बात दो वजहों से ठीक नहीं बैठती है – पहली तो यह कि शाहजहाँ की बेगम का नाम मुमताज महल नहीं था और दूसरा यह कि किसी इमारत का नाम रखने के लिए किसी औरत के नाम से मुम को हटा देने से कोई अर्थ नहीं निकलता है।

ताजमहल शब्द के अंत जो महल शब्द है वो मुस्लिम शब्द है ही नहीं। अफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक किसी भी देश में कोई भी ऐसी ईमारत नहीं है जिसका नाम महल से पुकारा जाए। पूरे भारतवर्ष में 12 ज्योतिर्लिंग है। ऐसा लगता है कि तेजो महालय जिसे अब ताजमहल के नाम से जाना जाता है उनमें से ही एक है जिसे नागनाथेश्वर के नाम से जाना जाता था क्योंकि उसके जलहरी को नाग के द्वारा लपेटा हुआ जैसा बनाया गया था।

जब से शाहजहाँ ने उस पर कब्जा किया उसकी पवित्रता और हिंदुत्व समाप्त हो गए। मुमताज का नाम ज़ से समाप्त होता है न कि ज से इसलिए भवन का नाम ताज़ होना चाहिए था न कि ताज।

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