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सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) के लक्षण, कारण और घरेलू नुस्खे-Schizophrenia In Hindi

मनोविदलता (साइजोफ्रेनिया) क्या है-Schizophrenia In Hindi

साइजोफ्रेनिया पढने या लिखने में बहुत ही कठिन शब्द लगता है क्योंकि इस शब्द को बोलने में किसी भी व्यक्ति की जुबान थोड़ी सी लडखडा जाती है। हिंदी में इस शब्द को सिजोफ्रेनिया के नाम से जाना जाता है। अगर विज्ञान या चिकित्सा की भाषा में कहा जाए या समझा जाए तो यह एक मानसिक बीमारी होती है।

जो व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति वास्तविक और काल्पनिक वस्तुओं को समझने में भूल कर देते हैं और कई बार तो ऐसा होता है कि व्यक्ति कहीं और ही खोया रहता है उसे सामाजिक परिस्थितिओं में यह निर्णय लेने में कठिनाई होती है कि अब उसे क्या प्रतिक्रिया करनी चाहिए।

(और पढ़ें : Depression In Hindi , Frozen Shoulder In Hindi)

यह एक ऐसी मानसिक विकृति होती है जिसे बहुत से लोग पागलपन भी कहते हैं। इस रोग में व्यक्ति को तरह-तरह और अलग-अलग आवाजें सुनाई देती हैं जिसकी वजह से व्यक्ति को लगता है कि सभी लोग उसी की तरह या उसके खिलाफ कोई योजना बना रहे हैं। इस रोग के होने की वजह से व्यक्ति की सोचने और समझने की शक्ति प्रभावित हो जाती है ऐसे में उसका संबंध वास्तविकता से टूट जाता है।

मनोविदलता (साइजोफ्रेनिया) के लक्षण-Schizophrenia Symptoms In Hindi

1. भावनात्मक समस्याएं होना : इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति का बाहर की दुनिया से एक तरह से संपर्क टूट जाता है जिसकी वजह से वह हमेशा उदास नजर आता है। इस तरह के लोग सुख या दुःख का अनुभव नहीं कर पाते हैं जिसकी वजह से वे आम लोगों से बहुत ही अलग लगते हैं। ऐसे व्यक्ति को किसी व्यक्ति के मरने का भी शोक नहीं रहता है और खुशी के अवसरों पर उसे खुशी महसूस नहीं होती है।

2. भ्रम होना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को उस वस्तु के होने का अनुभव होता है जो असल में होती ही नहीं है। ऐसे व्यक्ति को ऐसी चीजें दिखाई देती हैं और आवाजें भी सुनाई देती हैं जिसकी वजह से उसे एक तरह का भ्रम हो जाता है।

3. अंधविश्वास होना : इस रोग के होने पर व्यक्ति को ऐसा लगता है कि सभी लोग उसके विरुद्ध साजिश कर रहे हैं, उसका मजाक उदा रहे हैं, उसे ऐसा लगता है जैसे किसी ने उसकी आवाज कंट्रोल कर रखी है। इस रोग में व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे उसके शरीर पर कीड़े रेंग रहे हैं।

4. सोचने की क्षमता क्षीण होना : इस रोग के रोगियों की सोचने और समझने की क्षमता बिलकुल खत्म हो जाती है। इस रोग में व्यक्ति के विचारों की एसोसिएशन कमजोर हो जाती है जिसकी वजह से उसे यह पता नहीं होता है कि वह क्या कह रहा है। वह ऐसे शब्दों का प्रयोग करता है जिनका कोई मतलब ही नहीं होता है।

5. बैठने में कठिनाई होना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति में बहुत तरह के मोटर लक्षण आसानी से देखे जा सकते हैं जिसकी वजह से उस व्यक्ति को बैठने में बहुत परेशानी होती है और उठते समय असहजता महसूस होती है।

6. व्यवहार में गडबड होना : अगर किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति के व्यवहार में एक अलग तरह का बदलाव होने लगता है क्योंकि ऐसा व्यक्ति बिलकुल शांत रहते हुए अचानक से इतना आक्रमक हो जाता है कि अपने आसपास के लोगों को मारने भी लगता है।

मनोविदलता (साइजोफ्रेनिया) के कारण-Schizophrenia Causes In Hindi

1. आनुवंशिकी से : अगर किसी बच्चे को यह रोग हो गया है और वह जुड़वां है तो हो सकता है कि दूसरे बच्चे में भी इस रोग के लक्षण दिखाई देने लगें क्योंकि यह एक आनुवंशिकी कारण की वजह से भी हो सकता है।

2. केमिकल से : किसी भी व्यक्ति के शरीर में न्यूरोट्रांसमीटर ऐसे केमिकल होते हैं जो मस्तिष्क में सूचनाओ का आदान प्रदान करते है। जब इन केमिकलों के स्तर में बदलाव हो जाता है तो इससे ब्व्ही यह समस्या हो सकती है क्योंकि इससे दोनों केमिकल के बीच असंतुलन हो जाता है।

3. ड्रग से : एक तरह से देखा जाए तो ड्रग्स सीधे तरीके से हमारे दिमाग को प्रभावित नहीं करती है लेकिन जब व्यक्ति अधिक मात्रा में नशीले पदार्थों या दवाईयों का सेवन कर लेता है तो इससे व्यक्ति में मस्तिष्क के रोगों के होने का खतरा बढ़ जाता है।

4. तनाव से : जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक तनावपूर्ण स्थिति में रहता है तब भी उस व्यक्ति को यह रोग हो जाता है। जब कोई व्यक्ति बड़ी समस्याओं जैसे- वियोग, नौकरी खोना, तलक, भावनात्मक दुःख आदि होते हैं तो ये इस रोग के बढने का कारण बन जाते हैं जिसकी वजह से यह बढ़कर अपने असली रूप में आ जाता है।

5. जेनेटिक्स से : अगर किसी परिवार में पहले सैजोफ्रेनिया रोग हो चुका है तो हो सकता है कि उसकी अगली पीढ़ी या उसके बेटे या पोते में इसके लक्षण दिखाई देने लगे क्योंकि यह जेनेटिक्स की वजह से भी फैल सकता है।

6. भ्रूण कुपोषण से : अगर कोई महिला गर्भवती है और उस महिला को ठीक प्रकार से पोषण न मिल पाए तो वह कुपोषण का शिकार हो जाती है जिसकी वजह से उसमें और उसके बच्चे में भी एक प्रकार के पागलपन के होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

मनोविदलता (साइजोफ्रेनिया) का इलाज-Schizophrenia Treatment In Hindi

1. कैमोमाइल के सेवन से इलाज :

अगर आपको यह रोग हो गया है तो आप कैमोमाइल का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इसमें सुखदायक और शांत गुण पाए जाते हैं जो मन और दिमाग को शांत करने में मदद करते हैं।

आप एक कप गर्म पानी लें और इसमें एक या आधा चम्मच कैमोमाइल के फूल मिलाकर ढक दें और कुछ देर के लिए इसे ऐसे ही छोड़ दें। जब यह ठंडा हो जाए तो इसका सेवन शाम के समय करें इससे आपकी इस रोग की समस्या ठीक हो जाएगी।

2. ब्राह्मी के सेवन से इलाज :

अगर आपको यह रोग हो गया है तो आप ब्राह्मी का सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह हमारे मस्तिष्क में कुछ केमिकलों को स्थिर करने में मदद करता है जिससे इस रोग को कम करने में मदद मिलती है। आप प्रतिदिन ब्राह्मी को आधे चम्मच की मात्रा में लेकर इस रोग से छुटकारा पा सकते हैं।

मनोविदलता (साइजोफ्रेनिया) से बचाव के उपाय-Prevention of Schizophrenia In Hindi

  • ऐसे रोगी को अपने परिवार और दोस्तों के सहारे, मदद और प्यार की बहुत जरुरत होती है।
  • रोगी को डॉ को दिखाकर उसकी दवाईयों का प्रबंध करना चाहिए।
  • रोगी को मजबूत इच्छा शक्ति रखनी चाहिए ताकि वह इस रोग से मुक्त हो सके।
  • रोगी को अपने इलाज को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।
  • रोगी को यह समझाना चाहिए कि हर किसी को अपने तरीके से सोचने का अधिकार होता है।
  • रोगी को मन को शांति पहुँचाने वाले व्यायाम करने चाहिएं।

मनोविदलता (साइजोफ्रेनिया) में क्या खाएं-Eat In Schizophrenia In Hindi

  • रोगी को ब्लूबेरी, स्ट्रोबेरी, संतरा, आंवला, आदि फलों अक सेवन करना चाहिए।
  • रोगी को नींबू, पालक, गाजर, खीरा, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
  • रोगी को कैमोमाइल टी, आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त रोगी को ब्राह्मी, सोयाबीन, आदि का सेवन करना चाहिए।

मनोविदलता (साइजोफ्रेनिया) में क्या न खाएं-Do Not Eat In Schizophrenia In Hindi

  • जिस व्यक्ति को साइजोफ्रेनिया रोग हो गया है उन्हें शक्कर, पास्ता, दूध, दही, ब्रेड, गेंहूँ, जौ, शराब, कैफीन, निकोटीन, मछली, बीज, सुपारी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

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