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बवासीर (अर्श) के लक्षण, कारण और घरेलू नुस्खे-Piles (Hemorrhoids) In Hindi

बवासीर क्या है-Piles (Bawasir) In Hindi

आधुनिक चिकित्सा पद्दति में इसको Piles, Haemerrhids भी कहा जाता है hindi में बवासीर का दूसरा नाम अर्श भी है। इस रोग में ये होता है की गुदाद्वार पर एक प्रकार के मस्से से फूल जाते है। इसमें मलद्वार की नसें भी फूल जाती है जिससे की वहां कि त्वचा सख्त हो जाती है।

बवासीर अधिकतर हमारी गुदा की रक्त वाहिकाओं पर ज्यादा दबाव की वजह से होता है। बवासीर होने की स्थिति में एनस में सूजन और मस्से पैदा हो जाते हैं। बवासीर के दौरान होने वाला दर्द असहनीय होता है। बवासीर मलाशय के आस-पास की नसों की सूजन की वजह से विकसित होता है।

होमोरोइड या अर्श गुदा-नाल में वाहिकाओं की वे संरचनाएं हैं जो मल नियंत्रण में सहायता करती हैं। जब वे सूज जाते हैं या बड़े हो जाते हैं तो वे रोगजनक या बवासीर हो जाते हैं। अपनी शारीरिक अवस्था में वे धमनीय-शिरापरक वाहिका और संयोजी ऊतक द्वारा बने कुशन के रूप में काम करते हैं।

बवासीर को चार वर्गों में बटन गया है जैसे :

1. वर्ग 1 : आंतरिक बवासीर में गुदा नलिका की अंदरूनी परत पर हल्की सी सूजन होती है। इस बवासीर में दर्द नहीं होता है इसलिए यह बहुत ही आम बवासीर है।

2. वर्ग 2 : दुसरे वर्ग में सूजन थोड़ी अधिक होती है। जब आप मलत्याग करते हैं तो आपको जोर लगाना पड़ता है जिसकी वजह से आपको मलत्याग के साथ-साथ खून और मस्से भी बाहर आ जाते हैं लेकिन मलत्याग के बाद ये मस्से फिर से अंदर चले जाते हैं।

3. वर्ग 3 : इसमें जब आप शौचालय जाते हैं तो मस्सों के साथ-साथ खून भी आता है। मलत्याग करने के बाद ऊँगली से मस्सों को अंदर करने से ये अंदर चले जाते हैं।

4. वर्ग 4 : इस बवासीर में बहुत ज्यादा दर्द होता है। मलत्याग करते समय जोर लगाने पर खून के साथ-साथ मस्से भी बाहर आ जाते हैं लेकिन ये ऊँगली से अंदर करने पर अंदर नहीं जाते हैं ये मस्से कभी-कभी बहुत बड़े हो जाते हैं।


बवासीर के प्रकार-Type of Piles In Hindi

बादी बवासीर-Badi Bawaseer

बादी बवासीर में मस्सा अन्दर होता है। मस्सा अन्दर होने की वजह से पखाने का रास्ता छोटा पड़ता है और चुनन फट जाती है और वहाँ घाव हो जाता है जिसे फिशर भी कहते हें। जिससे असहाय जलन और पीडा होती है। टट्टी कड़ी होने पर इसमें खून भी आ सकता है।

बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अंग़जी में फिस्टुला कहते हें। बादी बवासीर में पेट में कब्ज, जलन, दर्द, खुजली, शरीर में बेचैनी, काम में मन न लगना इत्यादि लक्षण देखने को मिलते हैं।

खूनी बवासीर-Khooni Bawaseer

खूनी बवासीर में किसी प्रकार की तकलीफ नही होती है केवल खून आता है। पहले पखाने में लगके, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से सिर्फ खून आने लगता है। इसके अन्दर मस्सा होता है। जो कि अन्दर की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है। टट्टी के बाद फिर से अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नही जाता है।


बवासीर रोग की पहचान-Identification of Hemorrhoids In Hindi

बवासीर को पहचानना बहुत ही आसन है  जैसे रक्त की मौजूदगी एक ऐसा लक्षण है, जो हमेशा बवासीर की स्थिति में दिखता है। अगर आपको अंदरूनी बवासीर है तो आपको टॉयलेट पेपर (toilet paper) पर खून दिख सकता है। पर अगर आपको बाहरी बवासीर है, तो आपके मलाशय के पास खून का थक्का या सूजन जमी देखी जा सकती है।


बवासीर के लक्षण-Symptoms of Piles In Hindi

1. मलत्याग में दर्द होना : व्यक्ति को मलत्याग करने के लिए जोर लगाना पड़ता है जिससे मलत्याग करने में अधिक दर्द होता है।

2. मलत्याग में खून आना : व्यक्ति को मलत्याग करने में बहुत जोर लगाना पड़ता है और कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मलत्याग के साथ-साथ खून भी आने लगता है।

3. गुदा से बलगम आना : बवासीर होने की स्थिति में गुदा से बलगम जैसा स्त्राव होता रहता है।

4. गुदा के पास मस्से होना : बवासीर होने पर व्यक्ति के गुदे में मस्से होने के साथ-साथ गुदे के पास भी मस्से हो जाते हैं जो बहुत दर्द करते हैं।

5. गुदा के पास खुजली होना : जब व्यक्ति को बवासीर हो जाती है तो उसके गुदा के पास मस्से होने के साथ-साथ खुजली भी होने लगती है।

6. अपान वायु निष्कासित : बवासीर रोग में अपान वायु ठीक से निष्कासित नहीं होती जिससे चेहरा फीका पड़ जाता है और पैरों में पीड़ा होती है।


बवासीर के कारण-Piles Causes In Hindi

यह भी पढ़ें :- Arthritis In Hindi , Grapes Benefits In Hindi

1. कब्ज के कारण : आयुर्वेद के अनुसार बवासीर का प्रमुख कारण कब्ज है अगर आपको कब्ज लम्बे समय तक है तो बवासीर रोग आपको अपनी चपेट में ले सकता है।

2. गर्भावस्था के कारण : जब भी कोई स्त्री गर्भावस्था में होती है तब उसे बवासीर की समस्या होना आम बात मानी जाती है क्योंकि गर्भावस्था में बवासीर की समस्या होने का खतरा बहुत अधिक रहता है।

3. अधिक उम्र के कारण : जब व्यक्ति की उम्र अधिक हो जाती है तो उसका गुदा बहुत कमजोर हो जाता है जिसकी वजह से उसे बवासीर जल्दी हो सकती है।

4. अधिक वजन उठाने के कारण : जब व्यक्ति बहुत अधिक वजन को उठाता है तो उसके गुदा पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से बवासीर की समस्या हो जाती है।

5. लंबे समय तक बैठने से : जब कोई व्यक्ति अधिक समय या लंबे समय तक बैठा रहता है तो उसके पेट या गुदा पर दबाव पड़ता है जिससे उन्हें बवासीर की समस्या हो जाती है।

6. मोटापे के कारण : जब व्यक्ति का वजन अधिक होता है तो उसे बैठने में बहुत तकलीफ होती है जिससे उसके गुदे पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है जिससे उसके शरीर में मस्से हो जाते हैं इस स्थिति को ही बवासीर कहा जाता है।

7. अत्यधिक दवाईयों के सेवन से : जब व्यक्ति दवाईयों का बहुत अधिक सेवन कर लेता है तो उसके पेट में बहुत अधिक गर्मी बन जाती है इसकी वजह से उनके पेट में मस्से हो जाते हैं जो बवासीर का कारण बनते हैं।

8. शरीर में पानी की कमी से : जब हमारे शरीर में पानी की बहुत अधिक कमी हो जाती है तो हो सकता है कि आपको बवासीर की समस्या का सामना करना पड़े।

9. धुम्रपान और शराब से : जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक मात्रा में सिगरेट, तंबाकू और शराब का सेवन करता है तो उसका लीवर खराब हो जाता है जिससे भी बवासीर होने की संभावना बढ़ जाती है।


बवासीर के घरेलू उपचार-Piles Treatment In Hindi

6-7 मुनक्का को 1 कफ पानी में रात को भिगो दें फिर सुबह-सुबह मुनक्का का बीज निकाल दो और मुनक्का खा लें और फिर उस पानी को ऊपर से पी लें देखना कितना अद्भुत रिजल्ट आता है।

मूली के रश से बवासीर का उपचार

एक कप मूली का रश निकालकर सुबह भोजन करने के बाद पी लें और 1 कफ दोपहर के खाना खाने के बाद और साम को इसका सेवन नहीं करना है। इससे आपकी बवासीर, पाईल्स, हेमोरोइड्स, फिसचुला, फिसर जैसे सभी बिमारी जड़ से खत्म हो जाती हैं।

नारियल की जटा से खूनी बवासीर का उपचार

नारिया की जटा खूनी बवासीर में बहुत ही फायदेमंद होती है। सबसे पहले इस जटा को आप जलाकर इसकी भस्म बना लो फिर फिर इस भस्म में से 3-4 ग्राम भस्म लेकर 1 कफ दही या छाछ (मठ्ठा) में मिलाकर सेवन करें ये आपको एक ही दिन लेनी है 1 दिन मैं आप इसे 3 समय ले सकते हो जैसे- सुबह, दोपहर, साम, ये दवाई इतनी कारगर है की एक दिन मैं ही ठीक कर देती है। – नारियल के फायदे और नुकसान

काले अंगूर के रस से बवासीर का इलाज

बवासीर की सबसे अच्छी दवा काले अंगूर का रश। काले अंगूरों का एक कफ रश रोज पियें सुबह-सुबह ध्यान दें रश आपको साम को नहीं पीना मतलब।

बेल के शरबत से बवासीर का इलाज

गर्मी के दिनों मैं बेल के शरबत का प्रयोग बिना बर्फ के करें इससे पेट की सभी बीमारी ठीक हो जाती है। इससे कब्ज भी ठीक हो जाती है क्यूंकि बवासीर रोग कब्ज के कारण होता है कब्ज ठीक हो जाएगी तो बवासीर भी ठीक हो जाएगी। तो जितना हो सके गर्मी के मौसम में इसका ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।

आम और जामुन की गुठलियों से बवासीर का इलाज

आम की घुट्ली के अन्दर का भाग और जामुन की घुट्ली को धुप में सुखा लें। फिर इन दोनों को मिलाकर इनका चूर्ण बना लें फिर इस चूर्ण को एक सीसी में भर ले। फिर इसमें से एक चम्मच रोज गर्म पानी के साथ सेवन करें बहुत जल्दी लाभ होगा। और इसका सेवन आप छाछ के साथ भी कर सकते है इससे खूनी बवासीर में बहुत लाभ होता है।

करेले के रस से बवासीर का इलाज

करेले का रश बनाकर उसमें थोड़ी से मिश्री मिलाकर उसमे से एक चम्मच रोज दिन में दो बार सेवन करें दो या तीन दिन में लाभ होगा।

छाछ के सेवन से बवासीर का इलाज

एक या दो लीटर छाछ ले और उसमें 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और नमक मिलाएं इससे आपकी बवासीर की समस्या में लाभ मिलेगा।

जीरे के के सेवन से बवासीर का इलाज

जीरे को भूनकर मिश्री के साथ मिलाकर चूसें इससे आपको बवासीर में अधिक लाभ होगा। या आप आधी चम्मच जीरे का पाउडर लें और उसे एक गिलास पानी में डाल लें और पी जाएँ।

तिल के सेवन से खूनी बवासीर का इलाज

दस ग्राम धुले हुए काले तिल लें और उन्हें एक ग्राम ताजे मक्खन के साथ मिलाकर लें। इससे आपकी बवासीर की समस्या में लाभ मिलेगा और खून आना भी बंद हो जाएँगे।

बड़ी इलायची के सेवन से बवासीर का इलाज

थोड़ी सी बड़ी इलायची को तवे पर तब तक भूनें जब तक वह जल न जाए। जब इलायची जल जाए तो उसे ठंडी होने के लिए रख दें। जब इलायची ठंडी हो जाए तो इलायची को पीसकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण का सुबह के समय पानी के साथ नियमित रूप से सेवन करें इससे आपकी बवासीर की समस्या में अधिक लाभ मिलेगा। – इलायची के फायदे और नुकसान

एप्पल साइडर वेनेगर के प्रयोग से बवासीर का इलाज

एप्पल साइडर वेगेनर में इंफेक्शन को बढने से रोकने के गुण पाए जाते हैं। आप एक साफ कटोरी में दो या तीन चम्मच एप्पल साइडर वेगेनर ले लें और रुई के एक साफ टुकड़े को उसमें डुबाकर रख दें। अब इस रुई को अपनी प्रभावित जगह पर लगाएं इससे आपको बवासीर की समस्या में राहत मिलती है।

एरंडी के तेल के प्रयोग से बवासीर का इलाज

एरंडी का तेल और कपूर लें पहले आप तेल को गर्म कर लें उसके बाद इसमें कपूर मिला लें। अब आप मलत्याग के बाद मस्सों को धोकर इन पर तेल से मालिश करें। – Arandi Oil Benefits In Hindi

बर्फ के प्रयोग से बवासीर का इलाज 

एक साफ कपड़ा लें और उस कपड़े में बर्फ का एक टुकड़ा बांध लें और अपने गुदा के मस्सों पर रखें इससे आपके मस्से जल्द ही ठीक हो जाएँगे। अगर आप चाहें तो बर्फ को बिना कपड़े के भी मस्सों पर लगा सकते हैं।

एलोवेरा के प्रयोग से बवासीर का इलाज

एलोवेरा जेल को अपने गुदा पर लगा लें और धीरे-धीरे मालिश करें। इससे आपकी दर्द और जलन की समस्या ठीक हो जाएगी। इसके अलावा आप एलोवेरा की पत्तियों को काटकर ठंडा होने के लिए फ्रिज में रख दें। अब इन्हें निकालकर अभावित जगह पर लगाएं।


बवासीर का होम्योपैथी दवा से उपचार-Piles Treatment With Homeopathic Medicine In Hindi

एक दवाई है जिसका नाम है Nux – Vomica 30 यह एक बहुत ही अच्छी दवाई है बवासीर को खत्म करने के लिए इसमें से एक बूँद डेली साम को खाना खाने के आधे घंटे बाद जीभ (जुबान) पर डालनी है इससे आपको बवासीर में बहुत ही जल्द लाभ होगा।


बवासीर से बचाव के उपाय-Prevention of Piles In Hindi

  • रोगी को जितना हो सके मानसिक तनावों से दूर रखना चाहिए।
  • बवासीर के रोगी को बैंगन और आलू कम खाने के लिए देना चाहिए।
  • बवासीर के रोगी को धुम्रपान जैसे तंबाकू, शराब और सिगरेट नहीं पीनी चाहिए।
  • रोगी को ज्यादा समय तक एक ही जगह पर बैठने नहीं देना चाहिए।
  • रोगी को रात के समय जल्दी सोना चाहिए और सुबह जल्दी उठाना चाहिए।
  • रोग के मूल कारणों को दूर करें।
  • कब्ज का इलाज करें क्यूंकि यह रोग कब्ज के कारण होता है।
  • पानी ज्यादा मात्रा में पियें।

बवासीर में क्या खाएं-Eat In Bawaseer

  • जिन लोगों को बवासीर की समस्या है उन्हें ओट्स, मक्का, गेंहूँ, अंजीर, पपीता, आलूबुखारा, एवोकाडो, बेल, अनार, चीकू, संतरा, बब्बुगोशा, माल्टा, आडू, मशरूम, आंवला, चौलाई, शलजम, टमाटर, खीरा, भिन्डी, परवल, कुलथी, जिमीकंद, चिरायत, लाल चंदन, सौंठ, जवासा, खजूर, जामुन, केला, ब्लैकबेरी, जामुन, सेब, बादाम, अखरोट, प्याज, बड़ी इलायची, आंवला, नीम, गुलाब की पंखुडियां, इसबगोल, तिल, हरीतकी, छाछ, जीरा, त्रिफला, फलियाँ, शिमला मिर्च, तोरी, टिंडा लौकी, गाजर, मेथी, मूली, खीरा, ककड़ी, पालक, नाशपाती, अंगूर, सेब, मौसमी, संतरा, तरबूज, खरबूज, आडू, कीनू, अमरुद, सोयाबीन, ज्वार, चना, शरबत, शिकंजी, नींबू पानी, अदरक, नारंगी, लीची, रहिला, चूना, ओकरा, स्क्वाश, गोभी, कसूरी मेथी, लहसुन आदि का सेवन करना चाहिए।

बवासीर में क्या न खाएं-Do Not Eat In Bawaseer

  • जिन लोगों को बवासीर है उन्हें सफेद आटा, मैदा, जंक फूड, धुम्रपान, शराब, चावल, राजमा, छोले, उड़द, चना, मीट, अंडा, मछली, तंबाकू, दूध, तेल, मसालेदार भोजन, बाजार के खाद्य पदार्थों, भारी भोजन, घुइयाँ, खटाई, पकोड़े, चाट-टिकिया, समोसे, आइसक्रीम, जैली, चोकलेट, कैंडी, कुकीज, केक, ब्रेड, पास्ता, सफेद चावल, सीताफल, गुड, लाल मिर्च से दूर ही रहना चाहिए।

बवासीर में परहेज-Bawaseer Me Parahej

  • बवासीर से बचने के लिए गुदा को गर्म पानी से न धोएं।
  • एक बार बवासीर ठीक हो जाने के बाद परहेज बनाये रखें अगर आपने परेज नहीं बनाया तो बवासीर दुबारा से हो सकती है। अत: बवासीर के रोगी के लिए बदपरहेजी से परम आवश्यक है।
  • सुबह बिना मंजन/कुल्ला किये दो गिलास गुनगुना पानी पिएं।

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