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टॉन्सिल में मवाद पड़ने के लक्षण, कारण और घरेलू नुस्खे-Peritonsillar Abscess In Hindi

इस रोग को पेरिटोंसिलर एब्सेस के नाम से भी जाना जाता है। हर व्यक्ति के गले के प्रवेश द्वार के दोनों ओर मांस की गांठ जैसी होती है जो लसिका ग्रंथि के समान या तरह होती है जिसे टॉन्सिल के नाम से जाना जाता है।

मौसम बदलने की वजह से और सर्दियों में टॉन्सिल के रोगी को बहुत अधिक परेशानी होती है। पेरिटोंसिलर फोड़ा एक जीवाणु संक्रमण होता है जो आमतौर पर अनुपचारित स्ट्रेप गले और टॉन्सिलाइटिस की जटिलता के रूप में शुरू होता है।

  • यह भी पढ़ें : सूजे हुए टांसिल के लक्षण और इलाज

यह रोग आमतौर पर एक मवाद से भरा जेब होता है जो हमारे टॉन्सिल में से एक के पास बन जाती है। यह रोग बच्चों, जवानों और युवा बालकों में आमतौर पर होता है क्योंकि यह रोग अक्सर सर्दियों की शुरुआत में या अंत में होता है।

जब टॉन्सिल संक्रमित हो जाते हैं तो संक्रमण की वजह से टॉन्सिल के पास मवाद एकत्रित हो जाता है जजो इसको विपरीत दिशा की तरफ धकेलता है। इस रोग में होने वाले फोड़ों को तत्काल सुखा देना चाहिए।

पेरीटांसिलर एब्सेस के लक्षण-Peritonsillar Abscess Symptoms In Hindi

1. टॉन्सिल में संक्रमण होना : जब कोई व्यक्ति दूषित भोजन कर लेता है तो वह गले से गुजरते समय उसमें जो कीटाणु होते हैं वो टॉन्सिल के आसपास चिपक जाते हैं जिसकी वजह से टॉन्सिल संक्रमित हो जाते हैं जिसकी वजह से टॉन्सिल पककर उसमें मवाद पड़ने लगती है।

2. गले में दर्द होना : जब कोई व्यक्ति दूषित भोजन खा एटा है तो उस व्यक्ति के अंदर जाने वाले दूषित कण उसके टॉन्सिल के पास चिपक जाते हैं और टॉन्सिल में मवाद पड़ने का कारण बन जाते हैं। रोगी को मुंह में खोलने में बहुत परेशानी होती है जिसके साथ-साथ उसे खाना निगलने में भी बहुत परेशानी होती है। रोगी के गले और जबड़े में सूजन हो जाती है जिसकी वजह से इनमें दर्द होता रहता है।

3. बुखार आना : जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को ठंड बहुत लगती है क्योंकि यह सर्दी में होने वाला एक रोग है। व्यक्ति को गले में सूजन की वजह से बहुत अधिक दर्द होता है जिसकी वजह से उसे बुखार की समस्या भी हो जाती है।

  • जानिए : बुखार का एक ही खुराक में इलाज 

4. सिरदर्द होना : इस रोग के होने पर रोगी को बहुत अधिक बल की जरुरत होती है जिसकी वजह से नसों पर दबाव पड़ता है इसी वजह से व्यक्ति को सिर में दर्द होने लगता है। व्यक्ति को गले में दर्द होता है जिसकी वजह से व्यक्ति की आवाज भी बदल जाती है।

5. कान दर्द होना : जब किसी व्यक्ति के गले में टॉन्सिल हो जाते हैं और पककर उनमें फोड़े हो जाते हैं तो कुछ समय के बाद उनमें मवाद पड़ने लगती है। फोड़ों में मवाद पद जाती है जिसकी वजह से गले में दर्द होता है जिसकी वजह से फोड़े के पक्ष में कान दर्द होने लगता है।

पेरीटांसिलर एब्सेस के कारण-Peritonsillar Abscess Causes In Hindi

1. संक्रमण से : पेरिटोंसिलर एब्सेस या फोड़े आमतौर पर टॉन्सिल के रूप में होते हैं और जब संक्रमण एक टॉन्सिल से निकल जाता है तो आसपास के क्षेत्र में भी फैलने लगता है जिसकी वजह से उनके आसपास फोड़े बन जाते हैं।

2. ग्रंथियों की सूजन से : हर व्यक्ति के पास खाने का स्वाद चखने के लिए एक जीभ होती है और खाने को पचाने के लिए जीभ के निचे लार उत्पन्न करने वाली ग्रन्थियां पाई जाती है। जब इन वेबर ग्रंथियों में सूजन आ जाती है इसकी वजह से भी टॉन्सिल की समस्या हो जाती है।

  • जानिए : प्रोस्टेट ग्रन्थि की सूजन के इलाज के बारे में

पेरीटांसिलर एब्सेस का इलाज-Peritonsillar Abscess Treatment In Hindi

1. नमक के पानी के प्रयोग से इलाज : 

अगर आपको टॉन्सिल में मवाद पड़ने की समस्या हो गई है तो आप नमक पानी का प्रयोग कर सकते हैं। सबसे पहले आप एक गिलास गुनगुना पानी लें फिर उसमें एक चौथाई चम्मच सेंधा नमक डालें और उसके बाद समान मात्रा में पीसी हुई फिटकरी मिला लें और इसके बाद इससे गरारे करें इससे आपको इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।

पेरीटांसिलर एब्सेस से बचाव के उपाय-Prevention of Peritonsillar Abscess In Hindi

  • रोगी को अपने दांतों को स्वस्थ रखने के लिए अपने दांतों की जाँच करानी चाहिए।
  • रोगी को धुम्रपान करने से रोकना चाहिए क्योंकि धुम्रपान करने वाले लोगों को यह रोग बहुत अधिक होता है।
  • कई बार ऐसा होता है कि रोगी को कुछ भी खाने में बहुत समस्या होती है इसलिए उसे तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • रोगी को शौचालय करने के बाद और खाना खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।
  • रोगी के खाने-पीने या किसी भी तरह की चीजों को साझा नहीं करना चाहिए।
  • खांसते या छींकते समय मुंह पर रुमाल या कपड़ा रख लेना चाहिए।
  • रोगी को अधिक ठंडी और गर्म चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • रोगी को प्रतिदिन गले को गुनगुने पानी से साफ करना चाहिए।

पेरीटांसिलर एब्सेस में क्या खाएं-Eat In Peritonsillar Abscess In Hindi

  • रोगी को हल्दी, सेंधा नमक, फिटकरी, काली मिर्च, अजवाइन, दालचीनी, आदि मसालों का सेवन करना चाहिए।
  • रोगी को शहद, दूध, हर्बल टी, आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • रोगी को गाजर, आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
  • रोगी को सिंघाड़ा, आदि फलों का सेवन करना चाहिए।

पेरीटांसिलर एब्सेस में क्या न खाएं-Do Not Eat In Peritonsillar Abscess In Hindi

  • रोगी को अनानास, खुबानी, केला, संतरा, आडू, खरबूजा, पपीता, सेब आदि फलों का सेवन नहीं करना चाहिए।

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