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भ्रामरी प्राणायाम विधि, लाभ और सावधानी-Bhramari Pranayama In Hindi

भ्रामरी प्राणायाम-Bee Breath In Hindi

भ्रामरी प्राणायाम को अंग्रेज़ी में Bee-Breathing Technique के नाम से भी जाना जाता है। भ्रामरी संस्कृत शब्द ‘भ्रमर’ से आया है जिसका अर्थ भारतीय काली मधुमक्खी है जहाँ भ्रमर का अर्थ ही मधुमक्खी होता है।

इस प्राणायाम को करते समय व्यक्ति बिल्कुल मधुमक्खी की तरह ही गुंजन करता है। इसलिए इसे भ्रामरी प्राणायाम कहते है। इस प्राणायाम के अभ्यास द्वारा, किसी भी व्यक्ति का मन, क्रोध, चिंता व निराशा से मुक्त हो जाता है।


भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि-Steps of Bhramari Pranayama In Hindi

  • सबसे पहले एक स्वच्छ और समतल जगह पर चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन या सुखासन की अवस्था में बैठ जाएँ।
  • अब अपने दोनों हाथों को को ऊपर उठाकर अपने कंधों के समांतर ले जाये।
  • अब अपने दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर अपने कानो के पास लायें ।
  • अब अपने दोनों हाथों के अंगूठों से अपने दोनों कानो को बंद कर लें।
  • दोनों हाथो की तर्जनी उंगली को माथे पर और मध्यमा , अनामिका और कनिष्का उंगली को आँखों के ऊपर रखना हैं।
  • अब अपना मुह बिल्कुल बंद रखें और अपने नाक के माध्यम से सामान्य गति से सांस अंदर लें।
  • फिर नाक के माध्यम से ही मधु-मक्खी जैसी आवाज़ करते हुए सांस बाहर निकालें। ध्यान रहे की सांस बाहर निकालते हुए  “ॐ” का उच्चारण करें।
  • अब इस क्रिया को 5-7 बार दोहरायें।


भ्रामरी प्राणायाम के लिए समय अविधि-Times of Bhramari Pranayama In Hindi

अगर आपने ये प्राणायाम करना अभी शुरू ही किया है तो आप इसका अभ्यास आप 10-12 मिनट तक ही करें क्यूंकि इस प्राणायाम की समय अविधि एक साथ नहीं बढ़ानी चाहिए। सुबह और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।

एक सामान्य व्यक्ति को भ्रामरी प्राणायाम शुरुआत में दस से पन्द्रह बार करना चाहिए। कुछ समय तक निरंतर अभ्यास करते रहने के बाद इसे बढ़ा देना चाहिए। भ्रामरी प्राणायाम को अपने आसन अभ्यास को समाप्त करने के बाद ही करें।


यह भी पढ़ें :- Bahya Pranayama , Surya Bhedana Pranayama


भ्रामरी प्राणायाम से होने वाले लाभ-Benefits of Bhramari Pranayama In Hindi

1. तनाव से मुक्ति : तनाव कम करने और मानसिक तनाव से मुक्ति पाने के लिए भ्रामरी प्राणायाम बहुत ही लाभदायक होता है।

2. सकारात्मक सोच : भ्रामरी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हम अपनी स्मरणशक्ति व् सकारात्मक सोच बढ़ा सकते हैं।

3. Sinusitis के रोग : सर्दी के मौसम में नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना, नाक से पानी गिरना इन सभी रोगों से छुटकारा पाने के लिए भ्रामरी प्राणायाम सबसे बेहतर प्राणायाम है।

4. उच्च रक्तचाप में : उच्च रक्तचाप को के रोगियों के लिए भ्रामरी प्राणायाम बहुत ही उपयोगी हैं।

5. कुंडलिनी शक्ति : भ्रामरी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हम अपनी कुंडलिनी शक्ति जागृत कर सकते हैं।

6. मधुर आवज : भ्रामरी प्राणायाम का लंबे समय तक अभ्यास करते रहने से व्यक्ति की आवाज़ मधुर हो जाती है।

7. थायरोइड समस्या : थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति को भ्रामरी प्राणायाम से लाभ मिलता है।

8. रक्त दोषों से मुक्ति : इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से हर प्रकार के रक्त दोषों से मुक्ति पायी जा सकती है।

9. माइग्रेन रोग में : माइग्रेन के रोगियों के लिए भ्रामरी प्राणायाम लाभदायक है।


भ्रामरी प्राणायाम करते समय सावधानी-Precaution of Bhramari Pranayama In Hindi

  • कान में दर्द होने पर यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
  • प्राणायाम करने का समय और चक्र धीरे-धीरे बढ़ाये।
  • भ्रामरी प्राणायाम करते समय चक्कर आना, घबराहट होना, खांसी आना, सिरदर्द या अन्य कोई परेशानी होने पर प्राणायाम रोककर अपने डॉक्टर या योग विशेषज्ञ की सलाह लेना चाहिए।
  • अगर आप भ्रामरी प्राणायाम शाम के वक्त कर रहे हैं तो प्राणायाम करने और शाम का भोजन लेने के समय के बीच कम से कम दो से तीन घंटे का अंतर ज़रूर रखे।
  • भ्रामरी प्राणायाम करते वक्त दोनों कान के पर्ण की सहायता से कान ढकने होते हैं, अपनी उँगलियों को कान के अंदर नहीं डालना है।

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