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Essay On Holi In Hindi (100, 200, 300, 500, 700, 1000 Words)

होली निबंध 1 (100 शब्द) :

हम सभी भारत वासी हैं और हमारे देश को उसके भिन्न-भिन्न त्यौहारों की वजह से जाना जाता है जिसमें हिंदुओं का पर्व होली एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। होली एक रंगों का त्यौहार है जो बसंत ऋतू में अथार्त फाल्गुन मास में मनाया जाता है। होली के दिन सभी लोग छोटे-बड़े, युवा-बूढ़े आदि एक-दूसरे को रंग लगाते हुए होली की बधाईयाँ देते हैं।

होली को एक-दूसरे के प्रति स्नेह का प्रतिक माना जाता है क्योंकि आज के दिन सभी लोग अपने आपसी मत-भेद भूलकर एक दूसरे के साथ होली खेलते हैं। होली पर सभी लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं जिसके दौरान सभी लोग मिलकर ढोलक, डी.जे., आदि की धुन पर नाचकर अपने उत्साह को प्रकट करते हैं।

होली के दिन सभी घरों में अलग-अलग तरह के व्यंजन और पकवान बनाए जाते हैं। होली त्यौहार से एक दिन पहले रात के समय होलिका दहन किया जाता है जिसके अगले दिन लोग मौज-मस्ती और उत्साह के साथ एक-दूसरे को रंग लगाते हैं।

होली निबंध 2 (200 शब्द) :

भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर विभिन्न धर्मों को मानने वाले और विभिन्न त्यौहार मनाने वाले लोग रहते हैं। भारत के त्यौहारों में से एक प्रमुख त्यौहार है होली का त्यौहार जिसे रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है। होली के त्यौहार को बसंत ऋतू के फाल्गुन मास में मनाया जाता है। होली के त्यौहार को भक्त प्रहलाद के आग से बचने और उनके पिता की बहन होलिका के आग में जलने की खुशी में मनाया जाता है।

आज के दिन प्रहलाद के पिता की बहन प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर चिता पर बैठी थी क्योंकि होलिका को एक चुंदरी के रूप में यह वरदान प्राप्त था कि जब तक वह चुंदरी उसके पास है आग उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती।

लेकिन आज के दिन भक्त प्रहलाद के प्राण बच गए थे और होलिका के पास वरदान होते हुए भी वह आग में जलकर राख हो गई थी जिसकी खुशी में लोगों में एक-दूसरे पर गुलाल और रंग बिखेरे थे जिसकी वजह से आज के दिन को होली के नाम से मनाया जाने लगा था। हर साल की तरह होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जिसके अगले दिन लोग खुशी से एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं।

होली निबंध 3 (300 शब्द) :

भूमिका : जिस तरह भारत में दीपावली के त्यौहार को मनाया जाता है उसी प्रकार भारत में होली को भी बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली के त्यौहार को बसंत ऋतू के फाल्गुन मास में मनाया जाता है क्योंकि आज के ही दिन भक्त प्रहलाद के पिता की बहन की आग में जलकर मृत्यु हुई थी जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में माना गया था और उसी दिन से इस उत्सव को हर साल मनाया जाने लगा था जिसकी वजह से इसका इतिहास और महत्व अधिक हो गया है।

होलिका दहन : होली का त्यौहार फाल्गुन मास के आखिरी दिन पर होलिका दहन से शुरू होता है और अगले दिन को रंगों से रंग दिया जाता है। होलिका दहन के लिए बहुत से लोग छोटे-छोटे उपलों की माला बनाकर उसे एक निर्धारित स्थान पर रखा जाता है जिसके बाद रात के समय पंडित जी के बताए गए समय पर उपलों की माला के ढेर में आग लगा दी जाती है जिसे लोग होलिका दहन के नाम से जानते हैं।

इसके अगले दिन सभी लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और रंगों से भरे गुब्बारे और पिचकारी से भीगा हुआ रंग फेंकते हैं। आज के दिन लोग सभी तरह के भेद-भाव भूलकर एक-दूसरे को होली की बधाई देते हैं।

उपसंहार : होली एक प्रमुख त्यौहार है जिसे भारत देश के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में भी बहुत ही उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार रंगों से भरा एक पर्व है जिसे हिंदुओं के द्वारा बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

भारत में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं लेकिन होली का त्यौहार बाकि सभी त्यौहारों से कुछ अलग तरह का त्यौहार है। होली का त्यौहार हम सभी को मौज-मस्ती, मनोरंजन, खुशी, उत्साह आदि का संदेश देता है। होली के त्यौहार को दुखों, उलझनों और संतापों को भूलकर अपनी संपूर्णता के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं।

होली निबंध 4 (400 शब्द) :

भूमिका : होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें लोग एक-दूसरे को रंग या गुलाल लगाते हैं जिसकी वजह से इस त्यौहार को हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और खुशी के साथ मनाते हैं। होली को रंगों का उत्सव कहा जाता है जो भारत के हिंदू धर्म के लोगों के द्वारा बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।

होली के त्यौहार को हर साल बसंत ऋतू के समय फाल्गुन मास में आता है जो दीपावली की तरह ही अधिक खुशी प्रदान करने वाला त्यौहार है। होली का यह दिन हर साल चैत्र मास के एक दिन पहले आता है जिस दिन पूरी प्रकृति और वातावरण बहुत ही सुंदर और रंगीन नजर आती है।

होली का उद्देश्य : होली के त्यौहार को होलिकोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। होलिका शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के होल्क शब्द से हुई थी जिसका अर्थ होता है भुना हुआ अन्न जिससे होलिका शब्द से होली शब्द की उत्पत्ति हो गई।

पुराने समय में जब लोग अपनी नई फसल को काटते थे तो उससे कोई भी काम करने से पहले भगवान का भोग लगाते थे इसलिए नवान्न को आग के प्रति समर्पित करके उसे भूना जाता था। अन्न के ठीक प्रकार से भुनने के बाद उसे सभी लोगों में प्रसाद के रूप में बाँट देते थे और आग से सेक लेते हुए बड़े ही स्वाद से खाते थे इसी वजह से आज भी बहुत से क्षेत्रों में होलिकोत्सव मनाया जाता है।

ऐतिहासिकता : होली के त्यौहार के पीछे एक ऐसे भक्त की कहानी है जिसने कभी अपनी भक्ति को हारने नहीं दिया था। पुराने समय में एक राजा थे हिरण्यकश्यप उनका एक पुत्र था जो विष्णु देव की भक्ति करता था लेकिन उसके पिता को यह अच्छा नहीं लगता था इसलिए उन्होंने अपनी बहन होलिका को यह आदेश दिया कि वह उसको लेकर चिता पर बैठेगी।

होलिका को ब्रह्मा देव ने यह वरदान दिया था कि आग उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु का नाम लेकर अपनी बुआ के साथ चिता पर बैठ गए जिसमें भक्त प्रहलाद को कोई चोट नहीं पहुंची लेकिन होलिका जलकर राख हो गई उसी की खुशी में हर साल इस दिन को होली के रूप में मनाया जाने लगा।

उपसंहार : होली को खुशियों, उत्साह, रंगों और एकता का प्रतिक माना जाता है क्योंकि होली के दिन सिर्फ खुशियाँ होती हैं। होली को भारत देश में एक राष्ट्रिय त्यौहार के रूप में मनाया जाता है क्योंकि होली के दिन सभी स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, कार्यालयों, बैंकों, और दूसरे सभी संस्थानों में होली की शुभकामनाएं दी जाती हैं लेकिन होली के दिन ये सभी स्थान बंद रहते हैं ताकि लोग होली के दिन सभी तरह की चिंताओं से मुक्त होकर होली का आनंद ले सकें।

होली निबंध 5 (500 शब्द) :

भूमिका : होली भारत के मुख्य त्यौहारों में से एक त्यौहार है क्योंकि यह एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन सभी लोग एक-दूसरे का खुलकर मजाक उड़ाते हैं। होली के दिन सभी बच्चे, बूढ़े, युवा रंगों से खेलते हैं।

होली के पर्व को हर साल मार्च के महीने में मनाया जाता है। सभी लोगों के द्वारा इस दिन को एकत्र, प्यार, खुशी, सुख और जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है। होली के पर्व को एक-दूसरे के साथ प्यार और खुशी जाहिर करने के लिए चमकीले और आकर्षक रंगों से होली को खेला जाता है।

रंगों का त्यौहार : भगवान श्री कृष्ण के जन्म से पहले होली को सिर्फ होलिकोत्सव के रूप में मनाया जाता था जिसमें होलिका दहन में नवान्न अर्पित किए जाते थे लेकिन जब भगवान श्री का जन्म हुआ तो उन्होंने इस त्यौहार को रंगों के त्यौहार में परिवर्तित कर दिया।

एक बार होलिकोत्सव के दिन भगवान श्री कृष्ण के घर पूतना नाम की राक्षसी आई थी लेकिन कृष्ण ने उसका वध कर दिया था। जब कृष्ण युवा अवस्था में पहुंचे थे तो उन्होंने इस पर्व को गोपी-गोपिकाओं के साथ रासलीला और रंग खेलने के साथ-साथ रात में समय होलिका दहन करने की परंपरा बन गई थी।

बसंत का आगमन : जब प्रकृति में बसंत का आगमन होता है तो प्रकृति के अंग-अंग में यौवन फूटने लगता है तब होली का त्यौहार बसंत ऋतू का श्रंगार करने के लिए आता है। होली का पर्व एक ऋतू से संबंधित त्यौहार है।

जब एक ऋतू यानि शीतकाल ऋतू की समाप्ति होती है तो ग्रीष्मकाल ऋतू का आगमन होता है और जब ये दोनों ऋतुएं मिलती हैं तो इन दोनों के मिलने से होने वाले संधिकाल को होली का त्यौहार कहा जाता है। जब शीतकाल ऋतू की समाप्ति होती है तो सभी किसान आनंद से भर जाते हैं क्योंकि यही वह समय होता है जब उनका साल भर यानि पूरी साल किया गया कठोर परिश्रम सफल होता है और उनकी फसल पकनी शुरू हो जाती है।

(और पढ़ें : होली पर निबंध , होली से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें)

होली की तैयारियां : होली त्यौहार से एक दिन पहले सभी लोग गोबर, लकड़ी, घास आदि के ढेर को एक निश्चित स्थान पर लगा देते हैं। रात के समय निश्चित समय पर उस ढेर में आग लगा दी जाती है और उसके साथ पौराणिक कथाओं को भी याद किया जाता है।

बहुत से लोगों का तो यह भी मानना है कि अगर आज के दिन परिवार के सभी सदस्यों के शरीर पर सरसों के उबटन से मसाज की जाए तो घर और मन से सारी गंदगी दूर हो जाती है और खुशियों तथा सकरात्मक शक्तियों का संचार होता है।

होलिका दहन के अगले दिन सभी लोग अपने मित्र, परिवार, सगे-संबंधियों को होली के त्यौहार की शुभकामनाएं देते हैं। इस दिन बच्चों के लिए गुब्बारे, रंग, पिचकारियाँ, गुलाल आदि खरीदा जाता है जिसे देखकर बच्चे बहुत अधिक खुश होते हैं। होली के दिन सभी घरों में तरह-तरह की मिठाईयां, व्यंजन, पकवान बनाए जाते हैं।

उपसंहार : होली त्यौहार को रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है जो हर साल फाल्गुन मास के महीने में मनाया जाता है। होली को हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार कहा जाता है लेकिन यह सिर्फ हिंदुओं का ही नहीं बल्कि सभी लोगों का त्यौहार है।

होली को सभी लोग एक नए उत्साह, आशा और जोश के साथ मनाते हैं। होली के त्यौहार पर लोग आपस में गले मिलते हैं, एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और होली के पर्व की शुभकामनाएं देते हैं। होली के दिन लोग खासतौर पर पापड़, हलवा, गुजिया, पकोड़े आदि व्यंजन खाते हैं।

होली निबंध 6 (600 शब्द) :

भूमिका : होली एक ऐसा त्यौहार है जो सभी के लिए सुख, खुशियों के साथ-साथ अनेक संकेत लेकर आता है। होली के त्यौहार का इंतजार सभी लोग बहुत ही उत्साह के साथ करते हैं क्योंकि होली के दिन सभी लोग बेफिक्र होकर रंगों के साथ खेलते हैं। होली के त्यौहार को भक्त प्रहलाद की भक्ति और होलिका के आग में जलकर राख होने की खुशी में मनाया जाता है जिस दिन सभी लोग अपने गिले, शिकवे भुलाकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं।

होली का यथार्त उद्देश्य : प्राचीन समय में जब भी किसानों की फसल पककर तैयार होती थी तो भगवान पर भोग के रूप में थोड़े से अन्न को भूनकर भगवान को चढाया जाता है। भगवान को भोग लगाने के बाद बाकि के भूने हुए अन्न को सभी लोगों में प्रसाद की तरह बाँट दिया जाता है और सभी लोग आग की सेंक लेते हुए उस प्रसाद को ग्रहण करते हैं और साथ-साथ बहुत से गीत, भजन, गाते हैं। एक-दूसरे के दुःख-सुख की बातें करते हैं, मौज-मस्ती के साथ बहुत सारा समय एक-दूसरे के साथ व्यतीत करते हैं।

होली का महत्व : होली के त्यौहार का हिंदू समाज के लिए बहुत अधिक महत्व है क्योंकि होली का पर्व दुश्मनों को भी दोस्त बना देता है। होली के त्यौहार पर अमीर-गरीब, क्षेत्र, जाति और धर्म में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। होली त्यौहार के दिन सभी लोग एक-दूसरे के घर जाकर लोगों के साथ रंगों से खेलते हैं।

जो लोग अपनों से दूर रहते हैं वो इस पर्व के माध्यम से एक-दूसरे से मिल जाते हैं। होली के दिन सभी लोग अपने गम, नफरत, नाराजगी भुलाकर आपस में एक नए रिश्ते को कायम करते हैं। जिस तरह दीपावली का पर्व अपने साथ बहुत से उद्देश्य और संदेश लेकर आता है उसी तरह होली भी बहुत से संदेश लेकर आता है। होली का त्यौहार सभी को भेदभाव और बुराईयों से दूर रहने की सलाह देता है।

भक्त प्रहलाद की कहानी : पुरातन काल में एक राजा हिरण्यकश्यप था जो अपने आप को भगवान मानता था। राजा अपनी पूरी प्रजा पर कहर बरसाता था क्योंकि वह चाहता था कि सभी लोग उसे ही भगवान मानें। लेकिन राजा का बेटा प्रहलाद अपने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ना चाहता था। उस पर बहुत सारे अत्याचार किए गए लेकिन फिर भी वह अपने दृढ निश्चय से पीछे नहीं हटा।

अंत में राजा ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को गोद लेकर चिता पर बैठने का आदेश दिया क्योंकि उसे कभी न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका प्रहलाद को लेकर चिता पर बैठ गई जिसमें प्रहलाद अपनी भक्ति में लीन हो गया और उसे कोई चोट भी नहीं आई लेकिन होलिका उसी आग में जलकर राख हो गई इसी वजह से भक्त प्रहलाद की भक्ति को याद करते हुए इस दिन को हर साल मनाया जाने लगा।

होली मनाने की विधि : होली को दो दिन का त्यौहार माना जाता है क्योंकि होली से एक दिन पहले किसी स्थान को निश्चित कर दिया जाता है। पूरा गाँव उस निश्चित जगह पर गोबर, घास, लकड़ियाँ आदि का ढेर लगा देता है। भारत के हिन्दू धर्म के अनुसार इस जगह की पूजा करने के बाद इस ढेर में आग लगा दी जाती है जिसे सभी लोग होलिका दहन कहते हैं।

इसी आग में सभी किसान अपने खेत की सबसे पहली फसल को भूनकर उसे प्रसाद के रूप में सभी को बांटते हैं। इसी की वजह से सभी में मिलन और भाईचारे की भावना पैदा होती है। अगले दिन सभी लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं जिसकी वजह से अगले दिन को धुलेंडी कहते हैं।

उपसंहार : होली एक पवित्र और शुद्धता का त्यौहार माना जाता है लेकिन आजकल लोग प्राकृतिक रंगों की जगह पर रासायनिक रंगों का प्रयोग करते हैं जिसकी वजह से त्वचा को नुकसान पहुंचता है। होली के इस दिन लोग भांग-ठंडाई पीने की जगह पर नशेबाजी करते हैं और लोक संगीत सुनने की जगह पर आधुनिक गानों को सुनते हैं।

होली निबंध 7 (700 शब्द) :

भूमिका : होली का त्यौहार ढेर सारी मौज-मस्ती और मजाक का त्यौहार माना जाता है क्योंकि आज के दिन सभी लोग अपने शिष्टाचार के बंधनों को तोडकर एक-दूसरे का खुलकर मजाक उड़ाते हैं क्योंकि आज के दिन कोई भी नाराज नहीं होता है।

होली के इस पर्व को भारत देश के साथ-साथ विदेशों में भी बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। होली के इस पावन पर्व पर सभी लोगों के चेहरे पर अपने-आप ही मुस्कान आ जाती है यहाँ तक कि वृद्ध लोगों में भी इसके नाम से उल्लास का संचार होता है।

होली क्यों मनायी जाती है : होली एक खुशी और उत्साहपूर्ण त्यौहार है जो होलिका के आग में जलकर राख होने की वजह से इसे होली के नाम से हर साल मनाया जाता है। तभी से हिन्दू धर्म के लोग बुराई या शैतानी शक्ति पर अच्छाई या ईश्वरीय शक्ति की विजय के रूप में इस दिन को बड़े धूम-धाम से मनाने लगे थे। जब कृष्ण जी का जन्म हुआ तो उन्होंने गोपियों के साथ रासलीला करके होली के इस त्यौहार को रंगों के त्यौहार में बदल दिया था।

होली का उत्सव : होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार है। होली के त्यौहार से एक दिन पहले सभी लोक होलिका दहन करके अपने देश के प्राचीन काल को या अतीत को याद करते हैं जिसकी वजह से आज हम होली जैसे पवित्र त्यौहार को मना पाते हैं।

आज के दिन सभी लोग एक-दूसरे को रंगों और गुलाल से रंग देते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं। आज के दिन सभी घरों में मिठाईयां, व्यंजन और तरह-तरह के पकवान बनवाते हैं और सभी लोग आपस में मिलजुलकर नाश्ता करते हैं। आज के दिन बहुत सी जगहों पर कार्यक्रम भी किए जाते हैं।

होली की मनोवैज्ञानिक दृष्टि : होली को आनंद का सरोवर और खुशी का बेसकीमती खजाना होता है जो कभी खत्म नहीं होता है। इस तरह का खजाना सब लोगों के अंतःकरण में विद्यमान होता है लेकिन वह कुछ कारणों या शिष्टाचार के बंधनों की वजह से पूर्ण रूपेण व्यक्त नहीं हो पाता है।

जब किसी व्यक्ति के शिष्टाचार के बंधन टूट जाते हैं तो उस व्यक्ति का खुशी का खजाना फूट पड़ता है और वह व्यक्ति आनंद से विभोर हो उठता है। होली के त्यौहार पर सभी लोग शिष्टाचार के बंधन को तोडकर एक-दूसरे पर रंग बरसाते हैं इसमें कोई भी व्यक्ति कुछ कहकर, खुद नाचकर, गाकर अपने अंतःकरण की खुशियों को व्यक्त करते हैं।

होली के दोष : होली का त्यौहार एक खुशियों का त्यौहार है लेकिन किसी भी त्यौहार में समय के साथ विकार उत्पन्न हो ही जाते हैं। आज के समय में लोग होली जैसे पवित्र त्यौहार पर शराब पीते हैं और शराब के नशे में चूर होकर लड़ाई-झगड़े पर उतर आते हैं।

कई बार तो ऐसा होता है कि लोग त्यौहार से अधिक महत्व अपनी शत्रुता को देते हैं जिसकी वजह से वे अपना बदला लेने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं। जिसकी वजह से रंगों का पर्व रंज के पर्व में बदल जाता है। बहुत से लोग तो ऐसे भी होते हैं जो इधर-उधर गंदगी फैला देते हैं जिसकी वजह से यह त्यौहार दूषित हो जाता है और इसमें विकार उत्पन्न हो जाते हैं।

होलिका दहन : रंगों के त्यौहार होली को फाल्गुन मास के आखिरी दिन होलिका दहन की शाम से शुरू किया जाता है और अगले दिन रंगों में रंगने का होता है। होली के पर्व को सभी बच्चे, बूढ़े, और जवान बहुत ही खुशी और उत्सुकता के साथ मनाते हैं। होली के आने से पहले ही लोग रंग, पिचकारी और गुब्बारे आदि खरीदकर तैयारी कर लेते हैं तथा साथ ही सडक के चौराहे पर लकड़ी, घास और गोबर के ढेर को विधि पूर्वक जलाकर होलिका दहन किया जाता है। इस समय पर लोग गीत, भजन और संगीत से सभी लोगों का मनोरंजन करते हैं जिसकी वजह से उस जगह का माहौल खुशनुमा बन जाता है।

उपसंहार : होली एक रंगों का त्यौहार है जिस पर सभी लोग अपने आपस की मत-भेद या भेदभाव भूलकर अपने नए जीवन की शुरुआत के साथ अपने अंदर नई ऊर्जा का संचार करते हैं।

भारत और हिन्दू समाज इस खुशी के त्यौहार का बहुत ही उत्साह और बेसब्री के साथ इंतजार करता है। होली के दिन सभी जगहों पर रंग-ही-रंग दिखाई देते हैं। पूरा शहर ऐसा लगता है जैसे पूरा शहर रंगों से रंग गया हो। होली के दिन शाम के समय सभी लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और रंग लगाकर होली की बधाई देते हैं।

होली निबंध 8 (1000 शब्द) :

भूमिका : होली का त्यौहार बसंत ऋतू का एक बहुत ही हर्षोल्लास वाला त्यौहार है जिसे बसंत का यौवन भी कहा जाता है। दुनिया अथार्त प्रकृति सरसों की पीली साडी पहनकर किसी का रास्ता देखती हुई प्रतीत होती हैं।

पुराने समय में होली के पर्व को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है जिसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भूल जाते हैं। जब पूरी प्रकृति रंग से सराबोर होने लगती है तो मनुष्य एक अलग तरह के आनंद में झूमने लगता है।

होली का महत्व : होली त्यौहार का सभी लोगों के लिए समान महत्व होता है लेकिन भारत देश के हिंदुओं के लिए इसका अधिक महत्व होता है क्योंकि आज के ही दिन होलिका नाम की राक्षसी जलकर राख हो गई थी जिसकी खुशी में सभी हिंदुओं ने जश्न मनाया था और उस दिन से इसे हर साल होली के नाम से मनाया जाने लगा।

होली का त्यौहार सभी लोगों को आपस में भेदभाव, अमीरी-गरीबी, क्षेत्र, जाति, धर्म आदि को भूलकर एक-दूसरे पर रंग फेंकने का उपदेश देता है। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि हम सभी मनुष्य हैं और सभी मनुष्य एक समान होते हैं इनमें कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है। होली के त्यौहार की वजह से जिन लोगों में वर्षों से दुश्मनी चलती है वे भी आपस में दोस्त बन जाते हैं।

होली से जुड़े तथ्य : होली के पर्व को मनाने से एक दिन पहले होलिका जलाना बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि अगर होलिका दहन नहीं किया जाएगा तो लोग अपने प्राचीनकाल के नियमों या रीति-रिवाजों को भूल जाएँगे जिससे उन्हें अपने देश के इतिहास का पता नहीं होगा और वे अपने देश के वीर पुरुषों और भक्तों से अनजान रह जाएंगे इसलिए अपने देश के इतिहास को याद रखने के लिए होलिका दहन करना बहुत जरुरी होता है। अगले दिन होली को केवल दोपहर तक खेलने की परंपरा होती है। जब ऋतुराज बसंत का आगमन होता है तो होली के त्यौहार को मनाया जाता है।

होली का इतिहास : एक बार हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था जिसकी बहन को बहुत-सी शैतानी शक्तियाँ और वरदान प्राप्त थे जिनके बल पर वह देश पर शासन करना चाहता था। वह अपने आप को भगवान समझता था। वह चाहता था कि सभी उसे भगवान समझें और उसकी पूजा करें लेकिन प्रहलाद अपनी विष्णु भक्ति नहीं छोड़ना चाहता था जिसकी वजह से उसके पिता ने उसपर बहुत अत्याचार किए लेकिन वह अपने दृढ निश्चय पर अड़ा रहा।

राजा ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को गोद में लेकर चिता पर बैठने के लिए कहा लेकिन उस चिता में होलिका जलकर राख हो गई और प्रहलाद को कोई चोट नहीं आई इसी वजह से इस दिन को हर साल मनाया जाने लगा।

होली की तैयारियां : भारत में बहुत से त्यौहार मनाए जाते हैं लेकिन होली का त्यौहार बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है। होली को रंगों का त्यौहार कहा जाता है जिसमें लोग बहुत से साधनों के द्वारा एक-दूसरे को रंगों से रंग देते हैं। होली से एक दिन पहले होलिका दहन की तैयारी की जाती है जिसमें सभी लोग घास, लकड़ी और गोबर का ढेर लगते हैं।

शाम के समय इस ढेर में आग लगा दी जाती है जिसके अगले दिन के लिए लोग अपने से ही लोग रंग, गुब्बारे, पिचकारी, आदि खरीदकर रखते हैं। होली के दिन सभी लोग तरह-तरह के व्यंजन और पकवान बनाते हैं जिसका सभी लोग मिलजुलकर आनंद लेते हैं।

होली का रंगों में परिवर्तन : होली एक ऐसा त्यौहार है जिसके पास आते-आते सभी के ह्रदय में एक नए प्रकार के उत्साह का संचार होने लगता है। पहले समय में इस त्यौहार को रंगों से नहीं मनाया जाता था लेकिन जब श्रीकृष्ण जी ने अपनी रासलीला से गोप-गोपिकाओं को मंत्रमुग्ध किया तब से इस पर्व को रंगों का पर्व कहा जाने लगा और हर साल इसे रंगों से खेला जाने लगा। होली के इस पर्व पर सभी लोग अपने सगे-संबंधियों से मिलते हैं और एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं।

अपनेपन की होली : होली के त्यौहार को अपनेपन की होली इसलिए कहा जाता है क्योंकि आज के दिन को रंगों, खुशियों, मिठाईयों और पकवानों का दिन कहा जाता है। होली के त्यौहार से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

होलिका दहन एक ऐसा समय होता है जब सभी लोग आपस में मिलकर सभी प्रकार के भेदभाव भूलकर एक-दूसरे के साथ समय व्यतीत करते हैं। होली के दिन बच्चे अपने लड़ाई-झगड़े भूलकर एक-दूसरे के ऊपर गुब्बारों और पिचकारियों से रंग फेंकते हैं। होली के दिन कोई भी किसी की बात का बुरा नहीं मानता है।

होली के आधुनिक दोष : त्यौहार का महत्व चाहे कितना भी हो लेकिन कालातंर में उसमें दोष उत्पन्न हो ही जाते हैं। होली जैसे खुशियों के दिन भी बहुत से लोग शराब पीते हैं, जूआ खेलते हैं और घरों में लड़ाई-झगड़ा करते हैं। कई बार तो लोग अपनी दुश्मनी का बदला लेने के लिए इस होली जैस पवित्र दिन को भी छोड़ते हैं।

आज के दिन लोग सूखे और हल्के रंगों का प्रयोग करने की जगह पर काली स्याही और तवे की कालिख का प्रयोग करते हैं जिसकी वजह से उसे निकालने में त्वचा भी छिल जाती है। बहुत से लोग तो आज के दिन इधर-उधर गंदगी फैला देते हैं जिसकी वजह से आज के दिन में अस्वच्छता फैलती है।

प्रेम और एकता का प्रतीक : होली एक ऐसा पर्व है जिस दिन सभी लोग अपने शिष्टाचार के बंधनों को तोड़कर बच्चों, बूढों, राजा या रंक आदि सभी का खुलकर मजाक उड़ा सकते हैं क्योंकि आज के दिन कोई बुरा नहीं मानता है। आज के दिन सभी लोग मिलजुलकर गीत गाते हैं, नाचते हैं और भोजन भी करते हैं।

होली के पर्व के दिन सभी लोग एक-दूसरे के साथ एकता के बंधन में बंध जाते हैं। होली के दिन किसी भी बात का बुरा मानना गलत समझा जाता है। होली के दिन सभी लोग एक-दूसरे के गले मिलते हैं और अपने दिल की बातें लोगों से करते हैं। आज के दिन को मेल और प्रेम की एकता का प्रतीक माना जाता है।

उपसंहार : दीपावली की तरह होली भी भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक होता है। होली को मेल, एकता, प्रेम, खुशी, उत्साह और आनंद का पर्व माना जाता है। होली के दिन की खुशी की वजह से सभी में एक नए जीवन को जीने की प्रेरणा आ जाती है।

आज के दिन सभी लोगों में एक नई उमंग आ जाती है। आजकल लोग होली खेलने के लिए रंगों का प्रयोग करते हैं जो त्वचा को बुरी तरह से हानि पहुंचाते हैं। हमें होली खेलने के लिए रंगों की जगह पर गुलाल का प्रयोग करना चाहिए जिससे त्वचा को कोई हानि न हो।

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