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Urdhava Hastotanasana – उर्ध्वहस्तोत्तानासन योग कैसे करें, लाभ और सावधानियां

उर्ध्वहस्तोत्तानासन क्या है :-

उर्ध्वहस्तोत्तानासन एक योगासन है | जिसके कारण हमारे शरीर मैं खिचाव पैदा होता है और हमारा शरीर लचकीला बनता है | उर्ध्वहस्तोत्तानासन योग ही नहीं बल्कि सभी रोगों को खुले व हवादार स्थान पर करना चाहिए | उर्ध्वहस्तोत्तानासन योग से हमें बहुत लाभ होते हैं | तो भाइयो जानते हैं इसके लाभ और और इसको करने की विधि :-

उर्ध्वहस्तोत्तानासन योग को करने की विधि :-

पहली स्थिति :- सबसे पहले उर्ध्वहस्तोत्तानासन को करने के लिए खुला एवं हवादार स्थान चुने |

दूसरी स्थिति :- अब आप बिलकुल सीधे खड़ें हो जाएँ मतलब की आप सावधान की इस्थिति मैं खड़े हो जाएँ |

तीसरी स्थिति :- अब आप अपने दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में जोड़कर ऊपर की ओर उठाएं।

चौथी स्थिति :- अब जैसे जैसे आप हाथों को ऊपर उठाओगे वैसे -वैसे ही आपको अपनी हथेलियों को ऊपर की उठायें या उनको ऊपर की तरफ रखें |

पांचवी स्थिति :- अब आप आसन की इस स्थिति में आने के बाद हाथों को ऊपर की ओर खींचते हुए शरीर में खिंचाव लाएं और धीरे-धीरे दाईं दायीं और झुकें जितना हो सके इतना झुकें |

छटवी स्थिति :- अब जितना हो सके इस स्थिति मैं स्थिर रहें या रुकें |

सातवीं स्थिति :- फिर सावधान अवस्था मैं आयें और इस बार धीरे-धीरे बाईं तरफ झुकें और जितना हो सके उतनी देर रुकें |

उर्ध्वहस्तोत्तानासन योग करने का समय :-

इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।| इस आसन को नियमित कम से कम 10-15 बार करे|

यह भी पढ़ें :- Dhanurasana In Hindi , Halasana In Hindi

उर्ध्वहस्तोत्तानासन योग करने के लाभ :-

1. लम्बाई के लिए:- यह आसन सबसे ज्यादा लम्बाई को बढाने में मदद करता है इस लिए इस आसन का प्रतिदिन अभ्यास करना चाहिए।जिन लोगों का कद सामान्य से कम रह जाता है, प्रायः उनमें हीनता की भावना उत्पन्न हो सकती है। यदि ये आनुवांशिक कारणों से है तो आप इसमें अधिक कुछ नही कर सकते और यह जाना आवश्यक है की हर व्यक्ति प्रकृति और परमात्मा की रचना है। और स्वयं को सदा ईश्वर की सुंदर कृति की तरह ही देखना प्रकृति का संम्मान है।  – लंबाई बढ़ाने के तरीके

2. आंतो को साफ़ करता है :- इस आसन के नियमित अभ्यास से आतों सुद्ध व् साफ़ हो जाती है ।मानव शरीर रचना विज्ञान में, आंत (या अंतड़ी) आहार नली का हिस्सा होती है जो पेट से गुदा तक फैली होती है, तथा मनुष्य और अन्य स्तनधारियों में, यह दो भागों में, छोटी आंत और बड़ी आंत के रूप में होती है।

3. कब्ज व् एसिडिटी में फायदेमंद :- इस आसन के नियमित अभ्यास से कब्ज व् एसिडिटी से मुक्ति पायी जा सकती है। कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है। –  kabj ka ilaj

4. स्वास्थ्य फिट रहता है:- इस आसन के अभ्यास से पूरा शरीर फिट और active रहता है और व्यक्ति काम से थकता भी नही है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों।

5. शरीर के सभी अंगो का विकास :- इस आसन के अभ्यास से शरीर के सभी अंगों का विकाश होता है| जीवविज्ञान (biology) की दृष्टि से एक विशिष्ट कार्य करने वाले उत्तकों के समूह को अंग (organ) कहते हैं। हृदय, फेफडे (फुफ्फुस), मस्तिष्क, आँख, आमाशय (stomach), प्लीहा (spleen), अस्थियाँ (bone), अग्न्याश (pancreas), वृक्क या गुर्दे (kidneys), यकृत (liver), आंतें (intestines), त्वचा (skin) (त्वचा, मनुष्य का सबसे विशाल अंग है), मूत्राअशय (urinary bladder), योनि (मादाओं में), शिश्न (penis), गुदाद्वार (anus) आदि।

उर्ध्वहस्तोत्तानासन के अन्य लाभ:- 

1. पूरे शरीर मैं खिचाव पैदा होता है जिसकी वजह से शरीर लचीला बनता है।

2. चेस्ट (छाती) को बढ़ावा देता है।

3. कमर को पतली बनाता है।

4. कमर व जांघों का भारीपन समाप्त होता है।

5. आलस खत्म हो जाता है।

उर्ध्वहस्तोत्तानासन योग करते समय सावधानियां :-

1. इस आसन को करते समय घुटनों व हाथों को तानकर रखना चाहिए।

2. पेट दर्द वाले रोगी इसे न करें।

3. इसे दोनों तरफ से बराबर-बराबर करें।

4. खाली पेट करना चाहिए।

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