त्रिफला (Triphala Churna In Hindi) :
हरद, आमला, बहेड़ा, इन तीनो को मिलाकर जो पाउडर तेयार होता है उसे त्रिफला चूर्ण कहते है। ये आज कल मेड़ीकलों पर भी उपलब्ध है। इससे क्या फायदे है ये बनाया कैसे जाता है ये सब आपको नीचे बताया गया है। एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ार्मुला है जिसमें अमलकी (आंवला (Emblica officinalis)), बिभीतक (बहेडा) (Terminalia bellirica) और हरितकी (हरड़ Terminalia chebula) के बीज निकाल कर समान मात्रा में लिया जाता है।
त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है “तीन फल”। इसका नियमित सेवन शरीर को निरामय, सक्षम व फुर्तीला बनाता है। त्रिफला सिर्फ कब्ज दूर करने ही नहीं बल्कि कमजोर शरीर को एनर्जी देने में भी प्रयोग हो सकता है। बस जरुरत है तो इसके नियमित और नियमानुसार सेवन करने की।
त्रिफला चूर्ण बनाने के लिए आवश्यक सामिग्री (Materials needed to make Triphala powder In Hindi):
आमला 300 ग्राम | बहेड़ा 200 ग्राम | हरड़ 100 ग्राम | चूर्ण बनने के बाद का चित्र |
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त्रिफला चूर्ण कैसे बनाये (How to make triphala powder In Hindi):
आमला 300 ग्राम, बहेड़ा 200 ग्राम, हरड़ 100 ग्राम अब तीनो को इनाम दस्ता में कूटकर इसका पौडर बना लें फिर इसको एक बोतल में भरकर रख लें फिर साम को सोते समय ढूध से इसका सेवन करें इससे एक दम पेट साफ़ हो जाता है। इसको सुबह शहद यानी हनी के साथ लेने से मोटापा कम हो जाता है। त्रिफला वात , पित्त , कफ तीनो को नियंत्रण करता है।
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त्रिफला चूर्ण के औषधीय गुण (Medicinal properties of Triphala powder In Hindi) :
त्रिफला चूर्ण कई गुणों से भरपूर है जैसे त्रिफला में विटामिन सी भी बहुत अधिक मात्रा में होता है। जिससे स्क्व्री रोग नही होता| त्रिफला में उपस्थित विटामिन सी और चेबुलाजीक एसिड एक एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव डालती है। त्रिफला में भी कई जैविक यौगिक शामिल हैं। इसमें मुख्य रूप से टैनिन, गैलिक एसिड, चेबुलाजीक एसिड और चेबुलिनिक एसिड होते है।
त्रिफला चूर्ण सेवन करने का तरीका (How to take Triphala powder In Hindi) :
आप इसका कई तरीके से सेवन कर सकते हैं जैसे आप त्रिफला चूर्ण को रात मैं एक कांच के गिलास मैं एक चम्मच त्रिफला चूर्ण डाल दें ताजा पानी मैं। और फिर इसे सुबह निन्य वासी मतलब सुबह खाली पेट पी लें। दूसरा तरीका सुबह हाथ मुंह धोने व कुल्ला आदि करने के बाद खाली पेट ताजे पानी के साथ इसका सेवन करें तथा सेवन के बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें , इस नियम का कठोरता से पालन करें।
त्रिफला चूर्ण लेने के नियम (Rules for taking triphala powder In Hindi) :
गर्मियों में कैसे सेवन करें :- गर्मियों के मौसम में 14 मई से 13 जुलाई तक त्रिफला चूर्ण का सेवन गुड़ का 1/4 भाग मिलाकर करें।
शर्दियों में कैसे सेवन करें :- शर्दियों के मौसम में 14 सितम्बर से 13 नवम्बर तक त्रिफला चूर्ण का सेवन थोड़ी सी देशी खांड के साथ करना चाहिए।
वर्षा ऋतु में कैसे सेवन करें :- वर्ष ऋतु के मौसम में 14 जुलाई से 13 सितम्बर तक त्रिफला चूर्ण का सेवन थोड़े से काले नमक के साथ करना चाहिए।
हेमंत ऋतु में कैसे सेवन करें :– हेमंत ऋतु के मौसम में 14 नवम्बर से 13 जनवरी के बीच त्रिफला चूर्ण का सेवन थोड़ी सी सोंठ के साथ करना चाहिए।
शिशिर ऋतु में कैसे सेवन करें :- शिशिर ऋतु के मौसम में 14 जनवरी से 13 मार्च के बीच त्रिफला चूर्ण का सेवन छोटी पीपल के चूर्ण के साथ करना चाहिए।
बसंत ऋतु में कैसे सेवन करें :- बसंत ऋतु के मौसम में 14 मार्च से 13 मई के दौरान त्रिफला चूर्ण का सेवन शहद के साथ करना चाहिए।
त्रिफला चूर्ण लेने का सही नियम (The right rule for taking triphala powder In Hindi)
सुबह अगर हम त्रिफला लेते हैं तो उसको हम”पोषक”कहते हैं। क्योंकि सुबह त्रिफला लेने से त्रिफला शरीर को पोषण देता है जैसे शरीर में vitamin, iron, calcium, micro nutrients की कमी को पूरा करता है एक स्वस्थ व्यक्ति को सुबह त्रिफला खाना चाहिए। रात में जब त्रिफला लेते हैं उसे “रेचक” कहते है क्योंकि रात में त्रिफला लेने से पेट की सफाई (कब्ज इत्यादि )का निवारण होता है। रात में त्रिफला हमेशा गर्म दूध के साथ लेना चाहिए।
त्रिफला चूर्ण के फायदे (Triphala Powder Benefits In Hindi) :
1.पेट को साफ़ करता है :- त्रिफला चूर्ण के नियमित सेवन से पेट साफ़ होता है और पेट से होने वाली सभी बीमारियों से हम बच जाते हैं।
2.स्मरण शक्ति बढती है :- त्रिफला चूर्ण के नियमित सेवन से स्मरण शक्ति बढती है। स्मरण शक्ति हमेशा ध्यान और मन की एकाग्रता पर ही निर्भर होती हैं हम जिस तरफ जितना अधिक ध्यान केन्द्रित करेंगे उस तरफ हमारी विचार शक्ति उतनी ही अधिक तीव्र हो जायेगी।
3.भूक को बढाता है :- इस त्रिफला चूर्ण को लेने से भूख-प्यास ना लगने की समस्या दूर होती है। भूख न लगने को मेडिकल भाषा में एनोरेक्सिया (Anorexia) या अरुचि रोग कहते हैं। एनोरेक्सिया (Anorexia) या अरुचि रोग में रोगी को भूख नहीं लगती, यदि जबरदस्ती भोजन किया भी जाय तो वह अरुचिकर लगता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति 1 या 2 ग्रास से ज्यादा नहीं खा पाता और उसे बिना कुछ खाये -पिये ही खट्टी डकारें आने लगती हैं।
4.पाचन शक्ति को बढाता है :- यह त्रिफला चूर्ण डाइजेस्ट सिस्टम या पाचन तंत्र को सही रखता है। पाचन वह क्रिया है जिसमें भोजन को यांत्रिकीय और रासायनिक रूप से छोटे छोटे घटकों में विभाजित कर दिया जाता है ताकि उन्हें, उदाहरण के लिए, रक्तधारा में अवशोषित किया जा सके. पाचन एक प्रकार की अपचय क्रिया है: जिसमें आहार के बड़े अणुओं को छोटे-छोटे अणुओं में बदल दिया जाता है।
5.चर्म रोग में फायदेमंद :- इस त्रिफला चूर्ण के नियमित सेवन से चर्म रोगों में काफी लाभ पहुचता है। त्वचा के किसी भाग के असामान्य अवस्था को चर्मरोग (dermatosis) कहते हैं। त्वचा शरीर का सनसे बडा तंत्र है। यह सीधे बाहरी वातावरण के सम्पर्क में होता है। चर्म रोग कई प्रकार के होते हैं। जैसे कि- दाद, खाज, खुजली, छाछन, छाले, खसरा, फोड़े, फुंसी आदि।
6.कब्ज व् एसिडिटी में फायदेमंद :- इस त्रिफला चूर्ण के नियमित सेवन से कब्ज व् एसिडिटी से मुक्ति पायी जा सकती है। कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है।
7. शरीर में कमजोरी जेसे थोडा सा काम किया या फिर सफ़र किया उसमें थक जाना ये बहुत बड़ी समस्या है त्रिफला चूर्ण क्या करता है जब शरीर में कमजोरी कमजोरी की वजह से थकावट होती है त्रिफला चूर्ण शरीर में थकावट और कमजोरी को दूर करता है। इससे मोटापा भी कम होता है।
8.पेट की चर्बी को कम करता है :- गुनगुने पानी में त्रिफला और शहद को मिलाकर सेवन करने से पेट की चर्बी कम होती है। पेट की चर्बी या शरीर के अन्य भागों की चर्बी, वसा की एक विशेष रूप से हानिकारक प्रकार है जो आपके अंगों के आसपास जमा होती है।
9.कोलेस्ट्राल की मात्रा को कम करता है :- त्रिफला चूर्ण बढे हुए कोलेस्ट्राल को कम करता है। कोलेस्ट्रॉल या पित्तसांद्रव मोम जैसा एक पदार्थ होता है, जो यकृत से उत्पन्न होता है। यह सभी पशुओं और मनुष्यों के कोशिका झिल्ली समेत शरीर के हर भाग में पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल कोशिका झिल्ली का एक महत्वपूर्ण भाग है, जहां उचित मात्रा में पारगम्यता और तरलता स्थापित करने में इसकी आवश्यकता होती है।
10.मुहं के छालों में फायदेमंद :- त्रिफला चूर्ण को पानी में डालकर कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर होते है। मुहं के छाले अक्सर तीखा और रुक्षण भोजन करने से या कब्ज की समस्या के कारण ये समस्या हो जाती हैं। अगर आपको कब्ज रहती हैं तो पहले अपनी कब्ज का इलाज कीजिये। क्यूंकि छालो को सही कर लोगे तो कब्ज के कारण ये समस्या फिर से उत्पन्न हो जाएगी।
11. हिचकी में फायदेमंद :- हिचकियों में त्रिफला चूर्ण बहुत ही फायदेमंद है करना क्या है की आपको 3-4 ग्राम त्रिफला चूर्ण गौ मूत्र के साथ लेना है ऐसा करने से हिचकी बहुत जल्दी ठीक हो जाती हैं।
12. गले की सूजन में फायदेमंद :- त्रिफला चूर्ण से गले की सूजन में लाभ मिलता है करना क्या है की आपको थोडा सा त्रिफला चूर्ण लेना है फिर उसको जल में घोलना है फिर उससे गरारे करने हैं ऐसा करने से गले की सूजन जल्द ठीक होकर गला तरोताजा बनता है।
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13. सिर दर्द में फायदेमंद :- सिर की जुडी सभी समस्याओं का इलाज है त्रिफला चूर्ण अगर आपको सिर दर्द है तो आप बराबर मात्र में मिश्री और त्रिफला लेके उसे घी में मिला लें और उसका सेवन करें इसके सेवन से सिर दर्द खत्म हो जाता है और साथ ही सिर से जुडी सभी समस्याओं से निदान मिलता है।
14. वजन बढाने में फायदेमंद :- त्रिफला चूर्ण वजन बढाने के लीये स्र्वोच्तम चीज है वजन बढाने के लिए आपको 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण को रात को 1 गिलास पानी में भिगो दें फिर सुबह उसको उबाले इतना उबालें की पानी आधा गिलाश रह जाये अब इसे छान लें अब इसमें 2 चम्मच शहद मिला लें फिर इसका सेवन करें गुनगुने पानी के साथ कुछ ही दिन में वजन बढने लगेगा।
15. मोतियाबिंद में फायदेमंद :- मोतियाबिंद होने पर त्रिफला चूर्ण के काढ़े से आँखों को धोएं या ठंडे पानी से धोएं कुछ ही दिनों में मोतियाबिंद दूर हो जाता है और साथ ही आँखों से जुडी जादातर बीमारियों में लाभ मिलता है।
16. बौनापन में फायदेमंद :- बौनापन से निजात पाने के लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन करें करना कैसे है की आपको त्रिफला चूर्ण 5 ग्राम सुबह-साम लेना है ऐसा करने से कद बढ़ने लगता है और बौनापन दूर होता है।
17. बवासीर रोग में फायदेमंद :- बवासीर रोग में त्रिफला चूर्ण को प्रतिदिन रात को सोते समय 1 चम्मच गर्म दूध के साथ लें ऐसा करने से बवासीर रोग में लाभ पहुचता है और साथ ही कब्ज रोग में लाभ मिलता है।
18. पेट दर्द में फायदेमंद :- 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ लेने से पेट में दर्द खत्म हो जाता है और साथ ही पेट भी साफ़ हो जाता है इसलिए त्रिफला चूर्ण को नियमित रूप से लें।
19. दांत में दर्द होने पर :- दांत में दर्द होने पर त्रिफला की जड़ की छाल चबाने से दांत के दर्द में लाभ मिलता है और मुहं की दुर्घन्द भी दूर होती है।
20. एनीमिया रोग में फायदेमंद :- एनीमिया रोग रोग हिमोग्लोबिन की कमी होने के कारण होता है और त्रिफला चूर्ण हिमोग्लोबिन को बढाता है जब आप त्रिफला चूर्ण का सेवन करते हैं तो ये शरीर में रेड ब्लड सेल्स को बढ़ा देता जिससे शरीर में अनीमिया की परेशानी कम हो जाती है।
21. घाव होने पर :- त्रिफला चूर्ण में घाव को ठीक करने की बहुत शक्ति होती है घाव में त्रिफला एंटिसेप्टिक की तरह से भी काम करता है। इस का काढ़ा बनाकर घाव धोने से घाव जल्दी भर जाते है।
22. टांसिल की समस्या में फायदेमंद :- टन्सिल की समस्या से पीड़ित रोगी को त्रिफला चूर्ण के पानी से गरारे करने चाहिए दिन में कम से कम 8-10 गरारे अवस्य करें टन्सिल की समस्या में जल्द राहत मिलती है।
23. मासिक धर्म रोग में फायदेमंद :- त्रिफला चूर्ण मासिक धर्म से जुडी समस्याओं का निवारण करता है | त्रिफला, तिल का तेल और शहद समान मात्रा में मिलाकर इस मिश्रण कि 10 ग्राम मात्रा हर रोज गुनगुने पानी के साथ लेने से पेट, मासिक धर्म और दमे की तकलीफे दूर होती है।
24. मूत्र सम्बंधी रोग में फायदेमंद :- त्रिफला का सेवन मूत्र-संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में बहुत लाभकारी है। प्रमेह आदि में शहद के साथ त्रिफला लेने से अत्यंत लाभ होता है।
25. आँखों की रोशनी बढ़ाने हेतु :- शाम को एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला भिगो दे सुबह मसल कर नितार कर इस जल से आँखों को धोने से नेत्रों की ज्योति बढती है।
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त्रिफला चूर्ण के अन्य फायदे (Other Benefits of Triphala Powder In Hindi) :
1. अगर व्यक्ति इसका एक वर्ष तक नियमित सेवन करता है तो उसका शरीर शरीर चुस्त रहता है।
2. अगर व्यक्ति इसका दो वर्ष तक नियमित सेवन करता है तो उसका शरीर निरोगी हो जाता हैं।
3. अगर व्यक्ति इसका तीन वर्ष तक नियमित सेवन करता है तो उसकी नेत्र-ज्योति बढ जाती है।
4. अगर व्यक्ति इसका चार वर्ष तक नियमित सेवन करता है तो त्वचा कोमल व सुंदर हो जाती है।
5. अगर व्यक्ति इसका पांच वर्ष तक नियमित सेवन करता है तो बुद्धि का विकास होकर कुशाग्र हो जाती है।
6. अगर व्यक्ति इसका छः वर्ष तक नियमित सेवन करता है तो शरीर शक्ति में पर्याप्त वृद्धि होती है।
7. अगर व्यक्ति इसका सात वर्ष तक नियमित सेवन करता है तो बाल फिर से सफ़ेद से काले हो जाते हैं।
8. अगर व्यक्ति इसका आठ वर्ष तक नियमित सेवन करता है तो वृद्धाव्स्था से पुन: योवन लोट आता है।
त्रिफला चूर्ण के नुकसान (Side Effects Of Triphala Powder In Hindi) :
1. 6 साल से छोटे बच्चे को त्रिफला चूर्ण का सेवन नहीं करना चाहिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
2. त्रिफला चूर्ण को प्रेगनेंसी के दोरान नहीं लेना चाहिए।
3. इसके जादा सेवन से नीद आ सकती है इसलिए जितना हो सके इसका सेवन कम करें।
4. त्रिफला चूर्ण के अधिक सेवन से डायरिया हो सकता है इसलिए इसके सेवन से पहले डाक्टर से परामर्श कर लें।
5. ब्लड प्रेशर के रोगी त्रिफला चूर्ण का सेवन नहीं करें अगर अप सेवन करना चाहते हैं तो पहले डॉ से सम्पर्क कर लें।
6. त्रिफला चूर्ण का अधिक सेवन अनिद्रा रोग उत्पन्न कर सकता है।